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कांग्रेस कहीं भी मजबूत नहीं, इसलिए छोड़ीं सिर्फ दो सीटें : किरनमय नंदा - लोकसभा चुनाव

प्रदेश में सपा-बसपा के गठबंधन के बाद भाजपा और कांग्रेस को आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर अपनी रणनीति बदलनी पड़ी. जहां एक तरफ बीजेपी ने अपने कई सांसदों के टिकट काटे. वहीं कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को राजनीतिक मैदान में उतारा. इन्हीं मुद्दों को लेकर हमने बात की समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरनमय नंदा से.

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Published : Apr 6, 2019, 8:43 PM IST

Updated : Apr 6, 2019, 11:27 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव का तापमान बढ़ता जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी जहां राष्ट्रवाद और केंद्र-राज्य सरकारों की उपलब्धियों के सहारे मैदान में है. वहीं कभी राजनीति में एक दूसरे के धुर विरोधी रहे सपा-बसपा गठबंधन ने अपने-अपने वोट बैंक के सहारे बीजेपी को पराजित करने की ठानी है. कांग्रेस ने प्रियंका गांधी के रूप में अपना ट्रंपकार्ड चल दिया है. उसे उम्मीद है कि पार्टी कोई करिश्मा दोहरा पाएगी.

किरनमय नंदा से बात करते यूपी ब्यूरो चीफ.

सवाल: आपकी गठबंधन के पीछे क्या सोच थी? आपको कैसे लगता है कि यह गठबंधन सफल होगा?
जवाब: यह गठबंधन केवल उत्तर प्रदेश के लिए नहीं है. 2014 में भाजपा उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटों में 73 सीट जीतकर सरकार बनाने में सफल रही. अब जनता सरकार बदलना चाहती है. यदि उत्तर प्रदेश से भाजपा हट जाएगी तो समझिए कि उनकी सरकार दोबारा नहीं बनने वाली. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव में नया प्रधानमंत्री चुनने का नारा दिया है. यह गठबंधन जनता की मांग पर हुआ है.

सवाल: क्या आपका गठबंधन भाजपा से राष्ट्रवाद को लेकर चलाए जा रहे प्रचार अभियान से पार पाने में कामयाब होगा?
जवाब: भाजपा के पास आज कोई मुद्दा नहीं. 2014 में जनता ने उन पर विश्वास किया. अब जनता उनसे पूछेगी कि आपने एक भी वादा पूरा क्यों नहीं किया? वह जिस बारे में बोलेंगे वह भाजपा के खिलाफ जाएगा. इसीलिए राष्ट्रवाद का मुद्दा उठा रहे.

सवाल: कांग्रेस को साथ लाने में कामयाब क्यों नहीं रहे? यदि गठबंधन में कांग्रेस भी होती तो शायद आपको ज्यादा फायदा होता?
जवाब: 2017 विस चुनाव में हमने कांग्रेस से गठबंधन किया, पर नतीजे निराशाजनक रहे. हमारा उद्देश्य भाजपा के हराना है. जहां उनका संगठन है, वहां हमने दो सीटें छोड़ दी हैं. इस तरह हमारा गठबंधन तो कांग्रेस से भी है. हमने कभी गठबंधन के खिलाफ काम नहीं किया. दो सीटें छोड़कर कांग्रेस का कहीं भी संगठन इतना मजबूत नहीं कि उनके लिए सीटें छोड़ी जाएं. हमने राष्ट्रीय लोक दल के लिए भी तीन सीटें छोड़ी हैं. वहां उनका संगठन मजबूत है तो उन्हें मौका दिया.

सवाल: जहां-जहां कांग्रेस आपके खिलाफ लड़ेगी वहां कुछ न कुछ नुकसान तो होगा ही आपको?
जवाब: 2017 के विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को 105 सीटें दी थीं, पर कांग्रेस के वोट भाजपा को चले गए. इसलिए हमने एक समीकरण देखा और जहां कांग्रेज का वजूद था वहां दो सीटें छोड़ीं.

सवाल: आपको कांग्रेस ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी या शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी?
जवाब: हमें किसी से कोई नुकसान नहीं है. जनता ने मन बना लिया है. सपा:बसपा की जो ताकत है वह भाजपा को हराने का काम करेगी.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव का तापमान बढ़ता जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी जहां राष्ट्रवाद और केंद्र-राज्य सरकारों की उपलब्धियों के सहारे मैदान में है. वहीं कभी राजनीति में एक दूसरे के धुर विरोधी रहे सपा-बसपा गठबंधन ने अपने-अपने वोट बैंक के सहारे बीजेपी को पराजित करने की ठानी है. कांग्रेस ने प्रियंका गांधी के रूप में अपना ट्रंपकार्ड चल दिया है. उसे उम्मीद है कि पार्टी कोई करिश्मा दोहरा पाएगी.

किरनमय नंदा से बात करते यूपी ब्यूरो चीफ.

सवाल: आपकी गठबंधन के पीछे क्या सोच थी? आपको कैसे लगता है कि यह गठबंधन सफल होगा?
जवाब: यह गठबंधन केवल उत्तर प्रदेश के लिए नहीं है. 2014 में भाजपा उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटों में 73 सीट जीतकर सरकार बनाने में सफल रही. अब जनता सरकार बदलना चाहती है. यदि उत्तर प्रदेश से भाजपा हट जाएगी तो समझिए कि उनकी सरकार दोबारा नहीं बनने वाली. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव में नया प्रधानमंत्री चुनने का नारा दिया है. यह गठबंधन जनता की मांग पर हुआ है.

सवाल: क्या आपका गठबंधन भाजपा से राष्ट्रवाद को लेकर चलाए जा रहे प्रचार अभियान से पार पाने में कामयाब होगा?
जवाब: भाजपा के पास आज कोई मुद्दा नहीं. 2014 में जनता ने उन पर विश्वास किया. अब जनता उनसे पूछेगी कि आपने एक भी वादा पूरा क्यों नहीं किया? वह जिस बारे में बोलेंगे वह भाजपा के खिलाफ जाएगा. इसीलिए राष्ट्रवाद का मुद्दा उठा रहे.

सवाल: कांग्रेस को साथ लाने में कामयाब क्यों नहीं रहे? यदि गठबंधन में कांग्रेस भी होती तो शायद आपको ज्यादा फायदा होता?
जवाब: 2017 विस चुनाव में हमने कांग्रेस से गठबंधन किया, पर नतीजे निराशाजनक रहे. हमारा उद्देश्य भाजपा के हराना है. जहां उनका संगठन है, वहां हमने दो सीटें छोड़ दी हैं. इस तरह हमारा गठबंधन तो कांग्रेस से भी है. हमने कभी गठबंधन के खिलाफ काम नहीं किया. दो सीटें छोड़कर कांग्रेस का कहीं भी संगठन इतना मजबूत नहीं कि उनके लिए सीटें छोड़ी जाएं. हमने राष्ट्रीय लोक दल के लिए भी तीन सीटें छोड़ी हैं. वहां उनका संगठन मजबूत है तो उन्हें मौका दिया.

सवाल: जहां-जहां कांग्रेस आपके खिलाफ लड़ेगी वहां कुछ न कुछ नुकसान तो होगा ही आपको?
जवाब: 2017 के विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को 105 सीटें दी थीं, पर कांग्रेस के वोट भाजपा को चले गए. इसलिए हमने एक समीकरण देखा और जहां कांग्रेज का वजूद था वहां दो सीटें छोड़ीं.

सवाल: आपको कांग्रेस ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी या शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी?
जवाब: हमें किसी से कोई नुकसान नहीं है. जनता ने मन बना लिया है. सपा:बसपा की जो ताकत है वह भाजपा को हराने का काम करेगी.

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कांग्रेस कहीं भी मजबूत नहीं, इसलिए नहीं छोड़ीं सीटें : किरनमय नंदा 
 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव का तापमान बढ़ता जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी जहां राष्ट्रवाद और केंद्र-राज्य सरकारों की उपलब्धियों के सहारे मैदान में है. वहीं कभी राजनीति में एकदूसरे के धुर विरोधी रहे सपा-बसपा गठबंधन ने अपने:अपने वोट बैंक के सहारे बीजेपी को पराजित करने की ठानी है. 

कांग्रेस ने प्रियंका गांधी के रूप में अपना ट्रंपकार्ड चल दिया है. उसे उम्मीद है कि पार्टी कोई करिश्मा दोहरा पाएगी. इन्हीं मुद्दों को लेकर हमने बात की समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरनमय नंदा से. 

सवाल: आपकी गठबंधन के पीछे क्या सोच थी? आपको कैसे लगता है कि यह गठबंधन सफल होगा?

जवाब: यह गठबंधन केवल उत्तर प्रदेश के लिए नहीं है. 2014 में भाजपा उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटों में 73 सीट जीतकर सरकार बनाने में सफल रही. अब जनता सरकार बदलना चाहती है. यदि उत्तर प्रदेश से भाजपा हट जाएगी तो समझिए कि उनकी सरकार दोबारा नहीं बनने वाली. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव में नया प्रधानमंत्री चुनने का नारा दिया है. यह गठबंधन जनता की मांग पर हुआ है.

सवाल: क्या आपका गठबंधन भाजपा से राष्ट्रवाद को लेकर चलाए जा रहे प्रचार अभियान से पार पाने में कामयाब होगा?

जवाब: भाजपा के पास आज कोई मुद्दा नहीं. 2014 में जनता ने उन पर विश्वास किया. अब जनता उनसे पूछेगी कि आपने एक भी वादा पूरा क्यों नहीं किया? वह जिस बारे में बोलेंगे वह भाजपा के खिलाफ जाएगा. इसीलिए राष्ट्रवाद का मुद्दा उठा रहे.

सवाल: कांग्रेस को साथ लाने में कामयाब क्यों नहीं रहे? यदि गठबंधन में कांग्रेस भी होती तो शायद आपको ज्यादा फायदा होता?

जवाब: 2017 विस चुनाव में हमने कांग्रेस से गठबंधन किया, पर नतीजे निराशाजनक रहे. हमारा उद्देश्य भाजपा के हराना है. जहां उनका संगठन है, वहां हमने दो सीटें छोड़ दी हैं. इस तरह हमारा गठबंधन तो कांग्रेस से भी है. हमने कभी गठबंधन के खिलाफ काम नहीं किया. दो सीटें छोड़कर कांग्रेस का कहीं भी संगठन इतना मजबूत नहीं कि उनके लिए सीटें छोड़ी जाएं. हमने राष्ट्रीय लोक दल के लिए भी तीन सीटें छोड़ी हैं. वहां उनका संगठन मजबूत है तो उन्हें मौका दिया. 

सवाल: जहां-जहां कांग्रेस आपके खिलाफ लड़ेगी वहां कुछ न कुछ नुकसान तो होगा ही आपको?

जवाब: 2017 के विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को 105 सीटें दी थीं, पर कांग्रेस के वोट भाजपा को चले गए. इसलिए हमने एक समीकरण देखा और जहां कांग्रेज का वजूद था वहां दो सीटें छोड़ीं. 

सवाल: आपको कांग्रेस ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी या शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी?

जवाब: हमें किसी से कोई नुकसान नहीं है. जनता ने मन बना लिया है. सपा:बसपा की जो ताकत है वह भाजपा को हराने का काम करेगी.

 

Conclusion:
Last Updated : Apr 6, 2019, 11:27 PM IST
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