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आईएएस अधिकारी ने एलडीए के पूर्व मुख्य अभियंता को जांच में फंसाया, मिली क्लीनचिट - आवास विकास परिषद लखनऊ

प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण की ओर से जारी शासनादेश के तहत लखनऊ विकास प्राधिकरण के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता इंदु शेखर सिंह को क्लीनचिट मिल गई है. इंदु शेखर सिंह पर कार्रवाई मंडलायुक्त रंजन कुमार के सरकारी आवास में 81 लाख रुपये की खर्च की फाइल रोकने के कारण की गई थी.

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Published : Apr 13, 2023, 7:21 AM IST

लखनऊ : लखनऊ विकास प्राधिकरण के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता इंदु शेखर सिंह ने मंडलायुक्त रंजन कुमार के सरकारी आवास में 81 लाख रुपये की खर्च की फाइल रोक दी थी. जिसकी खुन्नस में उनके खिलाफ जांच का आगाज हो गया. सेवानिवृत्ति से ठीक पहले उनको एलडीए से हटा दिया गया था. यह बात दीगर है कि इस मामले में बाद में तत्कालीन मंडलायुक्त और तत्कालीन उपाध्यक्ष लखनऊ विकास प्राधिकरण को भी उनके पदों से हटाया गया था. इस मामले में आवास विभाग ने राज्यपाल के आदेश से जांच पूरी करते हुए इंदु शेखर सिंह को क्लीन चिट बुधवार को दे दी है.

आईएएस अधिकारी ने एलडीए के पूर्व मुख्य अभियंता को जांच में फंसाया, मिली क्लीनचिट.
आईएएस अधिकारी ने एलडीए के पूर्व मुख्य अभियंता को जांच में फंसाया, मिली क्लीनचिट.
प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण की ओर से जारी शासनादेश में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश विकास प्राधिकरण केन्द्रीयित सेवा के इन्दु शेखर सिंह, मुख्य अभियन्ता, लखनऊ विकास प्राधिकरण, लखनऊ की तैनाती अवधि में लखनऊ विकास प्राधिकरण के निविदा कार्यों में की गई अनियमितता एवं भ्रष्टचार में प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया था. उनके विरुद्ध विभागीय अनुशासनिक जांच की कार्यवाही शुरू की गई थी. विभागीय अनुशासनिक जॉच की कार्यवाही के संचालनार्थ आयुक्त, आवास एवं विकास परिषद, लखनऊ को पदनाम से जांच अधिकारी नामित किया गया था. नितिन रमेश गोकर्ण ने बताया कि प्रकरण में जांच अधिकारी द्वारा अपने पत्र 15.09.2022 के माध्यम से जांच आख्या शासन को उपलब्ध कराई गई. जांच अधिकारी द्वारा आख्या में अधिकारी के ऊपर लगाए गए समस्त आरोपों को सिद्ध नहीं पाया है. जांच अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराई गई जांच आख्या एवं इस सम्बन्ध में शासन स्तर पर उपलब्ध सुसंगत अभिलेखों के आधार पर इन्दु शेखर सिंह, तत्कालीन मुख्य अभियन्ता को दंड मुक्त करते हुए यह जांच समाप्त की गई है. जिस के संबंध में राज्यपाल उत्तर प्रदेश का भी आदेश लिया गया है.बता दें, पिछले साल एलडीए के पूर्व मुख्य अभियंता इंदु शेखर सिंह को हटा दिया गया था. हटाए जाने के पीछे वजह यह बताई जा रही थी कि उन्होंने निवर्तमान मंडल आयुक्त के सरकारी आवास में 81 लाख रुपये खर्च करके मरम्मत कराने से इंकार कर दिया था. जिसके बाद उनको एलडीए से हटाकर आवास बंधु से संबद्ध कर दिया गया था. पूरा मामला उजागर हुआ तो उसके बाद शासन ने ना केवल मंडलायुक्त रंजन कुमार का तबादला कर दिया, बल्कि इस पूरे प्रकरण की गाज पूर्व उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी पर भी गिरी. जिसके बाद पूर्व मुख्य अभियंता के रिटायरमेंट के दौरान विदाई की पार्टी लखनऊ विकास प्राधिकरण में दी गई. खुद वर्तमान उपाध्यक्ष डॉ. इंद्रमणि ने बुके देकर उनका मान बढ़ाया. ब्यूरोक्रेसी के सूत्रों का कहना है कि इंदु शेखर सिंह को यह सम्मान शासन स्तर पर दिए गए निर्देशों के बाद मिला है.ये भी पढ़ें : प्रदेश में मिले 446 कोविड पॉजिटिव मरीज, लखनऊ में सबसे अधिक

लखनऊ : लखनऊ विकास प्राधिकरण के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता इंदु शेखर सिंह ने मंडलायुक्त रंजन कुमार के सरकारी आवास में 81 लाख रुपये की खर्च की फाइल रोक दी थी. जिसकी खुन्नस में उनके खिलाफ जांच का आगाज हो गया. सेवानिवृत्ति से ठीक पहले उनको एलडीए से हटा दिया गया था. यह बात दीगर है कि इस मामले में बाद में तत्कालीन मंडलायुक्त और तत्कालीन उपाध्यक्ष लखनऊ विकास प्राधिकरण को भी उनके पदों से हटाया गया था. इस मामले में आवास विभाग ने राज्यपाल के आदेश से जांच पूरी करते हुए इंदु शेखर सिंह को क्लीन चिट बुधवार को दे दी है.

आईएएस अधिकारी ने एलडीए के पूर्व मुख्य अभियंता को जांच में फंसाया, मिली क्लीनचिट.
आईएएस अधिकारी ने एलडीए के पूर्व मुख्य अभियंता को जांच में फंसाया, मिली क्लीनचिट.
प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण की ओर से जारी शासनादेश में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश विकास प्राधिकरण केन्द्रीयित सेवा के इन्दु शेखर सिंह, मुख्य अभियन्ता, लखनऊ विकास प्राधिकरण, लखनऊ की तैनाती अवधि में लखनऊ विकास प्राधिकरण के निविदा कार्यों में की गई अनियमितता एवं भ्रष्टचार में प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया था. उनके विरुद्ध विभागीय अनुशासनिक जांच की कार्यवाही शुरू की गई थी. विभागीय अनुशासनिक जॉच की कार्यवाही के संचालनार्थ आयुक्त, आवास एवं विकास परिषद, लखनऊ को पदनाम से जांच अधिकारी नामित किया गया था. नितिन रमेश गोकर्ण ने बताया कि प्रकरण में जांच अधिकारी द्वारा अपने पत्र 15.09.2022 के माध्यम से जांच आख्या शासन को उपलब्ध कराई गई. जांच अधिकारी द्वारा आख्या में अधिकारी के ऊपर लगाए गए समस्त आरोपों को सिद्ध नहीं पाया है. जांच अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराई गई जांच आख्या एवं इस सम्बन्ध में शासन स्तर पर उपलब्ध सुसंगत अभिलेखों के आधार पर इन्दु शेखर सिंह, तत्कालीन मुख्य अभियन्ता को दंड मुक्त करते हुए यह जांच समाप्त की गई है. जिस के संबंध में राज्यपाल उत्तर प्रदेश का भी आदेश लिया गया है.बता दें, पिछले साल एलडीए के पूर्व मुख्य अभियंता इंदु शेखर सिंह को हटा दिया गया था. हटाए जाने के पीछे वजह यह बताई जा रही थी कि उन्होंने निवर्तमान मंडल आयुक्त के सरकारी आवास में 81 लाख रुपये खर्च करके मरम्मत कराने से इंकार कर दिया था. जिसके बाद उनको एलडीए से हटाकर आवास बंधु से संबद्ध कर दिया गया था. पूरा मामला उजागर हुआ तो उसके बाद शासन ने ना केवल मंडलायुक्त रंजन कुमार का तबादला कर दिया, बल्कि इस पूरे प्रकरण की गाज पूर्व उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी पर भी गिरी. जिसके बाद पूर्व मुख्य अभियंता के रिटायरमेंट के दौरान विदाई की पार्टी लखनऊ विकास प्राधिकरण में दी गई. खुद वर्तमान उपाध्यक्ष डॉ. इंद्रमणि ने बुके देकर उनका मान बढ़ाया. ब्यूरोक्रेसी के सूत्रों का कहना है कि इंदु शेखर सिंह को यह सम्मान शासन स्तर पर दिए गए निर्देशों के बाद मिला है.ये भी पढ़ें : प्रदेश में मिले 446 कोविड पॉजिटिव मरीज, लखनऊ में सबसे अधिक
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