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डीआईओएस लखनऊ डॉ. मुकेश कुमार सिंह हटाए गए, सिस्टम पर उठे गंभीर सवाल

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Published : Sep 10, 2021, 9:44 PM IST

लखनऊ के जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ मुकेश कुमार सिंह को शुक्रवार को पद से हटा दिया गया. शासन की ओर से जारी आदेश में उन्हें माध्यमिक शिक्षा निदेशक कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है. उनके स्थान पर जिला विद्यालय निरीक्षक द्वितीय दिनेश कुमार सिंह राठौड़ को इस पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

डीआईओएस लखनऊ डॉ. मुकेश कुमार सिंह हटाए गए
डीआईओएस लखनऊ डॉ. मुकेश कुमार सिंह हटाए गए

लखनऊ: लखनऊ के जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. मुकेश कुमार सिंह को शुक्रवार को पद से हटा दिया गया. शासन की ओर से जारी आदेश में उन्हें माध्यमिक शिक्षा निदेशक कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है. उनके स्थान पर जिला विद्यालय निरीक्षक द्वितीय दिनेश कुमार सिंह राठौड़ को इस पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है. डॉ. मुकेश कुमार सिंह की गिनती शिक्षा विभाग के सबसे ईमानदार अफसर के रूप में होती है.


डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने 24 अप्रैल 2017 को लखनऊ डीआईओएस पद की जिम्मेदारी संभाली थी. करीब चार साल के अपने कार्यकाल में उन्हें डीआईओएस कार्यालय की छवि सुधारने में अहम भूमिका निभाई. प्रशासनिक अधिकारी के रूप में एक और जहां उन्होंने सरकार की नीतियों को प्रभावित से लागू किया. वहीं दूसरी ओर छात्रों के बीच भी अपनी जगह बनाई.


वेतन का भुगतान हुआ नियमित: डॉ. मुकेश कुमार सिंह के कार्यकाल संभालने के बाद सरकारी और ऐडेड स्कूलों के शिक्षकों के वेतन भुगतान की प्रक्रिया में काफी सुधार किए गए. अभी तक जिस वेतन वितरण में एक-एक महीने की देरी होती थी, उसका भुगतान महीने के पहले सप्ताह में ही होने लगा.

समय पर सेवानिवृत्ति के लाभ :डॉ. मुकेश कुमार सिंह के कार्यकाल में सबसे बड़ा सुधार यहां पर सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों के और कर्मचारियों के भुगतान की प्रक्रिया को सरल करके किया गया. जहां शिक्षकों कर्मचारियों को अपने दे भुगतान के लिए महीनों चक्कर लगाने पड़ते थे. वहीं मुकेश कुमार सिंह के समय इसे नियमित कर दिया गया. सेवानिवृत्ति की तिथि पर ही सभी को उनके दे भुगतान होने लगे.

सबसे बड़े नियुक्ति फर्जीवाड़े का खुलासा: लखनऊ में अब तक के सबसे बड़े नियुक्ति फर्जीवाड़े का खुलासा भी डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने ही किया. पूर्व में हुए 103 पदों पर फर्जी नियुक्ति जांच की प्रक्रिया शुरू की गई.

अनियमित भुगतानों पर लगाई रोक: मुकेश कुमार सिंह के पद संभालने से पहले राजधानी में कई शिक्षकों को अनियमित भुगतान किए जा रहे थे. इसको रूप लगाकर सरकार को होने वाले नुकसान पर लगाम लगाई.

प्रशासनिक कार्यों पर ही नहीं बल्कि शैक्षिक सुधार के लिए भी उन्हें जाना जाता है. मिशन बोर्ड एग्जाम, मिशन टॉपर जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से लखनऊ के बच्चों को प्रोत्साहित किया गया. यूपी बोर्ड की मेरिट में आने के लिए प्रोत्साहित किया गया.

इसे भी पढ़ें-बड़ा फैसला: मथुरा-वृंदावन तीर्थस्थल घोषित, शराब और मांस की बिक्री पर प्रतिबंध

इसे भी पढ़ें-ganesh chaturthi 2021: रिद्धि सिद्धि के साथ हैदराबाद से काशी पहुंचे 'बप्पा', बने आकर्षण का केंद्र

कई लोग थे नाराज
डॉ. मुकेश कुमार सिंह की इस कार्य प्रणाली से शहर के कई बड़े लोग नाराज भी चल रहे थे. बीते दिनों हुए प्रदेश भर के तबादलों में इनके नाम की भी काफी चर्चा थी, लेकिन इनका ट्रांसफर न होने के कारण कई गुट उनके खिलाफ लग गए थे. गुरुवार देर रात से ही उनको हटाने की चर्चाएं शुरू हो गईं थी. करीब 24 घंटे तक अफवाहों का बाजार गर्म रहा. शुक्रवार शाम करीब छह बजे शासन की ओर से आदेश जारी कर दिया गया.

लखनऊ: लखनऊ के जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. मुकेश कुमार सिंह को शुक्रवार को पद से हटा दिया गया. शासन की ओर से जारी आदेश में उन्हें माध्यमिक शिक्षा निदेशक कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है. उनके स्थान पर जिला विद्यालय निरीक्षक द्वितीय दिनेश कुमार सिंह राठौड़ को इस पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है. डॉ. मुकेश कुमार सिंह की गिनती शिक्षा विभाग के सबसे ईमानदार अफसर के रूप में होती है.


डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने 24 अप्रैल 2017 को लखनऊ डीआईओएस पद की जिम्मेदारी संभाली थी. करीब चार साल के अपने कार्यकाल में उन्हें डीआईओएस कार्यालय की छवि सुधारने में अहम भूमिका निभाई. प्रशासनिक अधिकारी के रूप में एक और जहां उन्होंने सरकार की नीतियों को प्रभावित से लागू किया. वहीं दूसरी ओर छात्रों के बीच भी अपनी जगह बनाई.


वेतन का भुगतान हुआ नियमित: डॉ. मुकेश कुमार सिंह के कार्यकाल संभालने के बाद सरकारी और ऐडेड स्कूलों के शिक्षकों के वेतन भुगतान की प्रक्रिया में काफी सुधार किए गए. अभी तक जिस वेतन वितरण में एक-एक महीने की देरी होती थी, उसका भुगतान महीने के पहले सप्ताह में ही होने लगा.

समय पर सेवानिवृत्ति के लाभ :डॉ. मुकेश कुमार सिंह के कार्यकाल में सबसे बड़ा सुधार यहां पर सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों के और कर्मचारियों के भुगतान की प्रक्रिया को सरल करके किया गया. जहां शिक्षकों कर्मचारियों को अपने दे भुगतान के लिए महीनों चक्कर लगाने पड़ते थे. वहीं मुकेश कुमार सिंह के समय इसे नियमित कर दिया गया. सेवानिवृत्ति की तिथि पर ही सभी को उनके दे भुगतान होने लगे.

सबसे बड़े नियुक्ति फर्जीवाड़े का खुलासा: लखनऊ में अब तक के सबसे बड़े नियुक्ति फर्जीवाड़े का खुलासा भी डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने ही किया. पूर्व में हुए 103 पदों पर फर्जी नियुक्ति जांच की प्रक्रिया शुरू की गई.

अनियमित भुगतानों पर लगाई रोक: मुकेश कुमार सिंह के पद संभालने से पहले राजधानी में कई शिक्षकों को अनियमित भुगतान किए जा रहे थे. इसको रूप लगाकर सरकार को होने वाले नुकसान पर लगाम लगाई.

प्रशासनिक कार्यों पर ही नहीं बल्कि शैक्षिक सुधार के लिए भी उन्हें जाना जाता है. मिशन बोर्ड एग्जाम, मिशन टॉपर जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से लखनऊ के बच्चों को प्रोत्साहित किया गया. यूपी बोर्ड की मेरिट में आने के लिए प्रोत्साहित किया गया.

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कई लोग थे नाराज
डॉ. मुकेश कुमार सिंह की इस कार्य प्रणाली से शहर के कई बड़े लोग नाराज भी चल रहे थे. बीते दिनों हुए प्रदेश भर के तबादलों में इनके नाम की भी काफी चर्चा थी, लेकिन इनका ट्रांसफर न होने के कारण कई गुट उनके खिलाफ लग गए थे. गुरुवार देर रात से ही उनको हटाने की चर्चाएं शुरू हो गईं थी. करीब 24 घंटे तक अफवाहों का बाजार गर्म रहा. शुक्रवार शाम करीब छह बजे शासन की ओर से आदेश जारी कर दिया गया.

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