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कोरोना मरीजों को बचाने में महिला डॉक्टर ने झोंक दी अपनी जान, अब सरकार बचाएगी उसके प्राण

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Published : Jul 3, 2021, 9:25 AM IST

Updated : Jul 6, 2021, 7:05 PM IST

लोहिया संस्थान के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में जूनियर रेजिडेंट पद पर तैनात डॉ. शारदा सुमन कोरोना काल में मरीजों को बचाने में जुटी रहीं. इस दौरान कोरोना संक्रमित होने से डॉ. शारदा के फेफड़े खराब हो गए. ऐसे में सरकार ने डॉक्टर का लंग ट्रांसप्लांट कराने की जिम्मेदारी लेते हुए कमेटी का गठन किया है.

पति के साथ महिला चिकित्सक.
पति के साथ महिला चिकित्सक.

लखनऊ: कोरोना काल में महिला चिकित्सक डॉ. शारदा सुमन मरीजों की जान बचाने में जुटी रहीं. जहां उन्होंने इमरजेंसी में आ रहीं गंभीर महिलाओं का प्रसव कराया. उस दौरान वह खुद भी गर्भवती थी, लेकिन अपने कोख में पल रहे बच्चे की परवाह न करते हुए वह कर्तव्य पथ पर डटी रही. इस दौरान डॉ. शारदा भी कोरोना की चपेट में आ गई और उनका फेफड़ा खराब हो गया. डेढ़ महीने से डॉ. शारदा ऑक्सीजन पर हैं. ऐसे में सरकार ने डॉक्टर का लंग ट्रांसप्लांट कराने का बीड़ा उठाया है. सरकार ने इसकी मंजूरी भी दे दी है. इसका आदेश आते ही शीघ्र ही डॉक्टर को चेन्नई शिफ्ट किया जाएगा. इसके लिए कमेटी का गठन भी किया गया है.

लोहिया संस्थान के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में डॉ. शारदा सुमन जूनियर रेजिडेंट के पद पर तैनात हैं. वह संस्थान से डीएनबी कोर्स भी कर रही हैं. हाल में ही उनकी शादी हुई थी. पति भी बतौर रेजिडेंट कार्यरत हैं. डॉ. शारदा गर्भवती थीं. इसके बावजूद उन्होंने मेडिकल लीव नहीं ली और कोरोना की लहर के बीच महिला इमरजेंसी में ड्यूटी करती रहीं. जहां कई गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया. 12 अप्रैल को शारदा को बुखार आया और 14 अप्रैल की जांच में उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई.

अपने बच्चे के साथ डॉ. शारदा सुमन.
अपने बच्चे के साथ डॉ. शारदा सुमन.

पॉजिटिव आने के बाद डॉ. शारदा को सांस लेने में तकलीफ होने लगी. उन्हें लोहिया के कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां हालात बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया. 1 मई को डॉक्टरों ने शारदा के कोख में पल रहे बच्चे को बचाने का फैसला किया. ऐसे में वेंटिलेटर पर भर्ती गर्भवती रेजिडेंट डॉ. शारदा सुमन का प्रसव कराया गया. जहां शारदा की हालत गंभीर बनी हुई है.

45 दिन से ईकमो मशीन पर है डॉक्टर
संस्थान के प्रवक्ता डॉ. श्रीकेश के मुताबिक 6 मई को शारदा की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई थी. मगर, फेफड़ा पूरी तरह खराब हो गया है. जिसके बाद शारदा को नॉन कोविड आईसीयू में शिफ्ट कर ईकमो मशीन पर रखा गया. यह मशीन कृत्रिम हार्ट व फेफड़े का काम करती है.

मुख्यमंत्री से मिले डॉक्टर, कमेटी बना रही प्लान
संस्थान के डॉ. श्रीकेश सिंह के मुताबिक निदेशक डॉ. सोनिया नित्यानंद, सीएमएस, एमएस ने 3 दिन पहले सीएम योगी से मुलाकात की और शारदा के बारे में जानकारी दी. जान बचाने के लिए लंग ट्रांसप्लांट विकल्प बताया गया. जिसपर करीब 50 लाख का खर्च आएगा. वहीं मरीज को चेन्नई, मुंबई या बंगलुरू के सेंटर में शिफ्ट करने पर 15 लाख रुपये का खर्च अलग से आएगा. इसी तरह दूसरी जांच व प्रत्यारोपण के बाद इलाज में 80 से 85 लाख रुपये का खर्च आएगा. सीएम ने मामले को संज्ञान में लेते हुए शारदा के इलाज के लिए एक कमेटी का गठन किया गया. जिसमें चिकित्सा शिक्षा विभाग के ओएसडी डॉ. बीएमबीएम प्रसाद को कमेटी में शामिल किया गया है. वह मरीज का असेसमेंट कर शासन को रिपोर्ट सौंपेंगे.

इसे भी पढ़ें- बच्चे के फेफड़े को ट्यूमर ने जकड़ा, ऑपरेशन कर बचाई जान

लखनऊ: कोरोना काल में महिला चिकित्सक डॉ. शारदा सुमन मरीजों की जान बचाने में जुटी रहीं. जहां उन्होंने इमरजेंसी में आ रहीं गंभीर महिलाओं का प्रसव कराया. उस दौरान वह खुद भी गर्भवती थी, लेकिन अपने कोख में पल रहे बच्चे की परवाह न करते हुए वह कर्तव्य पथ पर डटी रही. इस दौरान डॉ. शारदा भी कोरोना की चपेट में आ गई और उनका फेफड़ा खराब हो गया. डेढ़ महीने से डॉ. शारदा ऑक्सीजन पर हैं. ऐसे में सरकार ने डॉक्टर का लंग ट्रांसप्लांट कराने का बीड़ा उठाया है. सरकार ने इसकी मंजूरी भी दे दी है. इसका आदेश आते ही शीघ्र ही डॉक्टर को चेन्नई शिफ्ट किया जाएगा. इसके लिए कमेटी का गठन भी किया गया है.

लोहिया संस्थान के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में डॉ. शारदा सुमन जूनियर रेजिडेंट के पद पर तैनात हैं. वह संस्थान से डीएनबी कोर्स भी कर रही हैं. हाल में ही उनकी शादी हुई थी. पति भी बतौर रेजिडेंट कार्यरत हैं. डॉ. शारदा गर्भवती थीं. इसके बावजूद उन्होंने मेडिकल लीव नहीं ली और कोरोना की लहर के बीच महिला इमरजेंसी में ड्यूटी करती रहीं. जहां कई गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया. 12 अप्रैल को शारदा को बुखार आया और 14 अप्रैल की जांच में उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई.

अपने बच्चे के साथ डॉ. शारदा सुमन.
अपने बच्चे के साथ डॉ. शारदा सुमन.

पॉजिटिव आने के बाद डॉ. शारदा को सांस लेने में तकलीफ होने लगी. उन्हें लोहिया के कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां हालात बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया. 1 मई को डॉक्टरों ने शारदा के कोख में पल रहे बच्चे को बचाने का फैसला किया. ऐसे में वेंटिलेटर पर भर्ती गर्भवती रेजिडेंट डॉ. शारदा सुमन का प्रसव कराया गया. जहां शारदा की हालत गंभीर बनी हुई है.

45 दिन से ईकमो मशीन पर है डॉक्टर
संस्थान के प्रवक्ता डॉ. श्रीकेश के मुताबिक 6 मई को शारदा की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई थी. मगर, फेफड़ा पूरी तरह खराब हो गया है. जिसके बाद शारदा को नॉन कोविड आईसीयू में शिफ्ट कर ईकमो मशीन पर रखा गया. यह मशीन कृत्रिम हार्ट व फेफड़े का काम करती है.

मुख्यमंत्री से मिले डॉक्टर, कमेटी बना रही प्लान
संस्थान के डॉ. श्रीकेश सिंह के मुताबिक निदेशक डॉ. सोनिया नित्यानंद, सीएमएस, एमएस ने 3 दिन पहले सीएम योगी से मुलाकात की और शारदा के बारे में जानकारी दी. जान बचाने के लिए लंग ट्रांसप्लांट विकल्प बताया गया. जिसपर करीब 50 लाख का खर्च आएगा. वहीं मरीज को चेन्नई, मुंबई या बंगलुरू के सेंटर में शिफ्ट करने पर 15 लाख रुपये का खर्च अलग से आएगा. इसी तरह दूसरी जांच व प्रत्यारोपण के बाद इलाज में 80 से 85 लाख रुपये का खर्च आएगा. सीएम ने मामले को संज्ञान में लेते हुए शारदा के इलाज के लिए एक कमेटी का गठन किया गया. जिसमें चिकित्सा शिक्षा विभाग के ओएसडी डॉ. बीएमबीएम प्रसाद को कमेटी में शामिल किया गया है. वह मरीज का असेसमेंट कर शासन को रिपोर्ट सौंपेंगे.

इसे भी पढ़ें- बच्चे के फेफड़े को ट्यूमर ने जकड़ा, ऑपरेशन कर बचाई जान

Last Updated : Jul 6, 2021, 7:05 PM IST
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