लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुर्नवास विश्वविद्यालय लखनऊ में 2020- 2021 में प्रोफेसरों के 107 पदों पर भर्ती के लिए निकाले गए विज्ञापन में दिव्यांगजनों के लिए आरक्षण की व्यवस्था न करने पर विश्वविद्यालय से जवाब-तलब किया है. हाईकोर्ट के रुख को देखते हुए विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया 19 अप्रैल को कार्य परिषद की होने वाली बैठक में इस गलती को सुधार लिया जाएगा. इस पर न्यायालय ने विश्वविद्यालय से कृत कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है.
यह आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय (Justice Devendra Kumar Upadhyay) और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी (Justice Subhash Vidyarthi) की खंडपीठ ने ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इंडिया (All India Federation of India), दिल्ली की सचिव गौरी सेन और नेशनल एसोसिएशन आफ विजुअली हैन्डीकैप (National Association of Visually Handicap) की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया.
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याचिका में कहा गया कि विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर आज तक वहां की गयी भर्तियों व प्रोन्नतियों में दिव्यांगजनों को कोई आरक्षण नहीं दिया गया है जबकि विश्वविद्यालय का मूल उद्देश्य ही दिव्यांगजनों का कल्याण और उनका पुर्नवास करना है. कहा गया कि वर्ष 2020- 2021 में विश्वविद्यालय ने शैक्षिक पदों की 107 भर्तियां निकालीं लेकिन उसमें भी दिव्यांगजनों को कोई आरक्षण निर्धारित नहीं किया जबकि 2016 और 2018 में दिव्यांगजनों के लिए बने कानूनों में उन्हें चार प्रतिशत आरक्षण देने की स्पष्ट व्यवस्था है.
सुनवाई के समय विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सुदीप सेठ ने कहा कि 19 अप्रैल को कार्य परिषद की होने वाली बैठक में इस गलती को सुधार लिया जाएगा. इस पर पीठ ने कहा कि हम आशा करते हैं कि कार्य परिषद विश्वविद्यालय के गठन के उद्देष्य को ध्यान में रखकर निर्णय करेगा.
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