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दिवंगत साहित्यकार गिरिराज किशोर को विधान परिषद सदस्यों ने मौन रहकर दी श्रद्धांजलि - सपा के विधान परिषद सदस्य डॉ. शतरुद्र प्रकाश

यूपी विधान परिषद में दिवंगत साहित्यकार डॉ. गिरिराज किशोर को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इस दौरान सपा के विधान परिषद सदस्य डॉ. शतरुद्र प्रकाश ने उनके निधन का शोक प्रस्ताव पढ़ा.

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दिवंगत साहित्यकार गिरिराज किशोर.
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Published : Feb 18, 2020, 6:14 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान परिषद में सोमवार को दिवंगत साहित्यकार डॉ. गिरिराज किशोर को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इस दौरान परिषद के सदस्यों ने 2 मिनट मौन रहकर उनके निधन पर शोक व्यक्त किया. वहीं सपा के विधान परिषद सदस्य डॉ. शतरुद्र प्रकाश ने उनके निधन का शोक प्रस्ताव पढ़ा.

दिवंगत साहित्यकार डॉ. गिरिराज किशोर को दी गई श्रद्धांजलि.

नियम 59(5) के तहत डॉ. शतरुद्र प्रकाश ने विधान परिषद में शोक प्रस्ताव प्रस्तुत किया. प्रस्ताव में कहा गया कि यह सदन हिंदी के प्रथम कालजयी वैश्विक उपन्यास के लेखक डॉ. गिरिराज किशोर के निधन पर हार्दिक शोक व्यक्त करता है. 9 फरवरी 2020 को कानपुर में उनकी देह मुक्ति के दुखद समाचार ने विश्व भर के साहित्यकारों को मर्माहत कर दिया है. 8 जुलाई 1937 को मुजफ्फरनगर में जन्मे हिंदी के वरिष्ठ और विशिष्ट कथाकार, नाटककार, उपन्यासकार, साहित्यकार और आलोचक ने शहर दर शहर, जगत्तारिणी, यह देह किसकी है, नीम के फूल सहित 200 से अधिक कहानियां और लगभग 14 उपन्यास की रचना की है. वे खुद को गांधियन सोशलिस्ट कहते थे. वे कुछ समय डॉक्टर लोहिया के अवैतनिक निजी सचिव भी रहे.

इसे भी पढ़ें:- सहारनपुर : खनन में लगे डंपर ने रोडवेज बस को मारी टक्कर, दो की मौत

लगभग 2 पेज के शोक प्रस्ताव में डॉक्टर गिरिराज किशोर के व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा की गई. यह प्रस्ताव डॉ. शतरूद्र प्रकाश ने सदन में पढ़ा, जिसका सभी सदस्यों ने समर्थन किया. अंत में सभी सदस्यों ने 2 मिनट के लिए मौन खड़े रहकर दिवंगत साहित्यकार को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान परिषद में सोमवार को दिवंगत साहित्यकार डॉ. गिरिराज किशोर को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इस दौरान परिषद के सदस्यों ने 2 मिनट मौन रहकर उनके निधन पर शोक व्यक्त किया. वहीं सपा के विधान परिषद सदस्य डॉ. शतरुद्र प्रकाश ने उनके निधन का शोक प्रस्ताव पढ़ा.

दिवंगत साहित्यकार डॉ. गिरिराज किशोर को दी गई श्रद्धांजलि.

नियम 59(5) के तहत डॉ. शतरुद्र प्रकाश ने विधान परिषद में शोक प्रस्ताव प्रस्तुत किया. प्रस्ताव में कहा गया कि यह सदन हिंदी के प्रथम कालजयी वैश्विक उपन्यास के लेखक डॉ. गिरिराज किशोर के निधन पर हार्दिक शोक व्यक्त करता है. 9 फरवरी 2020 को कानपुर में उनकी देह मुक्ति के दुखद समाचार ने विश्व भर के साहित्यकारों को मर्माहत कर दिया है. 8 जुलाई 1937 को मुजफ्फरनगर में जन्मे हिंदी के वरिष्ठ और विशिष्ट कथाकार, नाटककार, उपन्यासकार, साहित्यकार और आलोचक ने शहर दर शहर, जगत्तारिणी, यह देह किसकी है, नीम के फूल सहित 200 से अधिक कहानियां और लगभग 14 उपन्यास की रचना की है. वे खुद को गांधियन सोशलिस्ट कहते थे. वे कुछ समय डॉक्टर लोहिया के अवैतनिक निजी सचिव भी रहे.

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लगभग 2 पेज के शोक प्रस्ताव में डॉक्टर गिरिराज किशोर के व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा की गई. यह प्रस्ताव डॉ. शतरूद्र प्रकाश ने सदन में पढ़ा, जिसका सभी सदस्यों ने समर्थन किया. अंत में सभी सदस्यों ने 2 मिनट के लिए मौन खड़े रहकर दिवंगत साहित्यकार को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की.

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