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एलडीए ने फिर निकाले बसंतकुंज में प्लॉट, 1500 लोगों को अभी भी नहीं मिल पाया कब्जा - लखनऊ विकास प्राधिकरण

लखनऊ विकास प्राधिकरण ने बसंतकुंज में 275 भूखंड की योजना लागू की है. इस योजना में पंजीकरण 6 अक्टूबर से शुरू होगा. वहीं, काफी लोग ऐसे भी हैं, जिनको अपने भूखंडों पर कब्जा नहीं मिल पाया है.

लखनऊ विकास प्राधिकरण
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Published : Oct 6, 2022, 11:47 AM IST

लखनऊ: लखनऊ विकास प्राधिकरण ने बसंतकुंज में एक बार फिर से 275 भूखंड की योजना लागू की है. पंजीकरण छह अक्टूबर से शुरू होगा. मगर परेशान वे लोग हैं जो अब तक अपने भूखंड पर कब्जा नहीं पा सके हैं. ऐसे लोगों की संख्या 1500 के करीब है. विभिन्न विवादों की वजह से पहले तो यहां पर लोगों को कब्जे नहीं मिल रहे थे और अब विकास कार्य पूरी तरह से न हो पाने की वजह से सई आवंटी कब्जा नहीं प्राप्त कर सके हैं. एलडीए का दावा है कि रजिस्ट्री करके कब्जे दिए जा रहे हैं. मगर वास्तविकता यह है कि मौके पर विकास कार्य अधूरे हैं और लोग परेशान हो रहे हैं.

एलडीए की बसंतकुंज योजना में करीब 15 सौ आवंटियों को कब्जे नहीं मिल सके हैं. इनमें करीब एक हजार पुराने और करीब 500 नए आवंटी हैं. पुराने आवंटी पिछले करीब 20 साल से कब्जे का इंतजार कर रहे हैं. नए आवंटियों को भी दो साल का वक्त बीत चुका है. यहां करीब 15 साल तक तो पहले किसानों से विवाद बना रहा. इसके बाद कोरोना काल में और अभियंताओं के फेरबदल के चलते कब्जे के लिए लोग परेशान रहे हैं. प्राधिकरण का दावा है कि जल्द ही आवंटियों को उनका आशियाना मिल जाएगा.

गौरतलब है कि बसंतकुंज योजना का आगाज 2002 में हरदोई रोड पर हुआ था. काकोरी ब्लॉक की जमीन का भूमि अर्जन करके करीब 1100 भूखंड प्राधिकरण ने नियोजित किया था. इनमें केवल 100 को ही कब्जा दिया जा सका. बाकी लोग किसानों के आंदोलन की वजह से कब्जा नहीं पा सके. प्राधिकरण ने किसानों के साथ विवाद को साल 2019 में निपटा दिया. इसके बाद योजना आगे बढ़ी. इस बीच प्राधिकरण ने इस साल के प्रारंभ तक दो चरणों में करीब 500 भूखंड यहां और आवंटित कर दिए. इन सारे भूखंडों का कुल भुगतान प्राधिकरण लगभग 400 करोड़ अपने खाते में जमा करवा चुका है.

यह भी पढ़ें: वाराणसी में खुला खादी का शोरूम, पूर्वांचल के कारीगरों को मिलेगा सुनहरा अवसर

प्राधिकरण अब 275 नए भूखंडों का पंजीकरण 6 अक्टूबर से शुरू करने जा रहा है. इसमें करीब 30000 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से भूमि बेची जाएगी. फिर करीब 100 करोड़ रुपये प्राधिकरण के खाते में जमा होंगे. इस बार प्राधिकरण तरह-तरह के लुभावने वादे कर रहा है. इसमें बसंत कुंज को मेट्रो कॉरिडोर और ग्रीन कॉरिडोर से जोड़े जाने की बात भी कही जा रही है. मगर कब्जे कब मिलेंगे इसका कोई स्पष्ट उल्लेख अब तक नहीं किया गया है. लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी का कहना है कि बसंतकुंज योजना एलडीए की शानदार योजना है. हम बहुत जल्द ही इसमें कब्जा देंगे. आवंटन को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है.

लखनऊ: लखनऊ विकास प्राधिकरण ने बसंतकुंज में एक बार फिर से 275 भूखंड की योजना लागू की है. पंजीकरण छह अक्टूबर से शुरू होगा. मगर परेशान वे लोग हैं जो अब तक अपने भूखंड पर कब्जा नहीं पा सके हैं. ऐसे लोगों की संख्या 1500 के करीब है. विभिन्न विवादों की वजह से पहले तो यहां पर लोगों को कब्जे नहीं मिल रहे थे और अब विकास कार्य पूरी तरह से न हो पाने की वजह से सई आवंटी कब्जा नहीं प्राप्त कर सके हैं. एलडीए का दावा है कि रजिस्ट्री करके कब्जे दिए जा रहे हैं. मगर वास्तविकता यह है कि मौके पर विकास कार्य अधूरे हैं और लोग परेशान हो रहे हैं.

एलडीए की बसंतकुंज योजना में करीब 15 सौ आवंटियों को कब्जे नहीं मिल सके हैं. इनमें करीब एक हजार पुराने और करीब 500 नए आवंटी हैं. पुराने आवंटी पिछले करीब 20 साल से कब्जे का इंतजार कर रहे हैं. नए आवंटियों को भी दो साल का वक्त बीत चुका है. यहां करीब 15 साल तक तो पहले किसानों से विवाद बना रहा. इसके बाद कोरोना काल में और अभियंताओं के फेरबदल के चलते कब्जे के लिए लोग परेशान रहे हैं. प्राधिकरण का दावा है कि जल्द ही आवंटियों को उनका आशियाना मिल जाएगा.

गौरतलब है कि बसंतकुंज योजना का आगाज 2002 में हरदोई रोड पर हुआ था. काकोरी ब्लॉक की जमीन का भूमि अर्जन करके करीब 1100 भूखंड प्राधिकरण ने नियोजित किया था. इनमें केवल 100 को ही कब्जा दिया जा सका. बाकी लोग किसानों के आंदोलन की वजह से कब्जा नहीं पा सके. प्राधिकरण ने किसानों के साथ विवाद को साल 2019 में निपटा दिया. इसके बाद योजना आगे बढ़ी. इस बीच प्राधिकरण ने इस साल के प्रारंभ तक दो चरणों में करीब 500 भूखंड यहां और आवंटित कर दिए. इन सारे भूखंडों का कुल भुगतान प्राधिकरण लगभग 400 करोड़ अपने खाते में जमा करवा चुका है.

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प्राधिकरण अब 275 नए भूखंडों का पंजीकरण 6 अक्टूबर से शुरू करने जा रहा है. इसमें करीब 30000 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से भूमि बेची जाएगी. फिर करीब 100 करोड़ रुपये प्राधिकरण के खाते में जमा होंगे. इस बार प्राधिकरण तरह-तरह के लुभावने वादे कर रहा है. इसमें बसंत कुंज को मेट्रो कॉरिडोर और ग्रीन कॉरिडोर से जोड़े जाने की बात भी कही जा रही है. मगर कब्जे कब मिलेंगे इसका कोई स्पष्ट उल्लेख अब तक नहीं किया गया है. लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी का कहना है कि बसंतकुंज योजना एलडीए की शानदार योजना है. हम बहुत जल्द ही इसमें कब्जा देंगे. आवंटन को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है.

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