लखनऊ: चित्रकूट जेल में कैदियों के बीच हुए गैंगवार में गैंगस्टर अंशु दीक्षित ने मुख्तार अंसारी के खास गुर्गे मेराज और मुकीम काला की गोली मारकर हत्या कर दी. जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने अंशू को भी मार गिराया. अंशु दीक्षित ने एलयू की छात्र रजनीति से अपराध में कदम रखा था. वह लखनऊ विश्वविद्यालय के तत्कालीन महामंत्री विनोद त्रिपाठी के साथ रहता था. बाद में उसने विनोद त्रिपाठी की ही उनके आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी थी. उसके बाद एक-एक आपराधिक वारदात कर उसने जरायम की दुनिया में अपनी पहचान बना ली.
लखनऊ यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान सीतापुर के अंशु दीक्षित की दोस्ती सलेमपुर के रहने वाले एक युवक से हुई थी. उसके जरिए वह विक्रांत मिश्रा, कुख्यात व पांच लाख के इनामी सुधाकर पांडेय के संपर्क में आया था. लखनऊ सीएमओ विनोद कुमार आर्या, वीपी सिंह हत्याकांड में अंशु का नाम आने पर इन लोगों ने उसे शरण दिया था. गोरखपुर में रहने वाले बदमाश संतोष सिंह के जरिए उसकी पहचान रेलवे के एक ठेकेदार से हुई थी. ठेकेदार के साथ काम करने वाला गोरखनाथ हुमायूंपुर का एक अपराधी भी उसका मित्र है.
मुख्तार अंसारी का था खास व शार्प शूटर
अंशु दीक्षित पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी का खास व शार्प शूटर था. अंशु ने 17 अक्तूबर 2013 में एमपी और यूपी एसटीएफ पर भी गोलिया चलाई थीं. कुख्यात बदमाश अंशु दीक्षित एसटीएफ एसआई संदीप मिश्रा और आरक्षक राघवेंद्र पांडे पर गोली दागने के बाद 5 मिनट तक घटना स्थल पर ही रहा और पुलिस को धमकाता रहा, फिर फरार हो गया. संदीप उर्फ अंशु फरार होने के बाद गोरखपुर आया था. इसके बाद अंशु ने आदित्य मिश्रा के नाम से पिपराइच के उनवल दोयम गांव से ड्राइविंग लाइसेंस और देवरिया, रामनाथ के पते पर मतदाता पहचान पत्र बनवा लिया था. साथियों के साथ गोरखपुर में एक शातिर की हत्या करने के बाद वह सीतापुर के पूर्व एमएलसी और उनके बेटे की हत्या करने की योजना उसने तैयार की थी.
पूर्व एमएलसी के बेटे की पिटाई करने से था आहत
पूर्व एमएलसी के साथ ही उनके बेटे की हत्या की योजना में लगे संदीप उर्फ अंशु का पुराना विवाद है. विधायक के बेटे से उसका किसी बात को लेकर विवाद हो गया था. घटना के बाद विधायक ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर अंशु की पिटाई कर दी थी. सरेआम हुई पिटाई का बदला लेने के लिए उसने हत्या करने का प्रण लिया था. एसटीएफ और पुलिस को उसने बताया कि बेइज्जती का बदला लेना ही उसका लक्ष्य है. पुलिस के मुताबिक, अंशु के एक बड़े भाई अनूप उर्फ अन्नु दीक्षित (32) हैं. पिता का नाम जगदीश दीक्षित है. सभी उसी के साथ रहते थे. वह फर्जी नाम से मकान किराए पर लेकर दिल्ली में कुछ दिन रहा है.
पेशी से अंशू हो गया था फरार
अंशू दिसंबर, 2013 में सीएमओ की हत्या की सुपारी लेने से सुर्खियों में आया था. यह खुलासा लखनऊ पुलिस के सामने आरोपी विजय दुबे और अजय कुमार ने किया था. उन्होंने बताया कि अंशु और उसके भाई अन्नू ने डॉ. विनोद कुमार आर्य और डॉ. बीपी सिंह को मारने के लिए 5 लाख रुपए की सुपारी ली थी. यह पूरा सौदा गैंगस्टर अभय सिंह के माध्यम से हुआ था. अंशू 2 अप्रैल, 2014 को सीतापुर जेल से पेशी के लिए लाए जाने के दौरान फरार हो गया था. उसने पुलिसकर्मियों को खाने में कुछ मिलाकर खिला दिया था. उनके बेहोश होते ही वह वहां से फरार हो गया था.
राघोनगर में फायरिंग में भी आया था नाम
24 मई 2014 को देवरिया के राघोनगर में रत्नेश मिश्रा के घर हुई फायरिंग में अंशु दीक्षित का नाम आया था, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने इसे खारिज कर दिया था. गोली लगने से रत्नेश और उनके दोस्त हिमांशु श्रीवास्तव घायल हुए थे. विक्रांत मिश्रा और दुर्गेश तिवारी ने वारदात को अंजाम दिया था.
इसे भी पढ़ें-अब जेल में भी गैंगवार, अफजाल अंसारी ने उठाए सवाल
रायबरेली जेल से अंशु का वायरल हुआ था वीडियो
27 नवम्बर 2018 को रायबरेली जिला जेल के अंदर रिवाल्वर-कारतूस के बीच शराब पी रहे शार्प शूटर अंशू दीक्षित का एक वीडियो वायरल हुआ था. इस वीडियो में शार्प शूटर अंशू दीक्षित अपनी और अपने दो अन्य साथियों शोहराब खान और डीएस सिंह की हत्या की आशंका जता रहा था. इस वीडियो में अंशु दीक्षित काफी डरा और सहमा नजर आ रहा था.
मारा गया मेराज संभालता था मुख्तार गैंग
वाराणसी में मेराज अली मुख्तार गैंग की बागडोर संभालता था. अभी हाल ही में शस्त्र लाइसेंस निलंबन के मामले में मेराज अली सुर्खियों में आया था. यही का रहने वाला मेराज अली पूर्वांचल का शातिर बदमाश था और अपराध की दुनिया में कदम रखते ही उसने मुन्ना बजरंगी के लिए काम किया था. इसके बाद मुन्ना बजरंगी का गैंग छोड़कर वह मुख्तार अंसारी के साथ जुड़ गया था. उसके गैंग में आ जाने के बाद अंशु दीक्षित से पटरी नहीं खाती थी. सूत्रों की मानें तो गिरफ्तारी से पहले भी दोनों के बीच कई बार टकराव हो चुका था, जिसे शांत करा दिया गया था. संभव है चित्रकूट जेल में हुई वारदात की वजह भी यही रंजिश बन गई हो. मेराज की हत्या से पूर्वांचल में हड़कंप मच गया है.
![मेराज काला.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-luc-09-meraj-ali-chitrkut-jail-death-7209868_14052021162307_1405f_1620989587_643.jpg)
मुख्तार की गाड़ियों को बुलेट प्रूफ कराना मेराज का था जिम्मा
मेराज अली के बारे में कहा जाता है कि वह मुख्तार अंसारी का वफादार था. मुख्तार की गाड़ियों को बुलेटप्रूफ कराने का जिम्मा मेराज के कंधों पर ही रहता था. मिराज के संबंध कुछ असलहा कारोबारियों से भी थे. वह मुख्तार को उनसे असलहों की डील भी कराता था.