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लखीमपुर हिंसा मामलाः अंकित दास की जमानत पर आज नहीं हो सका फैसला, कल भी होगी सुनवाई - Union Minister of State for Home Ashish Mishra Teni

लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कांड में जेल में बंद अंकित दास व तीन अन्य अभियुक्तों की जमानत याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. न्यायालय ने गुरुवार को भी सुनवाई जारी रखने का निर्देश दिया है.

लखीमपुर खीरी हिंसा.
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Published : Apr 6, 2022, 10:25 PM IST

लखनऊः लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कांड में जेल में बंद अंकित दास व तीन अन्य अभियुक्तों की जमानत याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई हुई. न्यायालय ने गुरुवार को भी सुनवाई जारी रखने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने अंकित दास, लवकुश, सुमित जायसवाल व शिशुपाल की ओर से दाखिल अलग-अलग जमानत याचिकाओं पर एक साथ पारित किया.

अंकित दास की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं आईबी सिंह, गोपाल चतुर्वेदी व प्रांशु अग्रवाल पेश हुए. कोर्ट के समक्ष दलील दी कि अंकित दास स्वयं घटनास्थल पर फंस गया था. उसे वहां दो पुलिसकर्मियों ने भीड़ से बचाकर निकाला और थाने पर पहुंचाया. अंकित दास की लाइसेंसी पिस्टल से फायर होने के साक्ष्य नहीं मिले हैं. वहीं, लवकुश सुमित व शिशुपाल की ओर से दलील दी गई कि वे सभी स्थानीय निवासी हैं और दंगल देखने जा रहे थे. मामले में इन्हें फर्जी फंसा दिया गया है.

इसे भी पढ़ें-लखीमपुर खीरी हिंसा मामला: जमानत मिलने के बाद भी नहीं रिहा हो सकेगा आरोपी आशीष मिश्रा

वहीं, राज्य सरकार की ओर से जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए दलील दी गई कि उक्त घटना में चार किसानों की हत्या हुई है. इस घटना को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया है. अंकित दास भी साजिश में शामिल था. वहीं मामले के वादी की ओर से दलील दी गई कि जांच के दौरान एक टैक्सी ड्राइवर का भी बयान लिया गया जो अंकित दास की टैक्सी का ड्राइवर था. जब वह घटना के बाद खीरी से लौट रहा था. ड्राइवर ने फोन पर अंकित को बात करते सुना था, जिसमें वह घटना में शामिल होने की बात स्वीकार कर रहा था. सुनवाई के दौरान न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा अपने जवाबी हलफनामे के साथ महत्वपूर्व गवाहों के बयान न दाखिल करने पर नाराजगी भी जताई.

लखनऊः लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कांड में जेल में बंद अंकित दास व तीन अन्य अभियुक्तों की जमानत याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई हुई. न्यायालय ने गुरुवार को भी सुनवाई जारी रखने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने अंकित दास, लवकुश, सुमित जायसवाल व शिशुपाल की ओर से दाखिल अलग-अलग जमानत याचिकाओं पर एक साथ पारित किया.

अंकित दास की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं आईबी सिंह, गोपाल चतुर्वेदी व प्रांशु अग्रवाल पेश हुए. कोर्ट के समक्ष दलील दी कि अंकित दास स्वयं घटनास्थल पर फंस गया था. उसे वहां दो पुलिसकर्मियों ने भीड़ से बचाकर निकाला और थाने पर पहुंचाया. अंकित दास की लाइसेंसी पिस्टल से फायर होने के साक्ष्य नहीं मिले हैं. वहीं, लवकुश सुमित व शिशुपाल की ओर से दलील दी गई कि वे सभी स्थानीय निवासी हैं और दंगल देखने जा रहे थे. मामले में इन्हें फर्जी फंसा दिया गया है.

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वहीं, राज्य सरकार की ओर से जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए दलील दी गई कि उक्त घटना में चार किसानों की हत्या हुई है. इस घटना को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया है. अंकित दास भी साजिश में शामिल था. वहीं मामले के वादी की ओर से दलील दी गई कि जांच के दौरान एक टैक्सी ड्राइवर का भी बयान लिया गया जो अंकित दास की टैक्सी का ड्राइवर था. जब वह घटना के बाद खीरी से लौट रहा था. ड्राइवर ने फोन पर अंकित को बात करते सुना था, जिसमें वह घटना में शामिल होने की बात स्वीकार कर रहा था. सुनवाई के दौरान न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा अपने जवाबी हलफनामे के साथ महत्वपूर्व गवाहों के बयान न दाखिल करने पर नाराजगी भी जताई.

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