लखनऊ: लोकसभा अध्यक्ष ओम प्रकाश बिड़ला ने कहा कि लोकतंत्र को उच्च मापदंड पर स्थापित करने के लिए राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र की स्थापना हुई. दो दिवसीय सातवां सम्मेलन समाप्त हुआ. इससे पहले दिल्ली में बैठक हुई थी, जिसमें एजेंडा तय हुआ था. उससे भी पहले देहरादून में बैठक हुई थी. लखनऊ में हुए इस दो दिवसीय सम्मेलन में बहुत सारी चर्चाएं हुई हैं. मै उम्मीद करता हूं कि इससे देश की लोकतांत्रिक प्रणाली और मजबूत होगी.
दो विषयों पर हुई चर्चा
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि लखनऊ में दो विषय पर विशेष रूप से चर्चा हुई. पहला बजट प्रस्तावों की समीक्षा और जनप्रतिनिधियों की क्षमता बढ़ाने पर विचार. दूसरा विधायी कार्य में विधायक की भूमिका.
विधायकों और कर्मचारियों को दिया जाएगा प्रशिक्षण
उन्होंने कहा कि इस दो दिवसीय अधिवेशन में हमने कुछ निर्णय भी किया. 15 जनवरी को कार्यकारिणी की बैठक में हमने फैसला किया कि हमारी प्राइड संस्था समय-समय पर तीन वर्ष तक विधायकों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण देगी. ताकि विधायी कार्य हो, बजट हो या विधायक की भूमिका हो, इन सब पर हम वाद-विवाद और चर्चाओं को उच्च स्तर का बना सकें.
डिबेट को किया गया डिजिटल
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि हमने 40 लाख से अधिक डिबेट को डिजिटल कर दिया है. इसी तरीके से राज्य के अंदर भी विधानमंडल कार्यवाहियों को डिजिटल करने के लिए सहयोग करेंगे. ताकि वहां की भी लाइब्रेरी वहां की भी विधानमंडल की कार्यवाही डिजिटल हो जाएंगे तो दोनों को एक प्लेटफार्म पर देख सकेंगे.
पब्लिक अकाउंट्स कमेटी को होगा सम्मेलन
उन्होंने कहा कि इसी के साथ समय-समय पर बजटीय प्रावधानों के अंदर, जैसा कि आज चर्चा हुई, उसके लिए जो पब्लिक अकाउंट्स कमेटी है, उस कमिटी के 2021 में 100 साल होने वाले हैं. उसका एक सम्मेलन आयोजित करेंगे, जिसमें सभी राज्यों के पब्लिक अकाउंट कमेटी के चेयरमैन, वहां के सदस्य आपस में चर्चा करेंगे कि किस तरीके से उस समिति के माध्यम से बजटीय प्रावधानों, कार्यपालिका और सरकार के प्रदर्शन पर नियंत्रण हो सके.
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि देहरादून में पीठासीन अधिकारियों के अधिकार को सीमित करते हुए सदन को चलाने पर चर्चा हुई थी. लखनऊ में इन दो दिनों तक व्यापक चर्चा हुई है और इसके सकारात्मक परिणाम आएंगे. हम ऐसा चाहेंगे कि ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक जितने भी जनप्रतिनिधियों की चुनी हुई संस्थाएं हैं, उनका प्रशिक्षण समय-समय पर होते रहना चाहिए. इनमें संवाद का स्तर कम होता जा रहा है. नगर निगम, नगर पालिका से लेकर विधानमंडल और लोकसभा तक सदन ठीक से चले, इस पर भी विचार विमर्श हुआ है.