लखनऊः हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने गायत्री प्रजापति के खिलाफ मनी लॉड्रिंग के मामलों में चल रही प्रक्रिया पर फिलहाल कोई भी अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया है. न्यायालय ने गायत्री प्रजापति के खिलाफ चल रही उक्त प्रक्रिया को अपने अग्रिम अथवा अंतिम आदेशों के अधीन कर लिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति रविनाथ तिलहरी की खंडपीठ ने सपा सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की याचिका पर दिया.
याचिका में गायत्री प्रजापति के खिलाफ मनी लॉड्रिंग अधिनियम के तहत चल रही प्रक्रिया, उसकी सम्पत्ति अटैच किए जाने व कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी गई है. याचिका में मनी लॉंड्रिंग अधिनियम के कुछ प्रावधानों को भी असंवैधानिक बताते हुए, उन्हें रद्द किए जाने की मांग की गई है. हालांकि न्यायालय ने पाया कि उक्त प्रावधानों को पहले भी दिल्ली हाईकोर्ट व मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है. इस समय यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में भी लम्बित है. इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने कहा कि फिलहाल याची कोई राहत नहीं दी जा सकती. हालांकि न्यायालय ने गायत्री प्रजापति के खिलाफ मनी लॉड्रिंग एक्ट के तहत चल रही प्रक्रिया व सम्पत्ति अटैच किए जाने को अपने अंतिम आदेशों के अधीन कर लिया है.
बता दें कि गायत्री प्रजापति को दुष्कर्म के एक मामले में लखनऊ पुलिस ने वर्ष 2017 में गिरफ्तार कर जेल भेजा था और वह लखनऊ जेल में बंद हैं. गायत्री प्रजापति के खिलाफ गाजीपुर और गोमती नगर विस्तार थाने में जालसाजी समेत कई और मुकदमे भी दर्ज हैं. विजिलेंस ने भी आय से छह गुना अधिक संपत्ति के मामले में गायत्री प्रजापति पर मुकदमा दर्ज किया है.