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बाल सेवा योजना के तहत कोविड प्रभावित बच्चों का होगा भरण-पोषण, जानें क्या हैं शर्तें

11 से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों की कक्षा 12 तक की नि:शुल्क शिक्षा के लिए अटल आवासीय विद्यालयों और कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में इनका प्रवेश कराया जाएगा. विद्यालयों की 3 महीने की अवकाश अवधि के लिए बच्चे की देखभाल के लिए प्रतिमाह 4 हजार रुपये की दर से कुल 12 हजार की धनराशि प्रतिवर्ष वैध संरक्षक जिसकी अभिरक्षा में बच्चा हो, बैंक खाते में हस्तांतरित की जाएगी.

बाल सेवा योजना के तहत कोविड प्रभावित बच्चों का होगा भरण-पोषण
बाल सेवा योजना के तहत कोविड प्रभावित बच्चों का होगा भरण-पोषण
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Published : Jun 3, 2021, 6:39 AM IST

लखनऊ : कोरोना के चलते प्रभावित या अनाथ हुए बच्चों एवं महिलाओं के पुनर्वास एवं संरक्षण के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने कमर कस ली है. विभाग की प्रमुख सचिव वी. हेकाली झिमोमी ने बताया कि पिछले एक वर्ष से देश व प्रदेश में कोविड-19 महामारी का प्रकोप लगातार बना हुआ है. ऐसे सभी बच्चे जिनके माता-पिता दोनों की कोविड-19 महामारी के चलते मृत्यु हो गई है. इन बच्चों का कोई करीबी अभिभावक न हो या कोई करीबी होने पर भी उन्हें अपनाना न चाहे या अपनाने में सक्षम न हो. ऐसे बच्चों के भरण-पोषण, शिक्षा, चिकित्सा आदि के लिए आर्थिक सहयोग प्रदान करना उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का मुख्य उद्देश्य है. इस योजना के संचालन के लिए कुछ दिशा-निर्देश भी हैं.

योजना से लाभान्वित किए जाने वाले बच्चों की श्रेणियों

- 0 से 18 वर्ष की उम्र तक के ऐसे सभी बच्चे जिनके माता तथा पिता दोनों की मृत्यु कोविड-19 के संक्रमण से महामारी के दौरान हो गई हो या जिनके माता या पिता में से एक की मृत्यु एक मार्च 2020 से पूर्व हो गयी थी और दूसरे की मृत्यु कोविड-19 के संक्रमण से महामारी के दौरान हो गई हो.

- जिनके माता व पिता दोनों की मृत्यु एक मार्च 2020 से पूर्व हो गयी थी. उनके वैध संरक्षक (Legal Guardian) की मृत्यु कोविड-19 के संक्रमण से महामारी के दौरान हो गई हो.

- योजना के तहत 0 से 18 वर्ष की उम्र तक के ऐसे सभी बच्चों को भी शामिल किया जाएगा जिन्होंने कोविड-19 के कारण अपने माता-पिता में से आय अर्जित करने वाले अभिभावक को खो दिया हो तथा वर्तमान में जीवित माता या पिता सहित परिवार की आय 2 लाख रुपये प्रतिवर्ष से अधिक न हो.

- कोविड-19 से मृत्यु के साक्ष्य के लिए एंटीजन या आरटी-पीसीआर के पॉजिटिव टेस्ट रिपोर्ट, ब्लड रिपोर्ट, सीटी स्कैन, कोविड इंफेक्शन होना माना जा सकता है. कोविड का मरीज की टेस्ट में निगेटिव आने के बाद भी पोस्ट कोविड से उसकी मृत्यु हो सकती है. यह मृत्यु भी कोविड की वजह से ही मानी जाती है.

योजना की पात्रता के लिए शर्ते

- लाभार्थी अनिवार्य रूप से उत्तर प्रदेश का मूल निवासी हो.

- एक परिवार के सभी (जैविक और कानूनी रूप से गोद लिए गए) बच्चों को योजना का लाभ मिल सकेगा.

- एक मार्च 2020 को या इसके बाद उपरोक्त 02 श्रेणियों में आने वाले बच्चों को ही योजना का लाभ दिया जा सकेगा.

योजना के अन्तर्गत देय लाभ की श्रेणियां

- 0 से 10 वर्ष तक की आयु के बच्चों के वैध संरक्षक के बैंक खाते में रूपये 4 हजार प्रतिमाह की धनराशि देय होगी. बशर्ते औपचारिक शिक्षा के लिए उनका पंजीयन किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में कराया गया हो. इसके अतिरिक्त ऐसे बच्चे जो पूर्णतया अनाथ हो गए हों एवं बाल कल्याण समिति के आदेश विभाग के अंतर्गत संचालित बाल्य देखभाल संस्थाओं में आवासित कराए गए हो. उनको कक्षा 6 से कक्षा 12 तक की शिक्षा के लिए अटल आवासीय विद्यालयों तथा कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों प्रवेशित कराया जाएगा.

- 11 से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों की कक्षा 12 तक की नि:शुल्क शिक्षा के लिए अटल आवासीय विद्यालयों और कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में इनका प्रवेश कराया जाएगा. विद्यालयों की 3 महीने की अवकाश अवधि के लिए बच्चे की देखभाल के लिए प्रतिमाह 4 हजार रुपये की दर से कुल 12 हजार की धनराशि प्रतिवर्ष वैध संरक्षक जिसकी अभिरक्षा में बच्चा हो, बैंक खाते में हस्तांतरित की जाएगी और उक्त धनराशि कक्षा 12 तक या 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक जो भी पहले हो, देय होगी.

लखनऊ : कोरोना के चलते प्रभावित या अनाथ हुए बच्चों एवं महिलाओं के पुनर्वास एवं संरक्षण के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने कमर कस ली है. विभाग की प्रमुख सचिव वी. हेकाली झिमोमी ने बताया कि पिछले एक वर्ष से देश व प्रदेश में कोविड-19 महामारी का प्रकोप लगातार बना हुआ है. ऐसे सभी बच्चे जिनके माता-पिता दोनों की कोविड-19 महामारी के चलते मृत्यु हो गई है. इन बच्चों का कोई करीबी अभिभावक न हो या कोई करीबी होने पर भी उन्हें अपनाना न चाहे या अपनाने में सक्षम न हो. ऐसे बच्चों के भरण-पोषण, शिक्षा, चिकित्सा आदि के लिए आर्थिक सहयोग प्रदान करना उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का मुख्य उद्देश्य है. इस योजना के संचालन के लिए कुछ दिशा-निर्देश भी हैं.

योजना से लाभान्वित किए जाने वाले बच्चों की श्रेणियों

- 0 से 18 वर्ष की उम्र तक के ऐसे सभी बच्चे जिनके माता तथा पिता दोनों की मृत्यु कोविड-19 के संक्रमण से महामारी के दौरान हो गई हो या जिनके माता या पिता में से एक की मृत्यु एक मार्च 2020 से पूर्व हो गयी थी और दूसरे की मृत्यु कोविड-19 के संक्रमण से महामारी के दौरान हो गई हो.

- जिनके माता व पिता दोनों की मृत्यु एक मार्च 2020 से पूर्व हो गयी थी. उनके वैध संरक्षक (Legal Guardian) की मृत्यु कोविड-19 के संक्रमण से महामारी के दौरान हो गई हो.

- योजना के तहत 0 से 18 वर्ष की उम्र तक के ऐसे सभी बच्चों को भी शामिल किया जाएगा जिन्होंने कोविड-19 के कारण अपने माता-पिता में से आय अर्जित करने वाले अभिभावक को खो दिया हो तथा वर्तमान में जीवित माता या पिता सहित परिवार की आय 2 लाख रुपये प्रतिवर्ष से अधिक न हो.

- कोविड-19 से मृत्यु के साक्ष्य के लिए एंटीजन या आरटी-पीसीआर के पॉजिटिव टेस्ट रिपोर्ट, ब्लड रिपोर्ट, सीटी स्कैन, कोविड इंफेक्शन होना माना जा सकता है. कोविड का मरीज की टेस्ट में निगेटिव आने के बाद भी पोस्ट कोविड से उसकी मृत्यु हो सकती है. यह मृत्यु भी कोविड की वजह से ही मानी जाती है.

योजना की पात्रता के लिए शर्ते

- लाभार्थी अनिवार्य रूप से उत्तर प्रदेश का मूल निवासी हो.

- एक परिवार के सभी (जैविक और कानूनी रूप से गोद लिए गए) बच्चों को योजना का लाभ मिल सकेगा.

- एक मार्च 2020 को या इसके बाद उपरोक्त 02 श्रेणियों में आने वाले बच्चों को ही योजना का लाभ दिया जा सकेगा.

योजना के अन्तर्गत देय लाभ की श्रेणियां

- 0 से 10 वर्ष तक की आयु के बच्चों के वैध संरक्षक के बैंक खाते में रूपये 4 हजार प्रतिमाह की धनराशि देय होगी. बशर्ते औपचारिक शिक्षा के लिए उनका पंजीयन किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में कराया गया हो. इसके अतिरिक्त ऐसे बच्चे जो पूर्णतया अनाथ हो गए हों एवं बाल कल्याण समिति के आदेश विभाग के अंतर्गत संचालित बाल्य देखभाल संस्थाओं में आवासित कराए गए हो. उनको कक्षा 6 से कक्षा 12 तक की शिक्षा के लिए अटल आवासीय विद्यालयों तथा कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों प्रवेशित कराया जाएगा.

- 11 से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों की कक्षा 12 तक की नि:शुल्क शिक्षा के लिए अटल आवासीय विद्यालयों और कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में इनका प्रवेश कराया जाएगा. विद्यालयों की 3 महीने की अवकाश अवधि के लिए बच्चे की देखभाल के लिए प्रतिमाह 4 हजार रुपये की दर से कुल 12 हजार की धनराशि प्रतिवर्ष वैध संरक्षक जिसकी अभिरक्षा में बच्चा हो, बैंक खाते में हस्तांतरित की जाएगी और उक्त धनराशि कक्षा 12 तक या 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक जो भी पहले हो, देय होगी.

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