लखनऊ: हिन्दू पंचांग (Hindu Panchang) के अनुसार आज श्रावण मास की एकदशी तिथि है. हर साल श्रावण यानि सावन मास की पहली एकादशी तिथि को कामिका एकादशी(Kamika Ekadashi) पड़ती है. वैसे तो हर महीने दो एकादशी पड़ती हैं, लेकिन श्रावण मास की एकादशी का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान श्री विष्णु का व्रत और पूजन किया जाता है. मान्यता है कि इस एकादशी में भगवान श्री विष्णु की सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं और मनुष्य सुख समृद्धि को प्राप्त करता है. शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु के आराध्य हैं भगवान शिव और शिव के आराध्य हैं भगवान विष्णु. यही वजह है कि भगवान भोलेनाथ के सबसे प्रिय महीना सावन में पड़ी इस एकादशी का महत्व और भी बढ़ जाता है.
कामिका एकादशी शुभ मुहूर्त-
एकादशी तिथि 03 अगस्त दिन मंगलवार से दोपहर 01:00 से शुरु होकर 04 अगस्त दिन बुधवार दोपहर 03 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी. सर्वार्थसिद्धि योग 04 अगस्त सुबह 06 बजकर 02 मिनट से 05 अगस्त सुबह 04 बजकर 25 मिनट तक रहेगी.
कामिका एकादशी व्रत विधि
- सुबह जल्दी उठकर शौचादि से निवृत्त होकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें.
- भगवान विष्णु जी की प्रतिमा को गंगा जल चढ़ाएं.
- अब दीपक जलाकर उनका स्मरण करें और भगवान विष्णु की पूजा में उनकी स्तुति करें.
- भगवान को तुलसी बहुत अधिक प्रिय है अत: पूजा में तुलसी के पत्तों का भी प्रयोग करें तथा पूजा के अंत में विष्णु आरती जरूर करें.
- शाम को भी भगवान विष्णु जी के समक्ष दीपक जलाकर उनकी आरती करें.
- ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु बिना तुलसी भोग ग्रहण नहीं करते इसीलिए भगवान के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें. भगवान को केवल सात्विक चीजों का ही भोग लगाएं.
- इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का भी पूजन करें.
- इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' पूरे दिन मन ही मन जप करते हुए अधिक से अधिक भगवान का ध्यान करें.
- द्वादशी के समय शुद्ध होकर व्रत पारण मुहूर्त के समय व्रत खोलें.
- लोगों में प्रसाद बांटें और ब्राह्मणों को भोजन कर कराकर उन्हें दान-दक्षिणा दें.
महत्व
कामिका एकादशी के फल को अश्वमेध यज्ञ के बराबर का फल माना जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को सच्चे मन से करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मनोकामना पूरी करते हैं. भगवान विष्णु की कृपा से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और इस व्रत को करने वाला व्यक्ति सभी प्रकार के सुखों को भोगता है.