ETV Bharat / state

मटर की फसल पर इस समय करें कीटनाशक का छिड़काव - डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह

कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इस समय मटर के ऊपर भंभुआ रोग (असिता) का प्रकोप बढ़ेगा. इसकी रोकथाम के लिए सल्फर युक्त रसायन हेक्साल, एलोसाल, सल्फेक्स मे से किसी एक रसायन की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर अथवा कैराथेन 1 मिली‌ प्रति लीटर पानी में मिलाकर रोग प्रकट होने पर छिड़काव करें. इसके 15 दिन के अंतराल पर आवश्यकतानुसार पुनः छिड़काव दोहराएं.

dr satyendra kumar singh
कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह.
author img

By

Published : Feb 11, 2021, 9:17 PM IST

लखनऊ : शरद ऋतु में मटर विशेष महत्व रखती है. इस समय वातावरण में परिवर्तन हो रहा है, जिससे मटर की फसल पर बीमारी तथा कीटों का खतरा बना रहता है, इसको लेकर कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इस समय मटर के ऊपर भंभुआ रोग (असिता) का प्रकोप बढ़ेगा. इस बीमारी से पौधों की पत्तियां, तने, शाखाएं तथा फलियां बुकनी जैसे पदार्थ से ढक जाती हैं. रोकथाम के लिए सल्फर युक्त रसायन हेक्साल, एलोसाल, सल्फेक्स में से किसी एक रसायन की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर अथवा कैराथेन 1 मिली‌ प्रति लीटर पानी में मिलाकर रोग प्रकट होने पर छिड़काव करें तथा 15 दिन के अंतराल पर आवश्यकतानुसार पुनः छिड़काव दोहराएं.

डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मटर की फसल पर प्रमुख रूप से वातावरण में गर्मी जैसे-जैसे धीरे-धीरे बढ़ती है, सफेद मक्खी का प्रकोप बढ़ता जाता है. इसे रोकने के लिए इमिडाक्लोप्रिड नामक रसायन की 1.5 एम एल मात्रा को 1 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना लाभदायक होता है. किसानों को सलाह दी जाती है कि रसायनों का कम से कम प्रयोग करें. इसकी जगह पर जैविक उत्पाद ब्युवेरिया बैसियाना की 3 ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी के साथ घोल बनाकर छिड़काव लाभकारी होगा.

लखनऊ : शरद ऋतु में मटर विशेष महत्व रखती है. इस समय वातावरण में परिवर्तन हो रहा है, जिससे मटर की फसल पर बीमारी तथा कीटों का खतरा बना रहता है, इसको लेकर कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इस समय मटर के ऊपर भंभुआ रोग (असिता) का प्रकोप बढ़ेगा. इस बीमारी से पौधों की पत्तियां, तने, शाखाएं तथा फलियां बुकनी जैसे पदार्थ से ढक जाती हैं. रोकथाम के लिए सल्फर युक्त रसायन हेक्साल, एलोसाल, सल्फेक्स में से किसी एक रसायन की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर अथवा कैराथेन 1 मिली‌ प्रति लीटर पानी में मिलाकर रोग प्रकट होने पर छिड़काव करें तथा 15 दिन के अंतराल पर आवश्यकतानुसार पुनः छिड़काव दोहराएं.

डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मटर की फसल पर प्रमुख रूप से वातावरण में गर्मी जैसे-जैसे धीरे-धीरे बढ़ती है, सफेद मक्खी का प्रकोप बढ़ता जाता है. इसे रोकने के लिए इमिडाक्लोप्रिड नामक रसायन की 1.5 एम एल मात्रा को 1 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना लाभदायक होता है. किसानों को सलाह दी जाती है कि रसायनों का कम से कम प्रयोग करें. इसकी जगह पर जैविक उत्पाद ब्युवेरिया बैसियाना की 3 ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी के साथ घोल बनाकर छिड़काव लाभकारी होगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.