लखनऊ: प्रदेश के वामपंथी दलों ने यूपी सरकार के खिलाफ अनशन किया. वामपंथी दलों ने डीजल और पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि, मजदूरों, किसानों, लघु उद्यमियों, व्यापारियों और आमजन को राहत देने की मांग को लेकर अपने घरों, तहसीलों और जिलाधिकारी कार्यालयों पर अनशन किया.
वामपंथी नेताओं ने सरकार को चेताया कि कोरोना महामारी में भाजपा, संघ और सरकार सांप्रदायिकता और नफरत की राजनीति बंद करे. कोरोना की आड़ में तानाशाही लादने के नए-नए कानून थोपना बंद किया जाए. भाकपा के राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने कहा कि कोरोना से निपटने में केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार की अदूरदर्शिता, लॉकडाउन को मनमाने और बचकाने तरीकों से लागू करने से देश की जनता संकटों से घिर गई है. मजदूरों और प्रवासी मजदूरों की तो सरकारों ने दुर्गति कर दी है.
मजदूरों पर हमला आजादी के बाद बड़ा हमला
सरकारें संकट का भार मजदूरों पर थोप रही हैं. अफसोस है कि इस संकट काल में भी भाजपा और उसकी सरकारें सांप्रदायिक कार्ड खेलने से बाज नहीं आ रहीं. पुलिस का कहीं-कहीं मानवीय चेहरा दिख जाता है, लेकिन शेष मामलों में वह दमन की पर्याय बनकर रह गई है. उन्होंने कहा कि यूपी सरकार ने श्रम कानूनों को 3 साल के लिये निलंबित करने और काम के घंटे बढ़ाने का निर्णय लिया है. ये लॉकडाउन से लुटे-पिटे मजदूरों पर आजादी के बाद का सबसे बड़ा हमला है. सरकार इन कदमों को अविलंब वापस ले.
वामदलों के नेताओं ने मांग की है कि न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपये किया जाए. सभी संगठित और असंगठित, सरकारी और गैर सरकारी विभागों/उद्यमों में संविदा या अन्य श्रमिकों के बकाया वेतनों का भुगतान सुनिश्चित किया जाये. सभी प्रवासी मजदूरों की घर वापसी सरकारी खर्चे पर शीघ्र से शीघ्र सुनिश्चित की जाए. रास्ते में उनका उत्पीड़न रोका जाए. हर एक श्रमिक को 7500 रुपये की एकमुश्त मदद तत्काल दी जाए.
गंभीर बीमारी के लिए अस्पताल खोले जाएं
राज्य सचिव डॉ गिरीश ने कहा कि राशन कार्ड या गैर राशन कार्डधारी हर परिवार को 35 किलो खाद्यान्न हर माह निशुल्क देना सुनिश्चित किया जाए. कैंसर, टीबी, हार्ट, किडनी जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज की फौरन व्यवस्था की जाए. अस्पताल खोले जायें, सभी का इलाज सुनिश्चित किया जाये. गर्भवती महिलाओं के लिये घर पर कंसल्टेशन और प्रसूति की व्यवस्था की जाए. लॉकडाउन की विभिन्न कमजोरियों से अब तक लगभग 450 लोगों की जानें जा चुकी हैं. इन अवसाद, अभाव से पीड़ित आत्महत्या करने वालों, रास्ते में दम तोड़ने वालों और दुर्घटनाओं में मृत श्रमिकों के परिवारों को 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाए. सभी की कोरोना जांच और चिकित्सा मुफ्त कराई जाए.