लखनऊ: बीते दशकों से अयोध्या राजनीतिक सरगर्मी का केंद्र रहा. राजनीतिक पार्टियां मंदिर और मस्जिद जैसे मुद्दे में उलझती रहीं. मगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ये मुद्दा सुलझ गया है. मंदिर निर्माण के साथ ही मस्जिद निर्माण के लिए भी कोर्ट ने पांच एकड़ जमीन IICF यानी, इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन को सौंप दी है. इसको लेकर IICF ट्रस्ट ने अपना आधिकारिक 'लोगो' भी जारी कर दिया. ट्रस्ट मस्जिद निर्माण को लेकर अपनी तैयारी शुरू कर चुका है. अयोध्या से तकरीबन 20 किलोमीटर दूर धन्नीपुर गांव में मिली जमीन को ट्रस्ट के अधिकारियों ने वहां खुद जाकर जांचा परखा. 5 एकड़ भूमि पर बनने वाली इस मस्जिद के साथ कम्युनिटी किचन, अस्पताल, शोध संस्थान जैसी जनसुविधाएं होंगी.
मस्जिद के निर्माण से पहले जारी किया गया ट्रस्ट का 'लोगो' अपने आप में इंडो इस्लामिक संस्कृति को समेटे हुए है. इस लोगो में हुमायूं के मकबरे में इस्तेमाल आर्किटेक्चर की नक्काशीदार झलक मिलती है. ये 'लोगो' किन तहजीबों को अपने में समाहित करता है इस सवाल पर ट्रस्ट का मानना है कि "बहुभुजी आकार का ये 'लोगो' दुनिया की तमाम तहजीबों की झलक अपने में दर्शाता है. एक तरफ अगर इसमें इंडो इस्लामिक कल्चर की झलक मिलती है, तो दूसरी तरफ ज्यूस और क्रिश्चियनिटी के साथ यहूदियों के आर्किटेक्चर का बखूबी इस्तेमाल किया गया है."
इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन में वैसे तो 15 सदस्य मौजूद होंगे, मगर अभी 9 सदस्यों के नाम का एलान हुआ है. ट्रस्ट के अध्यक्ष के तौर पर सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ज़ुफर अहमद फारूकी जिम्मेदारी संभालेंगे, तो वहीं ट्रस्ट के उपाध्यक्ष के तौर पर अदनान फारूक शाह के नाम पर मोहर लगी है. ट्रस्ट के प्रवक्ता और सचिव अतहर हुसैन हैं, वहीं फैज आफताब मस्जिद निर्माण ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष बने हैं. ट्रस्ट के संस्थापक सदस्य की हैसियत से सय्यद मोहम्मद शोएब को शामिल किया गया है, जबकि इमरान अहमद, मोहम्मद जुनैद सिद्दीकी, मोहम्मद राशिद, शेख सैदुज्जम्मान को ट्रस्ट के सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है.