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व्यवसायिक वाहनों के लिए पार्किंग की करें व्यवस्था, रास्तों पर न रुकें गाड़ियां: हाईकोर्ट

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Published : May 16, 2022, 10:04 PM IST

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों की उच्च स्तरीय ट्रैफिक कमेटी (high level traffic committee) को आदेश दिया है कि वह जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए योजना बनाए. न्यायालय ने कहा कि इसके पहले कमेटी स्वयं इस समस्या के वजहों को समझे.

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हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों की उच्च स्तरीय ट्रैफिक कमेटी (high level traffic committee) को आदेश दिया है कि वह जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए योजना बनाए. न्यायालय ने कहा कि इसके पहले कमेटी स्वयं इस समस्या के वजहों को समझे. न्यायालय ने इस बात पर भी जोर दिया है कि व्यवसायिक वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था की जाए और उन्हें सड़कों पर खड़ा न होने दिया जाए. न्यायालय इस मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को करेगी.

न्यायालय ने कमेटी को अगले चार सप्ताह के भीतर एक मीटिंग करने को भी कहा है. मीटिंग में विभिन्न विभागों और एजेंसियों से आए प्रस्तावों पर भी गौर करने का आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर (Justice Alok Mathur) की एकल पीठ ने संजय कुमार वर्मा की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर पारित किया. याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल कर लखनऊ के पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर (Lucknow Police Commissioner DK Thakur) ने बताया कि कमता तिराहे और पॉलीटेक्निक चौराहे समेत शहर के सभी तिराहों-चौराहों पर पर्याप्त मात्रा में पुलिस की ड्यूटी लगाई गई है.

उन्होंने पिछले 6 महीने में ट्रैफिक रूल्स तोड़ने वालों के चालान, गाड़ियों के सीज करने और एफआईआर दर्ज किए जाने का विस्तृत ब्यौरा दिया. उन्होंने बताया कि परिवहन निगम की बसें सड़कों पर खड़ी होकर यात्रियों को उतारती चढ़ाती हैं. यह भी जाम की एक बड़ी वजह है. उन्होंने बताया कि 1 नवम्बर 2021 से 30 अप्रैल 2022 तक ऐसी 464 बसों का चालान किया जा चुका है. ई-रिक्शा के मुख्य मार्गों पर चलने पर 12 मई 2022 को रोक लगाए जाने की जानकारी भी दी गई.

इसे भई पढ़ेंः "ताजमहल पर एमए करो, पीएचडी करो रिसर्च करो", HC की याचिकाकर्ता को फटकार, PIL ख़ारिज

वहीं, न्यायालय ने परिवहन निगम को यह बताने का आदेश दिया है कि परिवहन निगम और लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस की जिन बसों का चालान हुआ है. उनके ड्राइवरों और कंडक्टरों पर क्या कार्रवाई की गई. सुनवाई के दौरान यह भी उम्मीद जताई गई कि आउटर रिंग रोड के पूरी तरह चालू होने पर ट्रैफिक की समस्या से कुछ हद तक निजात मिलेगी. न्यायालय ने यह भी पूछा है कि आउटर रिंग रोड कब तक पूरी तरह शुरू की जाएगी. सुनवाई के दौरान व्यवसायिक वाहनों के सड़कों पर खड़े हो जाने को जाम की समस्या की बड़ी वजह बताया गया.

उल्लेखनीय है कि, इस याचिका में कहा गया है कि 5 जुलाई 2017 को हाईकोर्ट ने एक आदेश पारित करते हुए हाईकोर्ट के आसपास सुचारू रूप से ट्रैफिक चलाने के लिए कदम उठाने का आदेश दिया था. बावजूद इसके आदेश के अनुपालन के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है. हालांकि न्यायालय को बताया गया कि आदेश के अनुपालन में गृह विभाग, लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, एलडीए, नगर निगम, शहरी नियोजन और विकास विभाग और यूपीएसआरटीसी इत्यादि विभागों की उच्च स्तरीय ट्रैफिक कमेटी का गठन किया गया है.

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लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों की उच्च स्तरीय ट्रैफिक कमेटी (high level traffic committee) को आदेश दिया है कि वह जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए योजना बनाए. न्यायालय ने कहा कि इसके पहले कमेटी स्वयं इस समस्या के वजहों को समझे. न्यायालय ने इस बात पर भी जोर दिया है कि व्यवसायिक वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था की जाए और उन्हें सड़कों पर खड़ा न होने दिया जाए. न्यायालय इस मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को करेगी.

न्यायालय ने कमेटी को अगले चार सप्ताह के भीतर एक मीटिंग करने को भी कहा है. मीटिंग में विभिन्न विभागों और एजेंसियों से आए प्रस्तावों पर भी गौर करने का आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर (Justice Alok Mathur) की एकल पीठ ने संजय कुमार वर्मा की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर पारित किया. याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल कर लखनऊ के पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर (Lucknow Police Commissioner DK Thakur) ने बताया कि कमता तिराहे और पॉलीटेक्निक चौराहे समेत शहर के सभी तिराहों-चौराहों पर पर्याप्त मात्रा में पुलिस की ड्यूटी लगाई गई है.

उन्होंने पिछले 6 महीने में ट्रैफिक रूल्स तोड़ने वालों के चालान, गाड़ियों के सीज करने और एफआईआर दर्ज किए जाने का विस्तृत ब्यौरा दिया. उन्होंने बताया कि परिवहन निगम की बसें सड़कों पर खड़ी होकर यात्रियों को उतारती चढ़ाती हैं. यह भी जाम की एक बड़ी वजह है. उन्होंने बताया कि 1 नवम्बर 2021 से 30 अप्रैल 2022 तक ऐसी 464 बसों का चालान किया जा चुका है. ई-रिक्शा के मुख्य मार्गों पर चलने पर 12 मई 2022 को रोक लगाए जाने की जानकारी भी दी गई.

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वहीं, न्यायालय ने परिवहन निगम को यह बताने का आदेश दिया है कि परिवहन निगम और लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस की जिन बसों का चालान हुआ है. उनके ड्राइवरों और कंडक्टरों पर क्या कार्रवाई की गई. सुनवाई के दौरान यह भी उम्मीद जताई गई कि आउटर रिंग रोड के पूरी तरह चालू होने पर ट्रैफिक की समस्या से कुछ हद तक निजात मिलेगी. न्यायालय ने यह भी पूछा है कि आउटर रिंग रोड कब तक पूरी तरह शुरू की जाएगी. सुनवाई के दौरान व्यवसायिक वाहनों के सड़कों पर खड़े हो जाने को जाम की समस्या की बड़ी वजह बताया गया.

उल्लेखनीय है कि, इस याचिका में कहा गया है कि 5 जुलाई 2017 को हाईकोर्ट ने एक आदेश पारित करते हुए हाईकोर्ट के आसपास सुचारू रूप से ट्रैफिक चलाने के लिए कदम उठाने का आदेश दिया था. बावजूद इसके आदेश के अनुपालन के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है. हालांकि न्यायालय को बताया गया कि आदेश के अनुपालन में गृह विभाग, लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, एलडीए, नगर निगम, शहरी नियोजन और विकास विभाग और यूपीएसआरटीसी इत्यादि विभागों की उच्च स्तरीय ट्रैफिक कमेटी का गठन किया गया है.

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