लखनऊ: पूर्वांचल डिस्कॉम के निजीकरण पर संघर्ष समिति की तरफ से किए गए समझौते से विद्युत मजदूर संगठन बिल्कुल भी खुश नहीं है. संगठन ने मध्यांचल डिस्कॉम कार्यालय पर गुरुवार को सत्याग्रह शुरू कर दिया है. मजदूर नेता आरएस राय का कहना है कि समझौते का छुपा हुआ तथ्य यह है कि अगर 15 जनवरी 2021 तक राजस्व वसूली का निर्धारित लक्ष्य 1150 करोड़ रुपये प्रतिमाह प्राप्त नहीं हुआ तो पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण एकमात्र विकल्प होगा.
उन्होंने बताया कि 450 करोड़ रुपये की औसत राजस्व वसूली पूर्वांचल डिस्काम में प्रतिमाह हो रही है. इसमें 700 करोड़ रुपये प्रतिमाह बढ़ाकर तीन माह में 3450 करोड़ रुपये का लक्ष्य पूरा करना है, जबकि 3 महीने में केवल 1350 करोड़ रुपये की ही वसूली हो रही है. उन्होंने कहा कि ज़्यादातर वितरण खंडों और उपखंडों में बिल संशोधन के नाम पर की जा रही राजस्व की लूट और पीडी में किए जा रहे घपले पर रोक लगाए बिना और 70 फीसदी के लाइन लॉस को 15 फीसद किए बगैर राजस्व का यह लक्ष्य प्राप्त करना असंभव है.
आरएस राय ने समझौते को सरकार के समक्ष आत्म समर्पण बताते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते वर्तमान में केवल आवश्यक सेवाएं ही हो रही हैं. तब संघर्ष समिति को कम से कम मार्च 2022 तक का समय लेना चाहिए था, जिससे एक वर्ष ईमानदारी से प्रयास होता तो लक्ष्य की प्राप्ति होने की कुछ संभावना थी. सरकार के सामने घुटने टेककर कर्मचारियों के हितों के साथ सौदा कर लिया गया. उनका कहना है कि सोची-समझी साज़िश का पर्दाफ़ाश करने के लिए विद्युत मजदूर संगठन प्रदेशव्यापी सत्याग्रह आंदोलन किया जा रहा है, जो हर जिले और परियोजना में हो रहा है.
संगठन के मीडिया प्रभारी विमल कुमार पांडेय ने समझौते को धोखा बताते हुए कहा कि संगठन को किसी हालत में भी पूर्वांचल डिस्कॉम का निजीकरण मंज़ूर नहीं है और निजीकरण की हर कोशिश का डटकर विरोध किया जाएगा. इस मौके पर संगठन के महामंत्री श्रीचन्द के अलावा आरपी गुप्ता, आरवाई शुक्ला, पुनीत राय, शैलेंद्र कुमार, मनीष श्रीवास्तव, के के सिंह, बसंत लाल, अजय भट्टाचार्य, कन्हाई राम, राजीव श्रीवास्तव और जगदीश पांडेय समेत अन्य पदाधिकारियों ने सभा को सम्बोधित किया.