लखनऊ: एक ओर जहां सरकार खेल को बढ़ावा देने के लिए तमाम प्रयास कर रही है और खेलो इंडिया के तहत गांव-गांव में खेल के मैदान तैयार कर रही है. वहीं प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हालात एकदम इतर हैं. देश और प्रदेश स्तर पर कई बेहतरीन खिलाड़ी देने वाले केडी सिंह बाबू स्टेडियम (KD Singh Babu Stadium) की हालत दयनीय हो चुकी है. स्टेडियम के बॉक्सिंग कोर्ट की मेंटेनेंस व रखरखाव न होने से फर्श से लेकर रिंग की हालात जर्जर है. इतना ही नहीं इस स्टेडियम में महिला खिलाडियों के लिए चेंजिंग रूम और शौचालय तक नहीं हैं.
बता दें, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में केडी सिंह बाबू स्टेडियम (KD Singh Babu Stadium) की स्थापना 1957 में हुई थी. इस स्टेडियम का नाम हॉकी के प्रसिद्ध भारतीय खिलाड़ी कुंवर दिग्विजय सिंह के नाम पर रखा गया था. मगर, आज इस स्टेडियम का बॉक्सिंग कोर्ट बदहाली के आंसू बहा रहा है. मेंटेनेंस और रखरखाव न होने से मैदान में जगह-जगह गड्ढे हैं, बड़ी-बड़ी घास और झाड़ियां निकली हैं. दर्शकों के बैठने वाली कुर्सियां टूटी पड़ी हैं. बॉक्सिंग कोर्ट रिंग का भी यही हाल है. बॉक्सिंग रिंग की लकड़ियां जगह-जगह से टूट चुकी हैं. खिलाड़ी इस रिंग पर प्रैक्टिस के दौरान चोटिल हो रहे हैं. इससे उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है.
स्टेडियम में नहीं हैं बॉक्सिंग कोच
खिलाड़ियों ने बताया कि यहां पर उन्हें किसी भी तरह की सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. बॉक्सिंग रिंग पूरी तरह से बेकार हो चुकी है. जिस पर प्रैक्टिस के दौरान अक्सर उन्हें चोट लग जाती हैं. उन्हें मैट्रेस की जगह उन्हें मिट्टी पर प्रैक्टिस करनी पड़ती है. वे बिना ग्लव्स, पैड और पंचिंग बैग के ही प्रैक्टिस कर रहे हैं. ऐसे में उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है. जिसके लिए उन्होंने कई बार कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क भी साधा है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
महिला खिलाड़ियों के लिए नहीं है शौचालय
गोरखपुर की रहने वाली महिला खिलाड़ी दीक्षा राय ने बताया कि केडी सिंह बाबू स्टेडियम में उन्हें कई परेशानियां उठानी पड़ रही है. सुविधाओं (Facilities) और उपकरणों (Equipments) का अभाव है. उपकरण नहीं मिल पाने से वे अच्छी तरह से प्रैक्टिस नहीं कर पा रही है. यहां कपड़े बदलने के लिए महिलाओं के चेंजिंग रूम तक नहीं हैं. उनके लिए शौचालय भी नहीं बनाया गया है. मजबूरी में उनको दूसरे खेल कोर्ट रूम जाकर कपड़े बदलने पड़ रहे हैं.
चार बार के नेशनल मेडलिस्ट रह चुके बॉक्सिंग खिलाड़ी मोहम्मद अली ने बताया कि स्टेडियम में खिलाड़ियों को कई समस्याएं उठानी पड़ रही है. रिंग पूरी तरह से टूटा हुआ है. कोच की गैरमौजूदगी में खिलाड़ियों को प्रैक्टिस करना पड़ रहा है. बॉक्सिंग में इस्तेमाल होने वाले गद्दे, गल्व्स, पंचिंग बैग के बिना खिलाड़ी प्रैक्टिस कर रहे हैं. स्टेडियम की तरफ से उन्हें किसी भी तरह के उपकरण नहीं दिए गए हैं. ऐसे में लगातार बॉक्सिंग में रुचि रखने वाले खिलाड़ियों की संख्या आए दिन घटती जा रही है.
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हॉकी एसोसिएशन के उपाध्यक्ष विनय राय का कहना है कि उत्तर प्रदेश बड़ी आबादी वाला राज्य है. प्रदेश में 24 करोड़ की आबादी होने के बावजूद सैफई, लखनऊ और गोरखपुर मिलाकर केवल तीन स्पोर्ट्स हॉस्टल है. हॉस्टल की संख्या कम होने के कारण संसाधन नहीं मिल पाने की वजह से आबादी के अनुपात से खिलाड़ी तैयार नहीं हो पा रहे हैं. भारतीय खिलाड़ियों को प्रदेश और देश के बाहर जाकर प्रैक्टिस लेना पड़ रहा है. यही वजह है कि हॉकी, बॉक्सिंग, तैराकी, टेनिस, बॉस्केटबॉल, हैंडबॉल, जिमनास्टिक आदि खेलों में हम लोग पिछड़े हुए हैं.