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लखनऊ: राष्ट्रीय लोक अदालत में आपसी सहमति से सुलझाए जाएंगे विवाद

राजधानी लखनऊ में 14 सितबंर को लोक अदालत लगाकर आपसी समझौते के आधार पर वाद का निपटारा किया जाएगा. इससे एक ओर लोगों को राहत मिलेगी तो वहीं कोर्ट में मुकदमों की संख्या कम होगी.

लखनऊ में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन.
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Published : Sep 13, 2019, 8:16 AM IST

Updated : Sep 13, 2019, 10:01 AM IST

लखनऊ: लोकतांत्रिक व्यवस्था में न्यायपालिका महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है. न्यायपालिका के पास अपार शक्तियां होने के बावजूद भी कई बार पीड़ित को समय से न्याय नहीं मिल पाता है, क्योंकि हमारी अदालतों में क्षमता से अधिक मुकदमे चल रहे हैं. इन मुकदमों की संख्या अधिक होने के चलते जहां पीड़ितों को समय से न्याय नहीं मिल पाता है, वहीं मुकदमे की पैरवी में समय और धन दोनों व्यय होता है. ऐसे में न्यायालय में चल रहे मुकदमे जिन्हें आपसी सहमति के आधार पर सुलझाया जा सकता है. इसके निपटारे के लिए लोक अदालत की व्यवस्था की गई है.

लखनऊ में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन.

समझौते के आधार पर किया जाएगा वाद का निपटारा
अभियान के तहत लोक अदालत लगाकर आपसी समझौते के आधार पर वाद का निपटारा किया जाता है, जिससे कोर्ट में मुकदमों की संख्या कम होती है और पीड़ितों को समय से न्याय मिलने में मदद होती है. पीड़ितों को समय से न्याय उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 14 सितंबर को सुबह 10 बजे से जिला न्यायालय लखनऊ में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें भूमि विवाद, बैंक वसूली, किराएदार वाद, नगर निगम, नगर पालिका कर वसूली वाद समेत 22 तरह के विवादों का निस्तारण आपसी समझौते के आधार पर किया जाएगा. 24 सितंबर को आयोजित होने वाली लोक अदालत से बड़ी संख्या में विवादों से निपटारा मिलेगा. इससे एक ओर लोगों को राहत मिलेगी तो वहीं कोर्ट में मुकदमों की संख्या कम होगी.

लखनऊ में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन
सुरेंद्र कुमार यादव अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण/ जनपद न्यायाधीश ने जानकारी देते हुए बताया कि दिनांक 14 सितबंर को सुबह 10 बजे से जनपद न्यायालय लखनऊ में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाना है, जिसमें भूमि अध्यापन वाद, बैंक वसूली वाद, किराया वाद समेत तमाम तरह के विवादों का निस्तारण किया जाएगा.

अपर जनपद न्यायाधीश अरविंद मिश्रा ने बताया कि न्यायालयों में भारी संख्या में वाद विचाराधीन हैं. ऐसे में लोक अदालत से इन वादों के निस्तारण करने में तेजी आती है. लोक अदालत में आपसी सहमति के आधार पर वादों का निस्तारण किया जाता है, जिससे दोनों पक्षों को राहत मिलती है तो वहीं न्यायालय में विचाराधीन वादों की संख्या में गिरावट आती है.

लखनऊ: लोकतांत्रिक व्यवस्था में न्यायपालिका महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है. न्यायपालिका के पास अपार शक्तियां होने के बावजूद भी कई बार पीड़ित को समय से न्याय नहीं मिल पाता है, क्योंकि हमारी अदालतों में क्षमता से अधिक मुकदमे चल रहे हैं. इन मुकदमों की संख्या अधिक होने के चलते जहां पीड़ितों को समय से न्याय नहीं मिल पाता है, वहीं मुकदमे की पैरवी में समय और धन दोनों व्यय होता है. ऐसे में न्यायालय में चल रहे मुकदमे जिन्हें आपसी सहमति के आधार पर सुलझाया जा सकता है. इसके निपटारे के लिए लोक अदालत की व्यवस्था की गई है.

लखनऊ में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन.

समझौते के आधार पर किया जाएगा वाद का निपटारा
अभियान के तहत लोक अदालत लगाकर आपसी समझौते के आधार पर वाद का निपटारा किया जाता है, जिससे कोर्ट में मुकदमों की संख्या कम होती है और पीड़ितों को समय से न्याय मिलने में मदद होती है. पीड़ितों को समय से न्याय उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 14 सितंबर को सुबह 10 बजे से जिला न्यायालय लखनऊ में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें भूमि विवाद, बैंक वसूली, किराएदार वाद, नगर निगम, नगर पालिका कर वसूली वाद समेत 22 तरह के विवादों का निस्तारण आपसी समझौते के आधार पर किया जाएगा. 24 सितंबर को आयोजित होने वाली लोक अदालत से बड़ी संख्या में विवादों से निपटारा मिलेगा. इससे एक ओर लोगों को राहत मिलेगी तो वहीं कोर्ट में मुकदमों की संख्या कम होगी.

लखनऊ में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन
सुरेंद्र कुमार यादव अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण/ जनपद न्यायाधीश ने जानकारी देते हुए बताया कि दिनांक 14 सितबंर को सुबह 10 बजे से जनपद न्यायालय लखनऊ में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाना है, जिसमें भूमि अध्यापन वाद, बैंक वसूली वाद, किराया वाद समेत तमाम तरह के विवादों का निस्तारण किया जाएगा.

अपर जनपद न्यायाधीश अरविंद मिश्रा ने बताया कि न्यायालयों में भारी संख्या में वाद विचाराधीन हैं. ऐसे में लोक अदालत से इन वादों के निस्तारण करने में तेजी आती है. लोक अदालत में आपसी सहमति के आधार पर वादों का निस्तारण किया जाता है, जिससे दोनों पक्षों को राहत मिलती है तो वहीं न्यायालय में विचाराधीन वादों की संख्या में गिरावट आती है.

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लखनऊ। लोकतांत्रिक व्यवस्था में न्यायपालिका महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है हमारी न्यायपालिका व्यवस्था इतनी सशक्त है कि एक पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाने में कारगर साबित हो रही है न्यायपालिका के पास अपार शक्तियां होने के बावजूद भी कई बार पीड़ित को समय से न्याय नहीं मिल पाता है क्योंकि हमारी कोर्टों में क्षमता से अधिक मुकदमे चल रहे हैं इन मुकदमों के संख्या के चलते जहां पीड़ित हो समय से न्याय नहीं मिल पाता है वही मुकदमे की पैरवी में समय व धन दोनों व्यय होता है ऐसे में न्यायालय में चल रहे वह मुकदमे जिन्हें आपसी सहमति के आधार पर सुलझाया जा सकता है के निपटारे के लिए कर लोक अदालत की व्यवस्था की गई है।




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लोक अदालत में अभियान के तहत लोक अदालत लगाकर आपसी समझौते के आधार पर वाद का निपटारा किया जाता है। जिससे कोर्ट में मुकदमों की संख्या कम होती है और पीड़ितों को समय से न्याय मिलने में मदद होती है। आपसी सहमति से विवाद के निपटाने व पीड़ितों को समय से न्याय उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार यादव के दिशानिर्देशों पर 14 सितंबर को सुबह 10:00 बजे से जनपद न्यायालय लखनऊ में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है जिसमें भूमि विवाद, बैंक वसूली, किराएदार वाद, नगर निगम, नगर पालिका कर वसूली वाद सहित 22 तरह के विवादों का निस्तारण आपसी समझौते के आधार पर किया जाएगा। 24 सितंबर को आयोजित होने वाली लोक अदालत से जहां बड़ी संख्या में विवादों से निपटारा मिलेगा इससे एक ओर लोगों को राहत मिलेगी तो वही कोर्ट में मुकदमों की संख्या कम होगी जिससे अन्य प्रकरणों पर शीघ्र सुनवाई संभव हो सकेगी।

बाइट

सुरेंद्र कुमार यादव अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण/ जनपद न्यायाधीश ने जानकारी देते हुए बताया कि दिनांक 14.9.2019 को प्रातः 10:00 बजे से जनपद न्यायालय लखनऊ में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाना सुनिश्चित किया गया है जिसमें भूमि अध्यापन वाद, बैंक वसूली वाद, किराया वाद सहित तमाम तरह के विवादों का निस्तारण किया जाएगा।


अपर जनपद न्यायाधीश अरविंद मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि न्यायालयों में भारी संख्या में वाद विचाराधीन है ऐसे में लोक अदालत से इन वादों के निस्तारण करने में तेजी आती है लोक अदालत में आपसी सहमति के आधार पर वादों का निस्तारण किया जाता है जिससे जहां एक और दोनों पक्षों को राहत मिलती है तो वही न्यायालय में विचाराधीन वादों की संख्या में गिरावट आती है।


Conclusion:संवाददाता
प्रशांत मिश्रा
90 2639 25 26
Last Updated : Sep 13, 2019, 10:01 AM IST
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