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एसजीपीजीआई में दो माह में शुरू होगी लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी- डॉ आरके धीमान

प्रदेश की राजधानी स्थित एसजीपीजीआई में दो माह बाद लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी (liver transplant surgery) शुरू हो जाएगी. इसके लिए दिल्ली के आईएलबीएस इंस्टिट्यूट में डॉक्टरों की ट्रेनिंग पूरी हो गई है. अभी तक सरकारी संस्थानों में केजीएमयू में लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी शुरू की गई थी, लेकिन कोरोना के चलते इसे बंद कर दिया गया था.

एसजीपीजीआई
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Published : Jun 22, 2021, 9:40 AM IST

Updated : Jun 22, 2021, 10:08 AM IST

लखनऊ: लिवर फेलियर (liver failure) वाले मरीजों के लिए राहत भरी खबर है. अब उनका ट्रांसप्लांट एसजीपीजीआई (sgpgi) में ही हो सकेगा. इसके लिए संस्थान के डॉक्टरों ने दिल्ली में रहकर ट्रेनिंग पूरी कर ली है. इतना ही नहीं ऐसे मरीजों की स्क्रीनिंग भी शुरू हो गई है. एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ आरके धीमान के मुताबिक कोरोना संक्रमण कम हो गया है. ऐसे में संस्थान के इस अहम प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया है.

एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ आरके धीमान ने बताया कि दो माह में लिवर ट्रांसप्लांट शुरू करना अहम योजना है. लिवर ट्रांसप्लांट (liver transplant) के लिए दिल्ली के आईएलबीएस इंस्टिट्यूट में डॉक्टरों की ट्रेनिंग पूरी हो गई है. इसमें चार सर्जन, हेपेटोलॉजिस्ट, 1 रेडियोलोजिस्ट, 3 एनेस्थेटिस्ट, एक पैथोलॉजिस्ट ट्रेनिंग पूरी करके वापस आ चुके हैं. इन्होंने ट्रांसप्लांट के लिए ओपीडी में आ रहे लिवर फेल्योर के मरीजों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी है. एसजीपीजीआई में मरीजों का सस्ती दर पर लिवर ट्रांसप्लांट (liver transplant) किया जाएगा.

एसजीपीजीआई
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लिवर ट्रांसप्लांट

लिवर ट्रांसप्लांट एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमे लिवर फेलियर को सर्जरी के माध्यम से हटा दिया जाता है. यदि लिवर बहुत प्रभावित हो चुका है तो डॉक्टर लिवर प्रत्यारोपण करने की सलाह देते है. लिवर प्रत्यारोपण का कार्य करने के लिए जीवित या मृत डोनर का लिवर लिया जा सकता है. जिन मरीजों का लिवर फेल हो जाता है. उनके लिए लिवर प्रत्यारोपण एक मात्र उपाय होता है. जिन रोगियों को प्रत्यारोपण की जरूरत होती है, वे आमतौर पर तीव्र या जीर्ण से पीड़ित होते हैं. आमतौर पर लिवर प्रत्यारोपण में गंभीर जटिलताएं होती है. जैसे अंत चरण में लिवर रोग, से पीड़ित व्यक्ति को वैकल्पिक उपचार के रूप में आरक्षित किया जाता है.

कब किया जाता है लिवर ट्रांसप्लांट
लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी (liver transplant surgery) अक्सर तब की जाती है, जब लिवर ठीक तरीके से काम नहीं कर पाता है. इसके अलावा रक्त के थक्के जमना, हानिकारक बैक्टीरिया का प्रभाव हो या लिवर थोड़ा या अधिक क्षतिग्रस्त हो. ऐसे में लिवर दान लेकर रोगी व्यक्ति के लिवर को निकालकर स्वस्थ लिवर ट्रांसप्लांट किया जाता है. लिवर सिरोसिस की समस्या होने पर लिवर ट्रांसप्लांट (liver transplant) कर सकते हैं. बाइलरी एट्रेसिया की स्तिथि में पित्त नलिकाओं में टिश्यू बनने लगते हैं, ऐसे में बच्चों में लिवर ट्रांसप्लांट (liver transplant) किया जा सकता हैं.लिवर में गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त होने पर लिवर ट्रांसप्लांट कर सकते हैं. लिवर कैंसर होने पर ट्रांसप्लांट किया जा सकता है.

इसे भी पढ़ें- कोविड की तीसरी लहर आना तय लेकिन बच्चों को ज्यादा खतरा नहीं!


केजीएमयू ने किया था शुरू
यूपी में सरकारी संस्थानों में केजीएमयू (kgmu) में लिवर ट्रांसप्लांट शुरू किया था, मगर, कोरोना की पहली लहर के बाद से ट्रांसप्लांट बंद है. यहां 10 के करीब मरीजों ने लिवर प्रत्यारोपण के लिए पंजीकरण कराया था.

पीजीआई में बढ़ेंगे 550 बेड
एसजीपीजीआई के कैंपस में 550 बेडों वाला नया भवन बनकर तैयार हो रहा है. ऐसे में मरीजों को अब बेडों की समस्‍या से जूझना नहीं होगा. इसमें 220 बेड इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के होंगे. इसके अलावा 165 बेड नेफ्रोलॉजी विभाग के होंगे. साथ ही 115 बेड डायलिसिस के होंगे. शेष बेड यूरोलॉजी विभाग के लिए होंगे. वर्तमान में पीजीआई में 1610 बेड हैं. बेड बढने से मरीजों को काफी राहत मिलेगी.

लखनऊ: लिवर फेलियर (liver failure) वाले मरीजों के लिए राहत भरी खबर है. अब उनका ट्रांसप्लांट एसजीपीजीआई (sgpgi) में ही हो सकेगा. इसके लिए संस्थान के डॉक्टरों ने दिल्ली में रहकर ट्रेनिंग पूरी कर ली है. इतना ही नहीं ऐसे मरीजों की स्क्रीनिंग भी शुरू हो गई है. एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ आरके धीमान के मुताबिक कोरोना संक्रमण कम हो गया है. ऐसे में संस्थान के इस अहम प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया है.

एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ आरके धीमान ने बताया कि दो माह में लिवर ट्रांसप्लांट शुरू करना अहम योजना है. लिवर ट्रांसप्लांट (liver transplant) के लिए दिल्ली के आईएलबीएस इंस्टिट्यूट में डॉक्टरों की ट्रेनिंग पूरी हो गई है. इसमें चार सर्जन, हेपेटोलॉजिस्ट, 1 रेडियोलोजिस्ट, 3 एनेस्थेटिस्ट, एक पैथोलॉजिस्ट ट्रेनिंग पूरी करके वापस आ चुके हैं. इन्होंने ट्रांसप्लांट के लिए ओपीडी में आ रहे लिवर फेल्योर के मरीजों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी है. एसजीपीजीआई में मरीजों का सस्ती दर पर लिवर ट्रांसप्लांट (liver transplant) किया जाएगा.

एसजीपीजीआई
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लिवर ट्रांसप्लांट

लिवर ट्रांसप्लांट एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमे लिवर फेलियर को सर्जरी के माध्यम से हटा दिया जाता है. यदि लिवर बहुत प्रभावित हो चुका है तो डॉक्टर लिवर प्रत्यारोपण करने की सलाह देते है. लिवर प्रत्यारोपण का कार्य करने के लिए जीवित या मृत डोनर का लिवर लिया जा सकता है. जिन मरीजों का लिवर फेल हो जाता है. उनके लिए लिवर प्रत्यारोपण एक मात्र उपाय होता है. जिन रोगियों को प्रत्यारोपण की जरूरत होती है, वे आमतौर पर तीव्र या जीर्ण से पीड़ित होते हैं. आमतौर पर लिवर प्रत्यारोपण में गंभीर जटिलताएं होती है. जैसे अंत चरण में लिवर रोग, से पीड़ित व्यक्ति को वैकल्पिक उपचार के रूप में आरक्षित किया जाता है.

कब किया जाता है लिवर ट्रांसप्लांट
लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी (liver transplant surgery) अक्सर तब की जाती है, जब लिवर ठीक तरीके से काम नहीं कर पाता है. इसके अलावा रक्त के थक्के जमना, हानिकारक बैक्टीरिया का प्रभाव हो या लिवर थोड़ा या अधिक क्षतिग्रस्त हो. ऐसे में लिवर दान लेकर रोगी व्यक्ति के लिवर को निकालकर स्वस्थ लिवर ट्रांसप्लांट किया जाता है. लिवर सिरोसिस की समस्या होने पर लिवर ट्रांसप्लांट (liver transplant) कर सकते हैं. बाइलरी एट्रेसिया की स्तिथि में पित्त नलिकाओं में टिश्यू बनने लगते हैं, ऐसे में बच्चों में लिवर ट्रांसप्लांट (liver transplant) किया जा सकता हैं.लिवर में गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त होने पर लिवर ट्रांसप्लांट कर सकते हैं. लिवर कैंसर होने पर ट्रांसप्लांट किया जा सकता है.

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केजीएमयू ने किया था शुरू
यूपी में सरकारी संस्थानों में केजीएमयू (kgmu) में लिवर ट्रांसप्लांट शुरू किया था, मगर, कोरोना की पहली लहर के बाद से ट्रांसप्लांट बंद है. यहां 10 के करीब मरीजों ने लिवर प्रत्यारोपण के लिए पंजीकरण कराया था.

पीजीआई में बढ़ेंगे 550 बेड
एसजीपीजीआई के कैंपस में 550 बेडों वाला नया भवन बनकर तैयार हो रहा है. ऐसे में मरीजों को अब बेडों की समस्‍या से जूझना नहीं होगा. इसमें 220 बेड इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के होंगे. इसके अलावा 165 बेड नेफ्रोलॉजी विभाग के होंगे. साथ ही 115 बेड डायलिसिस के होंगे. शेष बेड यूरोलॉजी विभाग के लिए होंगे. वर्तमान में पीजीआई में 1610 बेड हैं. बेड बढने से मरीजों को काफी राहत मिलेगी.

Last Updated : Jun 22, 2021, 10:08 AM IST
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