लखनऊ: मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुशील कुमारी ने तब्लीगी जमात के सात विदेशी नागरिकों को महामारी व अन्य अधिनियम के तहत लगाए गए आरोपों से बरी कर दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त इदरश उमर, अदेकुशतिवा, समशुल हदी, इमाम सफी, सारनो, हेनडेरा सिमबोलो, सतीजो जोडिसोनो बेदजो व डेडिक स्कन्दर के खिलाफ आरोप गठित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं. कोर्ट ने यह आदेश अभियुक्तों की डिस्चार्ज अर्जी पर दिया है. साथ ही यह भी आदेश दिया कि अभियुक्तों का व्यक्तिगत बंधपत्र व निजी हलफनामा केंद्र सरकार द्वारा कृत किसी भी कार्यवाही के पश्चात ही निरस्त किए जाएंगे.
इन अभियुक्तों को दी गई राहत
अभियुक्तों की ओर से कहा गया कि वे वैध वीजा व पासपोर्ट पर इंडोनेशिया से आए थे. इंडोनेशिया में कोविड-19 का पहला मामला 2 मार्च, 2020 को प्रकाश में आया था, जबकि अभियुक्तगण भारत में 20 जनवरी को ही आ चुके थे. सीजेएम ने इसके साथ ही तब्लीगी जमात के 10 भारतीय अभियुक्त अशरफ पीके, शहजहान अली, ख्वाजा सबीहुद्दीन, मो. शकील, मो. अहमद, डा. मसीउल्ला खान, मो. तारिख, वसीम अहमद, मो. मुस्तफा व रिजवानुल हक को भी आईपीसी की धारा 188, 269, 270, 271 व विदेशी विषयक अधिनियम की धारा 14 सी तथा महामारी अधिनियम की धारा-3 के आरोपों से बरी कर दिया है. साथ ही आपराधिक साजिश के आरोप से अभियुक्त प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद को भी बरी कर दिया गया है.
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