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लखनऊ: नगर निगम की अरबों की जमीन की नीलामी प्रक्रिया निरस्त

उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंंच ने राजधानी में अपट्रॉन इंडिया लिमिटेड को पट्टे पर दी गयी नगर निगम की लाखों वर्गफीट की जमीन की नीलामी प्रक्रिया को निरस्त कर दिया है. आईएफसीआई लिमिटेड कर रही थी सलेज फॉर्म स्थित जमीन की नीलामी.

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Published : May 3, 2020, 10:00 PM IST

decision of high court lucknow bench
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का फैसला


लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जुगौली ग्राम स्थित 2 लाख 17 हजार 936 वर्गफीट जमीन के नीलामी प्रक्रिया को रद्द कर दिया है. साथ ही न्यायालय ने नीलामी प्रक्रिया करने वाली आईएफसीआई लिमिटेड की उस याचिका को भी खारिज कर दिया है, जिसमें उसने लखनऊ नगर निगम को नीलामी प्रक्रिया में हस्तक्षेप न करने का आदेश देने की मांग की थी.


न्यायमूर्ति अनिल कुमार व न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने नगर निगम व आईएफसीआई लिमिटेड की ओर से दाखिल दो अलग-अलग याचिकाओं को सुनने के बाद यह आदेश दिया. नगर निगम की याचिका में सलेज फॉर्म की जमीन की नीलामी प्रक्रिया को रद्द किये जाने की मांग की गई थी. जबकि आईएफसीआई की याचिका में नगर निगम को हस्तक्षेप से रोकने व लीज डीड को बढ़ाने का आदेश देने की मांग की गई थी.

दरअसल 23 मई 1985 को उक्त जमीन अपट्रॉन इंडिया लिमिटेड को 30 वर्ष के लीज पर दी गई थी. घाटे में चल रही इस कम्पनी ने उक्त जमीन को बन्धक रखकर कर्ज लिया था. जमीन को बन्धक रखने के लिए लखनऊ नगर निगम ने अनापत्ति प्रमाण पत्र भी दिया था. बाद में कर्ज न चुका पाने की स्थिति में आईएफसीआई ने जमीन के नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी. इस पर नगर निगम ने हस्तक्षेप करते हुए, लीज डीड को कैंसिल करने का नोटिस अखबारों में छपवा दिया. जिसके बाद यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया.


न्यायालय ने अपने विस्तृत आदेश में कहा कि, अपट्रॉन महज पट्टेदार था लिहाजा मात्र अपने किराएदारी के अधिकार को ही बन्धक रख सकता था. इस प्रकार आईएफसीआई को भी पट्टे का ही अधिकार प्राप्त था. जो वर्ष 2015 में समाप्त हो गया. न्यायालय ने इस आधार पर आईएफसीआई द्वारा की जा रही नीलामी प्रक्रिया को सही नहीं माना और इसे रद्द कर दिया. इसके साथ ही अदालत ने नीलामी के लिए शालीमार कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा जमा की गयी बिड राशि को भी वापिस करने का आदेश दिया.


लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जुगौली ग्राम स्थित 2 लाख 17 हजार 936 वर्गफीट जमीन के नीलामी प्रक्रिया को रद्द कर दिया है. साथ ही न्यायालय ने नीलामी प्रक्रिया करने वाली आईएफसीआई लिमिटेड की उस याचिका को भी खारिज कर दिया है, जिसमें उसने लखनऊ नगर निगम को नीलामी प्रक्रिया में हस्तक्षेप न करने का आदेश देने की मांग की थी.


न्यायमूर्ति अनिल कुमार व न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने नगर निगम व आईएफसीआई लिमिटेड की ओर से दाखिल दो अलग-अलग याचिकाओं को सुनने के बाद यह आदेश दिया. नगर निगम की याचिका में सलेज फॉर्म की जमीन की नीलामी प्रक्रिया को रद्द किये जाने की मांग की गई थी. जबकि आईएफसीआई की याचिका में नगर निगम को हस्तक्षेप से रोकने व लीज डीड को बढ़ाने का आदेश देने की मांग की गई थी.

दरअसल 23 मई 1985 को उक्त जमीन अपट्रॉन इंडिया लिमिटेड को 30 वर्ष के लीज पर दी गई थी. घाटे में चल रही इस कम्पनी ने उक्त जमीन को बन्धक रखकर कर्ज लिया था. जमीन को बन्धक रखने के लिए लखनऊ नगर निगम ने अनापत्ति प्रमाण पत्र भी दिया था. बाद में कर्ज न चुका पाने की स्थिति में आईएफसीआई ने जमीन के नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी. इस पर नगर निगम ने हस्तक्षेप करते हुए, लीज डीड को कैंसिल करने का नोटिस अखबारों में छपवा दिया. जिसके बाद यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया.


न्यायालय ने अपने विस्तृत आदेश में कहा कि, अपट्रॉन महज पट्टेदार था लिहाजा मात्र अपने किराएदारी के अधिकार को ही बन्धक रख सकता था. इस प्रकार आईएफसीआई को भी पट्टे का ही अधिकार प्राप्त था. जो वर्ष 2015 में समाप्त हो गया. न्यायालय ने इस आधार पर आईएफसीआई द्वारा की जा रही नीलामी प्रक्रिया को सही नहीं माना और इसे रद्द कर दिया. इसके साथ ही अदालत ने नीलामी के लिए शालीमार कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा जमा की गयी बिड राशि को भी वापिस करने का आदेश दिया.

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