लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंगलवार को अहिमामऊ में नहर से लगी हुई सिंचाई विभाग की जमीन को प्राईवेट बिल्डर को दिए जाने और बिल्डर द्वारा एक निजी स्कूल को दिए जाने के मामले की प्राथमिक जांच सीबीआई को करने के आदेश दिए हैं. न्यायालय ने 24 मई तक जांच की प्रोग्रेस रिपोर्ट देने व 22 अगस्त तक जांच पूरी कर अंतिम रिपोर्ट देने के भी आदेश सीबीआई को दिए हैं.
यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने भरत किशोर सिन्हा की ओर से दाखिल एक सेवा सम्बंधी याचिका पर दिए हैं. सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि अहिमामऊ माइनर से लगी सिंचाई विभाग की जमीन को एक बड़े बिल्डर ग्रुप को दे दी गई. जिसके द्वारा बाद में यही जमीन एक प्राइवेट स्कूल को स्थानांतरित कर दी गई. न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए पिछली सुनवाई पर ही कहा था कि सिंचाई विभाग की उक्त जमीन को सरकार में बैठे उच्च अधिकारियों, एलडीए और सिंचाई विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से पहले अवैध कब्जा करवाया गया है.
फिर उस पर एक स्कूल की भव्य इमारत खड़ी कर दी गई. न्यायालय के आदेश के अनुपालन में सीबीआई की एसपी शिवानी तिवारी ने कोर्ट में उपस्थित होकर बताया कि सीबीआई द्वारा उनके नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया है. जो 4 महीने में प्राथमिक जांच की रिपोर्ट दे सकती हैं. इस पर न्यायालय ने उपरोक्त आदेश पारित किया है. इसके साथ ही न्यायालय ने उक्त जमीन पर बने प्राइवेट स्कूल के निर्माण को पिछले दिनों गिरवाए जाने के कारण एकत्रित हुए मलबे को भी हटाने के आदेश दिए है. साथ ही अवैध कब्जेदारों से राजस्व संहिता के तहत कार्रवाई कर क्षतिपूर्ति व जुर्माना भी वसूलने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी.
हाईकोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशक को असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयनित करने का निर्देश दिया: मंगलवार को यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने गौरव सिंह व 7 अन्य की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. अवमानना याचिका के अनुसार हाईकोर्ट ने याचियों की याचिका पर सुनवाई के बाद चयनित अभ्यर्थियों को संस्थानों में रखे जाने का निर्देश दिया था. अवमानना याचिका में आरोप है कि उस आदेश के अनुपालन में अब तक याचियों की ज्वाइनिंग का आदेश नहीं किया गया है.
उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा आयोग की ओर से कहा गया है कि आयोग का कोरम पूरा नहीं होने के कारण याचियों को पदस्थापन के लिए आवश्यक आदेश नहीं हो सका है. यह भी कहा गया कि याचियों के संदर्भ में उच्च शिक्षा निदेशक आवश्यक आदेश कर सकते हैं. इस पर कोर्ट ने याचियों के अधिवक्ता से उच्च शिक्षा निदेशक को अवमानना याचिका में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है. साथ ही उच्च शिक्षा निदेशक से कोर्ट के 18 नवंबर 2022 के आदेश का अनुपालन करते हुए याचियों की नियुक्ति के लिए आवश्यक आदेश करने को कहा है.
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