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PGI को अंगदान कर मरीजों की जिंदगी बचाएगा KGMU

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) में सितंबर माह से लिवर ट्रांसप्लांट शुरू किए जाने की तैयारी है. ट्रांसप्लांट के लिए मरीज और डोनर की काउंसिलिंग की जा रही है. 5 मरीजों ने ट्रांसप्लांट पर सहमति जताई. इनकी जांचें व ऑर्गन डोनर संबंधी प्रक्रिया चल रही है.

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Published : Aug 19, 2021, 12:53 PM IST

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के बड़े चिकित्सा संस्थान SGPGI (संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान) में सितंबर माह से लिवर ट्रांसप्लांट शुरू किए जाने की तैयारी है. ट्रांसप्लांट शुरू किए जाने के बाद लाइव डोनर के अलावा कैडेवरिक ऑर्गन ट्रांसप्लांट भी किया जाएगा. इसके लिए PGI और KGMU (किंग जॉर्ज चिकित्सा महाविद्यालय) में करार किया जाएगा. गौरतलब है कि अभी तब PGI में किडनी ट्रांसप्लांट ही हो रहा है.

SGPGI के निदेशक डॉ. आरके धीमान के मुताबिक, कोरोना संक्रमण कम हो गया है. ऐसे में संस्थान में सितंबर से लिवर ट्रांसप्लांट शुरू करने का प्लान है. इसके लिए डॉक्टरों ने 22 जुलाई से ओपीडी शुरू कर दी है. सोमवार से शुक्रवार तक लिवर फेल्योर के मरीजों को देखा जा रहा है. यहां मरीजों की स्क्रीनिंग की जा रही है. ट्रांसप्लांट के लिए मरीज और डोनर की काउंसिलिंग की जा रही है. 5 मरीजों ने ट्रांसप्लांट पर सहमति जताई. इनकी जांचें व ऑर्गन डोनर संबंधी प्रक्रिया चल रही है. वहीं लाइव डोनर के साथ-साथ कैडेवरिक ऑर्गन ट्रांसप्लांट को भी बढ़ावा दिया जाएगा. इसके लिए KGMU से करार किया जाएगा. यहां से ब्रेन डेड मरीजों के अंग मिल सकेंगे. इस करार के बाद अधिक से अधिक अंग प्रत्यारोपण किए जा सकेंगे.

क्या होता है कैडेवरिक ट्रांसप्लांट
लाइव डोनर में मरीज के परिजन अंगदान करते हैं. यह स्वस्थ्य व्यक्ति होते हैं. इनका ऑर्गन निकालकर मरीज में प्रत्यारोपित किया जाता है. वहीं कैडेवरिक ट्रांसप्लांट में दुर्घटना में घायल व अन्य कारण से व्यक्ति का ब्रेन डेड हो जाता है. एक्सपर्ट कमेटी तमाम जांचों के बाद उसे ब्रेन डेड घोषित करती है. इसके बाद परिजन की मंजूरी लेकर ब्रेन डेड मरीज के अंग निकाले जाते हैं. इसके बाद यह अंग किडनी, लिवर फेल्योर मरीज में प्रत्यारोपित किया जाता है तो इसे कैडेवरिक ट्रांसप्लांट कहते हैं.

50 अंगदान करा चुका KGMU
KGMU में ट्रॉमा सेंटर है. यहां गंभीर रूप से घायल होकर आए रोगी भर्ती किए जाते हैं. इसमें कई का ब्रेन डेड हो जाता है. ऐसे में ऑर्गन ट्रांसप्लांट की टीम घरवालों की काउंसलिंग कर अंगदान के लिए राजी करती है. इससे कई मरीजों की जिंदगी बचाने में मदद मिलती है. KGMU बहु-अंगदान करने वाला यूपी का एकमात्र संस्थान है. एम्स नई दिल्ली और आर एंड आर अस्पताल सहित अन्य संस्थानों के साथ KGMU के सहयोग से 50 से अधिक अंगों को भेजा गया.

ILBS में मिली डॉक्टरों को ट्रेनिंग
लिवर ट्रांसप्लांट के लिए दिल्ली के ILBS इंस्टिट्यूट में डॉक्टरों को ट्रेनिंग मिली है. इसमें चार सर्जन, एक हेपेटोलॉजिस्टि, एक रेडियोलोजिस्ट, तीन एनेस्थेटिस्ट, एक पैथोलॉजिस्ट ट्रेनिंग पूरी करके वापस आ चुके हैं. मुफ्त ट्रांसप्लांट के बाद मरीजों का आगे चलकर सस्ती दर पर ट्रांसप्लांट होगा. इसके अलावा लिवर की दूसरी बीमारी का भी इलाज करेंगे.

सस्ता है यहां लिवर ट्रांसप्लांट
लिवर ट्रांसप्लांट में प्राइवेट अस्पतालों में 30 से 40 लाख रुपये व ILBS दिल्ली में 18 लाख रुपये के लगभग खर्च आता है. वहीं केजीएमयू 10 से 12 लाख में लिवर ट्रांसप्लांट मुमकिन है. वहीं PGI में भी KGMU के आसपास की लिवर ट्रांसप्लांट का शुल्क होगा.

PGI में बढ़ेंगे 550 बेड
SGPGI कैंपस में 550 बेडों वाला नया भवन बनकर तैयार हो रहा है. ऐसे में मरीजों को अब बेडों की समस्‍या से जूझना नहीं होगा. इसमें 220 बेड इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के होंगे. इसके अलावा 165 बेड नेफ्रोलॉजी विभाग के होंगे. साथ ही 115 बेड डायलिसिस के होंगे. शेष बेड यूरोलॉजी विभाग के लिए होंगे. वर्तमान में पीजीआई में 1610 बेड हैं. बेड बढ़ने से मरीजों को काफी राहत मिलेगी.

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के बड़े चिकित्सा संस्थान SGPGI (संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान) में सितंबर माह से लिवर ट्रांसप्लांट शुरू किए जाने की तैयारी है. ट्रांसप्लांट शुरू किए जाने के बाद लाइव डोनर के अलावा कैडेवरिक ऑर्गन ट्रांसप्लांट भी किया जाएगा. इसके लिए PGI और KGMU (किंग जॉर्ज चिकित्सा महाविद्यालय) में करार किया जाएगा. गौरतलब है कि अभी तब PGI में किडनी ट्रांसप्लांट ही हो रहा है.

SGPGI के निदेशक डॉ. आरके धीमान के मुताबिक, कोरोना संक्रमण कम हो गया है. ऐसे में संस्थान में सितंबर से लिवर ट्रांसप्लांट शुरू करने का प्लान है. इसके लिए डॉक्टरों ने 22 जुलाई से ओपीडी शुरू कर दी है. सोमवार से शुक्रवार तक लिवर फेल्योर के मरीजों को देखा जा रहा है. यहां मरीजों की स्क्रीनिंग की जा रही है. ट्रांसप्लांट के लिए मरीज और डोनर की काउंसिलिंग की जा रही है. 5 मरीजों ने ट्रांसप्लांट पर सहमति जताई. इनकी जांचें व ऑर्गन डोनर संबंधी प्रक्रिया चल रही है. वहीं लाइव डोनर के साथ-साथ कैडेवरिक ऑर्गन ट्रांसप्लांट को भी बढ़ावा दिया जाएगा. इसके लिए KGMU से करार किया जाएगा. यहां से ब्रेन डेड मरीजों के अंग मिल सकेंगे. इस करार के बाद अधिक से अधिक अंग प्रत्यारोपण किए जा सकेंगे.

क्या होता है कैडेवरिक ट्रांसप्लांट
लाइव डोनर में मरीज के परिजन अंगदान करते हैं. यह स्वस्थ्य व्यक्ति होते हैं. इनका ऑर्गन निकालकर मरीज में प्रत्यारोपित किया जाता है. वहीं कैडेवरिक ट्रांसप्लांट में दुर्घटना में घायल व अन्य कारण से व्यक्ति का ब्रेन डेड हो जाता है. एक्सपर्ट कमेटी तमाम जांचों के बाद उसे ब्रेन डेड घोषित करती है. इसके बाद परिजन की मंजूरी लेकर ब्रेन डेड मरीज के अंग निकाले जाते हैं. इसके बाद यह अंग किडनी, लिवर फेल्योर मरीज में प्रत्यारोपित किया जाता है तो इसे कैडेवरिक ट्रांसप्लांट कहते हैं.

50 अंगदान करा चुका KGMU
KGMU में ट्रॉमा सेंटर है. यहां गंभीर रूप से घायल होकर आए रोगी भर्ती किए जाते हैं. इसमें कई का ब्रेन डेड हो जाता है. ऐसे में ऑर्गन ट्रांसप्लांट की टीम घरवालों की काउंसलिंग कर अंगदान के लिए राजी करती है. इससे कई मरीजों की जिंदगी बचाने में मदद मिलती है. KGMU बहु-अंगदान करने वाला यूपी का एकमात्र संस्थान है. एम्स नई दिल्ली और आर एंड आर अस्पताल सहित अन्य संस्थानों के साथ KGMU के सहयोग से 50 से अधिक अंगों को भेजा गया.

ILBS में मिली डॉक्टरों को ट्रेनिंग
लिवर ट्रांसप्लांट के लिए दिल्ली के ILBS इंस्टिट्यूट में डॉक्टरों को ट्रेनिंग मिली है. इसमें चार सर्जन, एक हेपेटोलॉजिस्टि, एक रेडियोलोजिस्ट, तीन एनेस्थेटिस्ट, एक पैथोलॉजिस्ट ट्रेनिंग पूरी करके वापस आ चुके हैं. मुफ्त ट्रांसप्लांट के बाद मरीजों का आगे चलकर सस्ती दर पर ट्रांसप्लांट होगा. इसके अलावा लिवर की दूसरी बीमारी का भी इलाज करेंगे.

सस्ता है यहां लिवर ट्रांसप्लांट
लिवर ट्रांसप्लांट में प्राइवेट अस्पतालों में 30 से 40 लाख रुपये व ILBS दिल्ली में 18 लाख रुपये के लगभग खर्च आता है. वहीं केजीएमयू 10 से 12 लाख में लिवर ट्रांसप्लांट मुमकिन है. वहीं PGI में भी KGMU के आसपास की लिवर ट्रांसप्लांट का शुल्क होगा.

PGI में बढ़ेंगे 550 बेड
SGPGI कैंपस में 550 बेडों वाला नया भवन बनकर तैयार हो रहा है. ऐसे में मरीजों को अब बेडों की समस्‍या से जूझना नहीं होगा. इसमें 220 बेड इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के होंगे. इसके अलावा 165 बेड नेफ्रोलॉजी विभाग के होंगे. साथ ही 115 बेड डायलिसिस के होंगे. शेष बेड यूरोलॉजी विभाग के लिए होंगे. वर्तमान में पीजीआई में 1610 बेड हैं. बेड बढ़ने से मरीजों को काफी राहत मिलेगी.

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