लखनऊ: केजीएमयू (KGMU) के क्वीन मेरी अस्पताल में गुरूवार को शाहजहांपुर निवासी 50 वर्षीय महिला के अंडाशय के 31 किलो के विशाल ट्यूमर का ऑपरेशन सफलता पूर्वक किया गया. अस्पताल प्रशासन ने शुक्रवार शाम रिलीज जारी कर सफल ऑपरेशन के बारे में बताया. इस ऑपरेशन को प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रोफेसर एसपी जैसवार, प्रो. सीमा मेहरोत्रा एवं डॉ. मोनिका अग्रवाल और इनकी जूनियर डॉक्टर्स की टीम ने सफलता के साथ किया. इनके अलावा प्रो. रजनी गुप्ता और उनकी एनेस्थिीसिया टीम ने बेहोशी देने में मदद की और सिस्टर इंचार्ज आनसी बी. वर्गीस और उनकी टीम का भी ऑपरेशन के दौरान पूरा सहयोग रहा.
कैंसर के कारण 61 इंच हुई कमर
महिला करीब एक साल से परेशान थी. उनका पेट अचानक बढ़ने लगा और एक साल के अन्दर ही करीब इतना बढ़ा कि उनके कमर की चौडाई लगभग 61 इंच हो गयी. डॉ. एसपी जैसवार ने बताया कि अक्सर इतना बड़ा ट्यूमर नहीं मिलता है, क्योकिं अडाशय का ट्यूमर पहले ही अल्ट्रासाउण्ड, सीटी एमआरआई जैसी नई तकनीकों के द्वारा पता लगा लिया जाता है, पर इस मरीज ने किसी डॉक्टर को नहीं दिखाया. जब पेट ज्यादा बढ़ने लगा और उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी तब जाकर उन्होंने कई अस्पताल में दिखाया और अन्त में हमारे पास पहुंची.
उन्होंने बताया कि उनकी सारी जांचें और सीटी स्कैन हुई. जिसमें कैंसर मार्कर खून में बढ़े हुए मिले. सीटीस्कैन में भी कैंसर की सम्भावना दिखायी दी. मरीज का पेट बहुत बड़ा होने के कारण वह एमआर मशीन के अन्दर नहीं जा पायी. जिसकी वजह से एमआरआई नहीं हो पाया. उनका आपरेशन गुरूवार को लगभग तीन घंटे में सम्पन्न हुआ. इस ऑपरेशन में एक विशाल ट्यूमर (अंडाशय) जिसका वजन 31 किलो था निकाला गया. यही नहीं, बिना पेशाब की थैली और आंतों को कोई क्षति पहुंचाए कैंसर को बाहर निकाला गया.
फिलहाल, उसे विश्वविद्यालय की पैथालॉजी विभाग में जांच के लिए भेजा गया है. ऑपरेशन के दौरान मरीज को दो यूनिट खून भी चढ़ाया गया. इसके बाद मरीज को आईसीयू में रखकर निरीक्षण किया जा रहा है. इस ऑपरेशन के बाद मरीज और उनके रिश्तेदार, प्रो.एसपी जैसवार, प्रो. सीमा मेहरोत्रा एवं डॉ मोनिका अग्रवाल और उनकी टीम के आभारी हैं.
कैंसर की संभावना
एसपी जैसवार ने बताया कि प्रदेश में अंडाशय का कैंसर महिलाओं में तीसरे स्थान पर है. आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों के अनुसार अंडाशय का ट्यूमर बाकी कैंसरों की तुलना में 3.34 प्रतिशत होता है. अपने जीवनकाल में 75 में से एक महिला को अंडाशय का कैंसर होने की सम्भावना होती है, और 100 में एक महिला की कैंसर के कारण मृत्यु भी होती है. उन्होंने कहा कि यह कैंसर 50 से 65 साल की महिलाओं में अक्सर मिलता है. जो महिलायें अपने बच्चों को स्तन-पान नहीं कराती, जिनकी माहवारी 50 साल से ज्यादा चलती है और जिनका वजन ज्यादा होता है, उनमें कैंसर की सम्भावना ज्यादा होती है.