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लखनऊ के व्यंजनों के शौकीन थे लालजी टण्डन - लालजी टण्डन

मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का मंगलवार को लखनऊ के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया. लालजी टंडन के करीबियों ने बताया कि वह खाने-पीने के बहुत शौकीन थे और लोगों की भावनाओं का सम्मान करते थे.

लालजी टण्डन
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Published : Jul 21, 2020, 3:45 PM IST

लखनऊ: नजाकत और तहजीब का शहर लखनऊ खाने-पीने के व्यंजनों के शौकीन लोगों के जेहन में बसा हुआ है. पूर्व सांसद लालजी टण्डन भी लखनवी व्यंजनों से अछूते नहीं थे. उन्हें लखनऊ की नमकीन, खस्ते और कचौड़ी खूब पंसद थी. लखनऊ के लोगों के लिए लालजी टंडन इसलिए भी खास हैं क्योंकि वह मिलनसार थे और लोगों की भावनाओं का सम्मान करते थे.

जानकारी देते संवाददाता

खाने के शौकीन थे लालजी टंडन

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के बेहद करीबी और लखनऊ के सांसद रह चुके लालजी टंडन सरल और मिलनसार स्वभाव के धनी थे. लालजी टंडन हमेशा से ही लोगों के द्वारा दिए गए सम्मान का आदर करते हैं. चाहे वह घर के लोग हों या बाहर के, वह सभी को अपना मानते थे. लोगों ने बताया कि उनके द्वारा जो भी खाने पीने की चीजें उन्हें दी जाती थी, वह उसे खाते जरूर थे. ओम प्रकाश दीक्षित ने बताया कि जब लाल जी टंडन बिहार के राज्यपाल थे तो उस दौरान वह अपनों से मिलने के लिए प्रोटोकॉल से दूरी बना लेते थे. लालजी टंडन के चाहने वालों का कहना है कि उनके जाने के बाद से लखनऊ के सिर से आकाश हट गया है.

लालजी टंडन का मंगलवार की सुबह लखनऊ के मेदांता हॉस्पिटल में इलाज के दौरान देहांत हो गया है. इस दुखद जानकारी ने लोगों के दिलों पर गहरा असर किया है. लालजी टंडन के खास परिचितों ने बताया कि डॉक्टरों के मना करने के बाद भी वह नमकीन, खस्ते और कचौड़ी चोरी छिपे खा लेते थे.

लखनऊ: नजाकत और तहजीब का शहर लखनऊ खाने-पीने के व्यंजनों के शौकीन लोगों के जेहन में बसा हुआ है. पूर्व सांसद लालजी टण्डन भी लखनवी व्यंजनों से अछूते नहीं थे. उन्हें लखनऊ की नमकीन, खस्ते और कचौड़ी खूब पंसद थी. लखनऊ के लोगों के लिए लालजी टंडन इसलिए भी खास हैं क्योंकि वह मिलनसार थे और लोगों की भावनाओं का सम्मान करते थे.

जानकारी देते संवाददाता

खाने के शौकीन थे लालजी टंडन

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के बेहद करीबी और लखनऊ के सांसद रह चुके लालजी टंडन सरल और मिलनसार स्वभाव के धनी थे. लालजी टंडन हमेशा से ही लोगों के द्वारा दिए गए सम्मान का आदर करते हैं. चाहे वह घर के लोग हों या बाहर के, वह सभी को अपना मानते थे. लोगों ने बताया कि उनके द्वारा जो भी खाने पीने की चीजें उन्हें दी जाती थी, वह उसे खाते जरूर थे. ओम प्रकाश दीक्षित ने बताया कि जब लाल जी टंडन बिहार के राज्यपाल थे तो उस दौरान वह अपनों से मिलने के लिए प्रोटोकॉल से दूरी बना लेते थे. लालजी टंडन के चाहने वालों का कहना है कि उनके जाने के बाद से लखनऊ के सिर से आकाश हट गया है.

लालजी टंडन का मंगलवार की सुबह लखनऊ के मेदांता हॉस्पिटल में इलाज के दौरान देहांत हो गया है. इस दुखद जानकारी ने लोगों के दिलों पर गहरा असर किया है. लालजी टंडन के खास परिचितों ने बताया कि डॉक्टरों के मना करने के बाद भी वह नमकीन, खस्ते और कचौड़ी चोरी छिपे खा लेते थे.

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