लखनऊ : भाजपा नेता मालती शर्मा हत्याकांड (BJP leader Malti Sharma murder case) में अपर सत्र न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी (Additional Sessions Judge Vivekananda Sharan Tripathi) ने भाजपा की पूर्व सभासद अल्का मिश्रा समेत चार अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा के साथ-साथ जुर्माने से दंडित किया है. अदालत ने अपना निर्णय सुनाते हुए कांस्टेबिल राजकुमार राय (Constable Rajkumar Rai) को हत्या के आरोप में आजीवन कारावास, मालती शर्मा का अपहरण करने के आरोप में 10 साल तथा इस घटना की साजिश रचने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा के अलावा आर्म्स एक्ट के आरोप में भी चार साल की सजा सुनाई है. अदालत ने अल्का मिश्रा पर सबसे अधिक 35 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. इसी प्रकार आरोपी अल्का मिश्रा व आलोक दुबे को अदालत ने हत्या का षड्यंत्र रचने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा के साथ -साथ प्रत्येक को दस हजार रुपयेए के जुर्माने से दंडित किया है. रोहित सिंह को हत्या के आरोप में आजीवन कारावास व आर्म्स एक्ट के मामले में तीन साल के कठोर कारावास के अलावा 15 हजार रुपये के जुर्माने से भी दंडित किया है.
अदालत के समक्ष अभियोजन की ओर से एडीजीसी ललित किशोर दीक्षित (ADGC Lalit Kishore Dixit) ने अदालत को बताया कि इस मामले की रिपोर्ट मृतका मालती शर्मा के पति प्रेम नाथ शर्मा ने 8 जून 2004 को थाना गाजीपुर में दर्ज कराई थी. पुलिस रिपोर्ट में कहा गया कि उसकी पत्नी मालती शर्मा एक दिन पहले 7 जून को करीब साढ़े आठ बजे डॉ. धवन की क्लीनिक में दवा लेने गई थी. उनके साथ थाना गुडंबा का सिपाही राजकुमार भी था. इसके बाद उनके घर न आने पर वादी ने अपनी पत्नी की काफी तलाश की परंतु कुछ पता नहीं चला. इसी बीच जब वादी थाना गाजीपुर में मौजूद था तभी किसी ने सूचना दी कि कुकरैल बंधे पर एक अज्ञात युवती की लाश पड़ी हुई है. वादी जब बंधे पर गया तो उसने अपनी पत्नी मालती शर्मा के रूप में लाश की पहचान की.
इसके बाद राजकुमार राय को नामजद करते हुए एक प्रार्थना पत्र पुलिस को दिया था. मामले की विवेचना के दौरान पुलिस ने इस मामले के अन्य आरोपी रोहित सिंह, आलोक दुबे व अल्का मिश्रा को भी आरोपी बनाते हुए उनकी गिरफ्तारी की थी. अदालत ने अपने निर्णय में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के अनेकों निर्णयों को ध्यान में रखते हुए मृतक के वारिसानों को मुआवजा भी दिलाया जाना उचित होगा. लिहाजा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (District Legal Services Authority) को निर्देशित किया जाता है कि वह जांच करके सही वरिसानों के नाम इंगित करें. अदालत ने निर्णय की एक प्रति आवश्यक कार्यवाही के लिए जिला मजिस्ट्रेट लखनऊ को भी भेजा है.
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