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इस कुंड में स्नान मात्र से पूरी होता है संतान कामना की इच्छा, लोलार्क छठ कल

सात वार और नौ त्योहार का शहर बनारस अपने आप में खास है. यहां हर पर्व के प्रति लोगों की अटूट आस्था और अनोखा विश्वास है. ऐसे में कल है सूर्यषष्ठी का महापर्व लोलार्क छठ. मान्यता है कि भदैनी स्थित लोलार्क कुंड में स्नान करने से संतान की प्राप्ति होती है.

सूर्य षष्ठी का महापर्व लोलार्क छठ कल
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Published : Sep 3, 2019, 12:39 PM IST

वाराणसीः भाद्रपद शुक्ल षष्ठी को लोलार्क षष्ठी के नाम से जाना जाता है. जो इस वर्ष बुधवार 4 सितम्बर को पड़ रही है. मान्यता है कि काशी स्थित लोलार्क कुंड पर स्नान करने से निसंतान दंपति को पुत्र की प्राप्ति होती है. संतान प्राप्ति की मान्यता के चलते हर साल लोलार्क छठ पर इस कुंड में डुबकी लगाने वालों की भारी भीड़ होती है.

सूर्य षष्ठी का महापर्व लोलार्क छठ.

इसे भी पढ़े- पद्मनाभस्वामी मंदिर के लिए बनाया जा रहा है 'ओनाविल्लू,' जानें कहानी

स्नान मात्र से मिलता है पुत्र प्राप्ति का वरदान

पूरे देश से निसंतान दंपति इस कुंड में स्नान करने आते हैं और पुत्र प्राप्ति का वरदान लेकर जाते हैं. इस कुंड में स्नान करने वाले निसंतान दंपति स्नान के बाद कपड़े कुंड में ही छोड़ देते हैं. लोलार्क षष्ठी पर लाखों की संख्या में होने वाली भीड़ के मद्देनजर जिला प्रशासन ने तैयारी पूरी कर ली है. जगह-जगह पर बैरिकेडिंग कर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम प्रशासन की तरफ से किए गए हैं.

इसे भी पढ़े- बिलासपुर: नैना देवी मंदिर में पहुंचे बड़ी संख्या में विदेशी, की पूजा

भगवान सूर्य देव शिवलिंग स्वरूप में हैं विराजमान

मान्यता है कि शिव भक्त विद्युन्माली दैत्य को जब सूर्य ने हरा दिया तब सूर्य पर क्रोधित हो भगवान रुद्र त्रिशूल हाथ में लेकर उनकी ओर दौड़े. उस समय सूर्य भागते-भागते पृथ्वी पर काशी में आकर गिरे. इसी से वहां उनका नाम लोलार्क पड़ा. कुंड के ऊपर भगवान सूर्य देव शिवलिंग स्वरूप में विराजमान हैं. मान्यता यह भी है कि यहीं पर सूर्य की पहली किरण पड़ती है और यहां स्नान करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति के साथ रोगों से मुक्ति मिलती है.

लोलार्क छठ महापर्व पर देश सहित विदेशों से भी भक्त यहां स्नान करने आते हैं. पुत्र रत्न की प्राप्ति की मनोकामना करते हैं और पुत्र रत्न प्राप्त होने पर यहां पर उसका मुंडन संस्कार भी कराया जाता है.
-विजय मिश्र, पंडित

वाराणसीः भाद्रपद शुक्ल षष्ठी को लोलार्क षष्ठी के नाम से जाना जाता है. जो इस वर्ष बुधवार 4 सितम्बर को पड़ रही है. मान्यता है कि काशी स्थित लोलार्क कुंड पर स्नान करने से निसंतान दंपति को पुत्र की प्राप्ति होती है. संतान प्राप्ति की मान्यता के चलते हर साल लोलार्क छठ पर इस कुंड में डुबकी लगाने वालों की भारी भीड़ होती है.

सूर्य षष्ठी का महापर्व लोलार्क छठ.

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स्नान मात्र से मिलता है पुत्र प्राप्ति का वरदान

पूरे देश से निसंतान दंपति इस कुंड में स्नान करने आते हैं और पुत्र प्राप्ति का वरदान लेकर जाते हैं. इस कुंड में स्नान करने वाले निसंतान दंपति स्नान के बाद कपड़े कुंड में ही छोड़ देते हैं. लोलार्क षष्ठी पर लाखों की संख्या में होने वाली भीड़ के मद्देनजर जिला प्रशासन ने तैयारी पूरी कर ली है. जगह-जगह पर बैरिकेडिंग कर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम प्रशासन की तरफ से किए गए हैं.

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भगवान सूर्य देव शिवलिंग स्वरूप में हैं विराजमान

मान्यता है कि शिव भक्त विद्युन्माली दैत्य को जब सूर्य ने हरा दिया तब सूर्य पर क्रोधित हो भगवान रुद्र त्रिशूल हाथ में लेकर उनकी ओर दौड़े. उस समय सूर्य भागते-भागते पृथ्वी पर काशी में आकर गिरे. इसी से वहां उनका नाम लोलार्क पड़ा. कुंड के ऊपर भगवान सूर्य देव शिवलिंग स्वरूप में विराजमान हैं. मान्यता यह भी है कि यहीं पर सूर्य की पहली किरण पड़ती है और यहां स्नान करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति के साथ रोगों से मुक्ति मिलती है.

लोलार्क छठ महापर्व पर देश सहित विदेशों से भी भक्त यहां स्नान करने आते हैं. पुत्र रत्न की प्राप्ति की मनोकामना करते हैं और पुत्र रत्न प्राप्त होने पर यहां पर उसका मुंडन संस्कार भी कराया जाता है.
-विजय मिश्र, पंडित

Intro:विशेष

सात वार और नो त्यौहार का शहर बनारस अपने आप में खास है यहां हर पर्व के प्रति लोगों की आस्था है और अनोखा विश्वास ऐसे में कल लोलार्क छठ का महापर्व है। अस्सी स्थित लोलार्क कुंड में मान्यता है कल के दिन पति पत्नी हाथ में फल लेकर स्नान करने से पुत्र की प्राप्ति होती है।


Body:लोलार्क कुंड में स्नान करने के लिए लगभग पूरे देश शहीद विदेश से दो लाख तक के लोग स्नान करते हैं। जिला प्रशासन ने भी अपनी तरफ से पूरी तैयारियां कर दी है जगह-जगह मार्केटिंग किए गए हैं छोटे-छोटे टुकड़ों में दर्शनार्थियों को कुंड की तरफ छोड़ा जाता है और उसके बाद जगह-जगह पर्दे भी लगाए गए हैं 3 किलोमीटर के इस बार कटिंग को कई टुकड़ों में बांटा गया है कि भक्त आराम से स्नान और दर्शन कर सकें।

कुंड के ऊपर भगवान सूर्य देव शिवलिंग स्वरूप में विराजमान करते हैं मान्यता यह है कि यहीं पर सूर्य की पहली किरण पड़ती है और यहां स्नान करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति के साथ कुछ तो रोगों से मुक्ति मिलती है।


Conclusion:पंडित विजय मिश्र का कहना है कि लोलार्क छठ का महापर्व है देश सहित विदेशों से भी भक्त यहां स्नान करने आते हैं पुत्र रत्न की प्राप्ति के साथ तो मनोकामना मांगते हैं और पुत्र रत्न प्राप्त होने पर यहां पर उसका मुंडन संस्कार भी कराया जाता है राजस्थान रात 12:00 बजे से शुरू हो जाएगा जो अगले दिन रात 12:00 बजे तक चलता रहेगा लाखों की संख्या में श्रद्धालु कुंड में स्नान करते हैं।

बाईट:-- विजय मिश्र,पंडित

अशुतोष उपाध्याय
9005099684
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