लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में स्पष्ट किया है कि, धोखाधड़ी की आरोपी निजी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग के लिए नेशनल कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी NCLAT के समक्ष वाद दायर किया जाना चाहिए न कि हाईकोर्ट के समक्ष. न्यायालय ने कहा कि हाईकोर्ट इसके लिए यथोचित फोरम नहीं है. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने राजकुमार शुक्ला की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया.
जानें पूरा मामला
याचिका में कहा गया था कि जनसमृद्धि एग्रो प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड और जनसंकल्प हित निधि लिमिटेड जैसी कंपनियों ने बड़ी संख्या में लोगों को झांसा देकर उनसे पैसे निवेश कराए, लेकिन अब वे उनके निवेश किए पैसे वापस देने को तैयार नहीं हैं. याचिका में यह स्थिति बताते हुए, न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की गई. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कोर्ट से कंपनियों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई के आदेश देने और कंपनियों से साठगांठ रखने वाले सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने की मांग की.
लेकिन, न्यायालय ने याचिका पर सीधे हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. न्यायालय ने कहा कि निजी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए याची को नेशनल कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल के समक्ष अपनी बात रखनी चाहिए. न्यायालय ने कहा कि निजी कंपनियों के वाइंड अप व अन्य किसी कार्रवाई का अधिकार ट्रिब्यूनल को प्राप्त है.