लखनऊः डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में मंगलवार को फ्यूचर ऑफ मेडिसिन विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई. यह आयोजन संस्थान के मेडिकोज के साथ-साथ अन्य पैरामेडिकल स्टाफ, प्रोफेसर और डॉक्टर्स के लिए महत्वपूर्ण रहा. इस व्याख्यान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ ह्यूमन इंटेलिजेंस पर होने वाले रिसर्च के बारे में छात्र-छात्राओं को बताया गया.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस निभाएगा महत्वपूर्ण भूमिका
व्याख्यान के मुख्य वक्ता स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू यॉर्क बफैलो (सनी- बफैलो) के प्रेसिडेंट प्रो. सतीश कुमार त्रिपाठी रहे. उन्होंने बताया कि आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का चिकित्सा जगत में महत्वपूर्ण स्थान होगा. टच स्क्रीन, गैजेट्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से तमाम बीमारियों का इलाज किया जाता है. यहां तक कि पार्किंसन, अल्जाइमर पेनक्रिएटिक कैंसर जैसी बीमारियों के प्रारंभिक अवस्था के बारे में भी पता लगाया जा सकता है.
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर पूरी तरह नहीं करें भरोसा
प्रो. सतीश ने कहा ऐसे में हम कह सकते हैं कि आने वाले भविष्य में एक मोबाइल फोन ही सिर्फ कम्युनिकेशन का माध्यम न बन कर एक हेल्प गैजेट के रूप में भी सामने आएगा. इसी वजह से हम डॉक्टरों और तमाम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंजीनियरों के साथ मिलकर कई रिसर्च पर काम कर रहे हैं, जो चिकित्सा जगत के फ्यूचर को तय कर सकता है.
प्रो. सतीश ने कहा कि आम लोगों को इस बात को जानना जरूरी है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर पूरी तरह से भरोसा कभी न करें, क्योंकि वह कभी भी ह्यूमन इंटेलिजेंस से बढ़कर नहीं हो सकता. जो लोग गूगल का सहारा लेकर तमाम बीमारियों के लक्षण से लेकर दवाइयों तक पहुंच जाते हैं, उन्हें खासकर इस बारे में जानने की जरूरत है कि एक डॉक्टर का काम बेहतरीन ढंग से सिर्फ एक डॉ. ही कर सकता है.
दोनों संस्थान के छात्र मिलकर करेंगे शोध
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ. एके त्रिपाठी ने बताया कि इस व्याख्यान के साथ-साथ हम सनी बफैलो के साथ एक एमओयू पर भी साइन कर रहे हैं, ताकि भविष्य की तमाम नए रिसर्च के बारे में दोनों संस्थान एक साथ मिलकर काम कर सकें और छात्रों और डॉक्टरों को इसका लाभ मिल सके.