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हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जिला जजों को दिए निर्देश, स्पष्ट रूप से लिखे जाएं अदालती आदेश - लखनऊ का समाचार

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने एक आदेश में कहा है कि अदालती आदेश स्पष्ट और पठनीय होनी चाहिए. न्यायालय ने कहा है कि अधीनस्थ अदालतों के क्लर्क और पेशकार इस बात का ध्यान रखें. वरना इसे कदाचार माना जाएगा.

HC की लखनऊ बेंच ने जिला जजों को दिए निर्देश
HC की लखनऊ बेंच ने जिला जजों को दिए निर्देश
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Published : Nov 2, 2021, 9:34 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने एक आदेश में कहा है कि अदालती आदेश स्पष्ट और पठनीय होने चाहिए. ये आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने अपने सामने आए कुछ अस्पष्ट अदालती आदेशों पर टिप्पणी करते हुए कही. कोर्ट ने कहा है कि अधीनस्थ अदालतों के क्लर्क और पेशकार इस बात पर ध्यान रखें. अगर वो ऐसा नहीं करते हैं, तो ये कदाचार माना जाएगा.

न्यायालय ने कहा कि इनमें अस्पष्ट लिखे हुए कुछ आदेश पूरी तरह अवैध थे. इसी के साथ न्यायालय ने सभी जनपद न्यायाधीशों को भी निर्देश दिया है कि वे अपने न्यायालयों में कार्यरत लिपिकों और पेशकारों को ताकीद करें कि वे अदालती आदेश ठीक और स्पष्ट तरीके से लिखा करें. इस मामले में न्यायालय एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. न्यायालय ने जब निचली अदालत के आदेशों को देखा तो पाया कि उनमें बहुत से आदेश पढ़ने योग्य ही नहीं थे. जिसकी वजह से न्यायालय किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही थी. इस पर न्यायालय ने गम्भीर चिंता जताते हुए कहा कि सभी ऑर्डर शीट्स स्पष्ट रूप से और पठनीय लिखे जाने चाहिए. आदेश इस तरह से लिखित हों कि न सिर्फ अधिवक्ता बल्कि वादकारी भी इसे आराम से पढ लें और समझ लें.

इसे भी पढ़ें- आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक व्यापारी ने दूसरे व्यापारी की साथियों के साथ मिलकर कर दी हत्या

न्यायालय ने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया जाता तो इसे कदाचार माना जाएगा. इसमें संबंधित अधिकारी को स्पष्टीकरण देना होगा. इसके बाद अगर इसमें लापरवाही पाई जाती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है.

इसे भी पढ़ें- लखीमपुर हिंसा मामला: तीन और आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज, आशीष की जमानत पर सुनवाई कल

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने एक आदेश में कहा है कि अदालती आदेश स्पष्ट और पठनीय होने चाहिए. ये आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने अपने सामने आए कुछ अस्पष्ट अदालती आदेशों पर टिप्पणी करते हुए कही. कोर्ट ने कहा है कि अधीनस्थ अदालतों के क्लर्क और पेशकार इस बात पर ध्यान रखें. अगर वो ऐसा नहीं करते हैं, तो ये कदाचार माना जाएगा.

न्यायालय ने कहा कि इनमें अस्पष्ट लिखे हुए कुछ आदेश पूरी तरह अवैध थे. इसी के साथ न्यायालय ने सभी जनपद न्यायाधीशों को भी निर्देश दिया है कि वे अपने न्यायालयों में कार्यरत लिपिकों और पेशकारों को ताकीद करें कि वे अदालती आदेश ठीक और स्पष्ट तरीके से लिखा करें. इस मामले में न्यायालय एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. न्यायालय ने जब निचली अदालत के आदेशों को देखा तो पाया कि उनमें बहुत से आदेश पढ़ने योग्य ही नहीं थे. जिसकी वजह से न्यायालय किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही थी. इस पर न्यायालय ने गम्भीर चिंता जताते हुए कहा कि सभी ऑर्डर शीट्स स्पष्ट रूप से और पठनीय लिखे जाने चाहिए. आदेश इस तरह से लिखित हों कि न सिर्फ अधिवक्ता बल्कि वादकारी भी इसे आराम से पढ लें और समझ लें.

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न्यायालय ने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया जाता तो इसे कदाचार माना जाएगा. इसमें संबंधित अधिकारी को स्पष्टीकरण देना होगा. इसके बाद अगर इसमें लापरवाही पाई जाती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है.

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