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सपा सरकार के मंत्री राजकिशोर, प्रमुख सचिव समेत चार पर होगी एफआईआर, जानिए क्यों

पशुधन भर्ती घोटाले में सपा सरकार के मंत्री राजकिशोर, प्रमुख सचिव सहित चार के खिलाफ एफआईआर की अनुमति मांगी गई है. गृह विभाग की स्वीकृति मिलते ही एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्यवाही की जाएगी.

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Published : Apr 4, 2023, 8:32 AM IST

लखनऊ : पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी सरकार के कार्यकाल में हुए पशुधन भर्ती घोटाले में तत्कालीन विभागीय मंत्री राजकिशोर सिंह तत्कालीन प्रमुख सचिव योगेश कुमार सहित चार लोगों के खिलाफ एफआईआर की अनुमति मांगी गई है. वर्ष 2013-14 में पशुधन विभाग में पशुधन प्रसार अधिकारी भर्ती घोटाले में तत्कालीन मंत्री राजकिशोर और विभागीय प्रमुख सचिव योगेश कुमार के खिलाफ अनियमितता करने के पुख्ता सबूत राज्य विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) को मिले हैं. एसआईटी की तरफ से शासन से इन सभी लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही की अनुमति मांगी गई है. इस मामले में एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर 22 अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने की अनुमति पहले ही दी जा चुकी है और कार्यवाही की गई है.


वर्ष 2013-14 में समाजवादी पार्टी की सरकार के समय पशुधन प्रसार अधिकारियों की भर्ती में कई तरह की अनियमितताएं पकड़ में आई थीं. उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने पर वर्ष 2017 के दिसंबर में इस मामले में एसआईटी का गठन किया गया था. इस मामले में वर्ष 2018 में एसआईटी ने जांच रिपोर्ट दी थी. एसआईटी ने अंतिम विवेचना रिपोर्ट में कहा था कि भर्ती प्रक्रिया में मनमानी तरीके से अधिकारियों का चयन किया गया है. रिपोर्ट में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय व अपराधी कार्यवाही की संस्तुति की गई थी. साथ ही दस्तावेजी सबूतों को राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला में भेजकर जांच कराई गई थी. प्रयोगशाला की रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन पशुधन विभाग के प्रमुख सचिव योगेश कुमार, रायबरेली के फिरोज गांधी इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के तत्कालीन डायरेक्टर रामप्रताप शर्मा व तत्कालीन प्रशासक मोहम्मद इशरत हुसैन और तत्कालीन विभागीय मंत्री राज किशोर सिंह के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मांगी गई है. गृह विभाग की स्वीकृति मिलते ही एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्यवाही की जाएगी.


बता दें, वर्ष 2013-14 में समाजवादी पार्टी की सरकार के समय 1,000 से अधिक पशुधन प्रसार अधिकारियों की भर्ती के लिए 100 नंबरों के बजाय 80 नंबरों के लिए लिखित परीक्षा कराई गई और 20 नंबर इंटरव्यू के लिए रखे गए थे. साक्षात्कार के नंबरों के जरिए ही अभ्यर्थियों को चुनने की प्रक्रिया पूरी की गई. भर्ती की जांच योगी सरकार ने 28 दिसंबर 2017 को एसआईटी को सौंपी थी. 29 जुलाई 2021 को इस पूरे मामले में 28 लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी. इससे पहले 22 अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर की स्वीकृति दी गई थी और उनके खिलाफ कार्यवाही भी की गई है.


सूत्रों का कहना है कि पशुधन विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. रजनीश दुबे की तरफ से हाई कोर्ट में दिए गए शपथ पत्र में कहा गया है कि चयनित अभ्यर्थियों की 469 ओएमआर सीट व चयनित ना हो पाने वाले 223 अभ्यर्थियों की ओएमआर शीट कंप्यूटर और संबंधित हार्ड डिस्क जांच के लिए फॉरेंसिक साइंस लैब को भेजा गया है. लैब की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. हाईकोर्ट में दाखिल किए गए शपथ पत्र में यह भी कहा गया है कि संबंधित भर्तियों का रिजल्ट रद्द करने या कोई अन्य कार्यवाही पर भी निर्णय विचाराधीन है. सभी रिपोर्ट आने के बाद उच्च स्तर परमिलने वाले दिशा निर्देश के आधार पर कोई भी फैसला किया जा सकता है.


यह भी पढ़ें : परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और पूर्व मंत्री स्वाति सिंह का तलाक, फैमिली कोर्ट ने लगाई मुहर

लखनऊ : पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी सरकार के कार्यकाल में हुए पशुधन भर्ती घोटाले में तत्कालीन विभागीय मंत्री राजकिशोर सिंह तत्कालीन प्रमुख सचिव योगेश कुमार सहित चार लोगों के खिलाफ एफआईआर की अनुमति मांगी गई है. वर्ष 2013-14 में पशुधन विभाग में पशुधन प्रसार अधिकारी भर्ती घोटाले में तत्कालीन मंत्री राजकिशोर और विभागीय प्रमुख सचिव योगेश कुमार के खिलाफ अनियमितता करने के पुख्ता सबूत राज्य विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) को मिले हैं. एसआईटी की तरफ से शासन से इन सभी लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही की अनुमति मांगी गई है. इस मामले में एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर 22 अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने की अनुमति पहले ही दी जा चुकी है और कार्यवाही की गई है.


वर्ष 2013-14 में समाजवादी पार्टी की सरकार के समय पशुधन प्रसार अधिकारियों की भर्ती में कई तरह की अनियमितताएं पकड़ में आई थीं. उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने पर वर्ष 2017 के दिसंबर में इस मामले में एसआईटी का गठन किया गया था. इस मामले में वर्ष 2018 में एसआईटी ने जांच रिपोर्ट दी थी. एसआईटी ने अंतिम विवेचना रिपोर्ट में कहा था कि भर्ती प्रक्रिया में मनमानी तरीके से अधिकारियों का चयन किया गया है. रिपोर्ट में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय व अपराधी कार्यवाही की संस्तुति की गई थी. साथ ही दस्तावेजी सबूतों को राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला में भेजकर जांच कराई गई थी. प्रयोगशाला की रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन पशुधन विभाग के प्रमुख सचिव योगेश कुमार, रायबरेली के फिरोज गांधी इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के तत्कालीन डायरेक्टर रामप्रताप शर्मा व तत्कालीन प्रशासक मोहम्मद इशरत हुसैन और तत्कालीन विभागीय मंत्री राज किशोर सिंह के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मांगी गई है. गृह विभाग की स्वीकृति मिलते ही एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्यवाही की जाएगी.


बता दें, वर्ष 2013-14 में समाजवादी पार्टी की सरकार के समय 1,000 से अधिक पशुधन प्रसार अधिकारियों की भर्ती के लिए 100 नंबरों के बजाय 80 नंबरों के लिए लिखित परीक्षा कराई गई और 20 नंबर इंटरव्यू के लिए रखे गए थे. साक्षात्कार के नंबरों के जरिए ही अभ्यर्थियों को चुनने की प्रक्रिया पूरी की गई. भर्ती की जांच योगी सरकार ने 28 दिसंबर 2017 को एसआईटी को सौंपी थी. 29 जुलाई 2021 को इस पूरे मामले में 28 लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी. इससे पहले 22 अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर की स्वीकृति दी गई थी और उनके खिलाफ कार्यवाही भी की गई है.


सूत्रों का कहना है कि पशुधन विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. रजनीश दुबे की तरफ से हाई कोर्ट में दिए गए शपथ पत्र में कहा गया है कि चयनित अभ्यर्थियों की 469 ओएमआर सीट व चयनित ना हो पाने वाले 223 अभ्यर्थियों की ओएमआर शीट कंप्यूटर और संबंधित हार्ड डिस्क जांच के लिए फॉरेंसिक साइंस लैब को भेजा गया है. लैब की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. हाईकोर्ट में दाखिल किए गए शपथ पत्र में यह भी कहा गया है कि संबंधित भर्तियों का रिजल्ट रद्द करने या कोई अन्य कार्यवाही पर भी निर्णय विचाराधीन है. सभी रिपोर्ट आने के बाद उच्च स्तर परमिलने वाले दिशा निर्देश के आधार पर कोई भी फैसला किया जा सकता है.


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