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इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार, रैंप बनने के बाद शुरू होगी KGMU के लारी की नई बिल्डिंग : प्रो. सोनिया नित्यानंद

प्रो. सोनिया नित्यानंद ने कुछ माह पहले ही केजीएमयू की कुलपति (KGMU Vice Chancellor Sonia Nithyananda) का कार्यभार संभाला है. केजीएमयू में समस्याओं और नई व्यवस्थाओं को लेकर कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 25, 2023, 5:32 PM IST

Updated : Dec 28, 2023, 4:25 PM IST

संवाददाता अपर्णा शुक्ला की केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद से खास बातचीत.

लखनऊ : विश्व स्तर पर केजीएमयू बेहतर इलाज के लिए पहचाना जाता है. कई बार ऐसा होता है कि केजीएमयू में मरीज इलाज के लिए तो आता है लेकिन, उसे सही तरीके से ही इलाज नहीं मिल पाता है. यहां तक की केजीएमयू में मरीज को भर्ती कराने के लिए भी तीमारदारों के पसीने छूट जाते हैं. हाल ही में केजीएमयू के आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने वेतन कटौती को लेकर विशाल धरना प्रदर्शन किया था और उसी दिन ओपीडी सेवाएं बंद थीं और ट्रॉमा सेंटर का गेट पर ताला जड़ दिया गया था. उस दौरान प्रदेश के दूसरे जिले से इलाज करने के लिए मरीज केजीएमयू ट्राॅमा सेंटर पहुंचे. एक पिता के बेटे ने गोद में ही दम तोड़ दिया था. ईटीवी भारत की टीम ने केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद से मरीजों के इलाज को लेकर तमाम मुद्दों पर बातचीत की.



सवाल : फेफड़ा प्रत्यारोपण का काम कब तक शुरू होगा ?

जबाव : केजीएमयू कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि 'तमाम बड़े संस्थानों में फेफड़ा प्रत्यारोपण हो रहा है. केजीएमयू में भी अब लंग्स ट्रांसप्लांट के लिए तैयारी हो चुकी है. शासन स्तर पर हमने लिखित तौर पर सारी चीज अवगत करा दी है. कोशिश है कि आने वाले दो-तीन महीने में लंग्स ट्रांसप्लांट का काम शुरू हो जाएगा. इससे मरीज को बहुत राहत मिलेगी.'


सवाल : लारी में भीड़ होती है, 100 बेड का नया अस्पताल बन कर तैयार है, वह कब शुरू होगा?


जवाब : केजीएमयू कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि 'लारी प्रदेश का एक ऐसा केंद्र है जहां पर हर जिले से मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. ऐसे में कुछ मरीज इलाज से वंचित रह जाते हैं. इसके लिए लारी को एक और बिल्डिंग में शिफ्ट कराया जा रहा है, जहां पर 500 बेड की व्यवस्था की गई है. मरीज जो प्रदेश भर से इलाज के लिए लारी में आते हैं. आने वाले दिनों में इलाज के लिहाज से मरीजों को समस्या नहीं होगी. बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे बहुत सारी चीजों को सुधारा जा रहा है और नई बिल्डिंग भी विभाग को दी जा रही है ताकि मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल सके.'

सवाल : डेंटल बिल्डिंग बहुत जर्जर है, क्या उसके लिए नई बिल्डिंग के लिए सोचा गया है ?

जवाब : बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि 'डेंटल विभाग की पुरानी बिल्डिंग बहुत जर्जर हो चुकी है, जिस पर हमारा ध्यान पहले से ही है. यहां तक की वर्ष 2017 में जब आईआईटी रुड़की के एक्सपर्ट्स आए थे तो उन्होंने भी इस बिल्डिंग को लेकर कुछ संकेत दिए थे. इसके बाद से शासन को लिखित तौर पर इस बिल्डिंग के बारे में अवगत कराया गया था. शासन को जल्द ही नई बिल्डिंग के लिए प्रपोजल भेजेंगे.'

सवाल : प्रॉपर तरीके से आईवीएफ तकनीक कब शुरू होगी?


जवाब : प्रो. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि केजीएमयू के महिला विभाग क्वीन मैरी अस्पताल में आईवीएफ सुविधा उपलब्ध है, क्योंकि क्वीन मैरी अस्पताल में रेफर केस बहुत अधिक आते हैं जो हाई डिपेंडेंसी यूनिट के होते हैं. ऐसे में आईवीएफ के लिए कुछ दिन निर्धारित किए गए हैं. जो दिन निर्धारित हैं, उन दिनों में महिलाएं आईवीएफ यूनिट में जाकर डॉक्टर से परामर्श ले सकती हैं और आगे की प्रक्रिया शुरू होगी. उन्होंने कहा कि अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की इतनी संख्या होती है कि महिला रोग विशेषज्ञ को इतना समय नहीं मिल पाता है कि हर रोज आईवीएफ यूनिट में बैठ सके. अगर अलग से किसी को तैनात करेंगे तो उसे इमरजेंसी में ड्यूटी करनी पड़ेगी. सिर्फ आईवीएफ यूनिट चलाने के लिए किसी महिला रोग विशेषज्ञ को नहीं बिठाया जा सकता है. इसके अलावा उन्हें ओपीडी और स्टूडेंट की क्लास भी लेनी होती है, इसलिए स्पेसिफिक महिला रोग विशेषज्ञ को तैनात नहीं किया गया है. बाकी क्वीन मेरी अस्पताल में आईवीएफ सुविधा महिलाओं के लिए उपलब्ध है जो कि निर्धारित दिन पर आधारित है.

सवाल : केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में कब तक सुधार होगा?


जवाब : उन्होंने बातचीत के दौरान कहा कि प्रदेश भर से केजीएमयू ट्राॅमा सेंटर में मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. ट्राॅमा सेंटर में इमरजेंसी के सीरियस केस आते हैं, जो प्रदेश भर से या तो रेफर किए जाते हैं या फिर सीधे केजीएमयू के ट्राॅमा सेंटर में ही इलाज करने के लिए आते हैं. ऐसे में बहुत से मरीज इलाज मिलने से पहले ही दम तोड़ देते हैं. बहुत सारे ऐसे केस देखे गए हैं जिसको देखते हुए केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर-2 बनाने के लिए शासन को लिखित पत्र भेजा गया है. संभावना है कि आने वाले साल में केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर-2 100 बेड का तैयार होगा. जिससे ट्रॉमा सेंटर में आने वाले मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा.

यह भी पढ़ें : केजीएमयू में शोध : पेट के कीड़ों की वजह से भी होता है माइग्रेन, मस्तिष्क में कैलशिफाइड डॉट बढ़ा देते हैं सीवियर्टी

यह भी पढ़ें : Medical News : किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में जल्द लगेंगी आधुनिक कीमोथेरेपी मशीनें, कैंसर पीड़ित मरीजों को होगी सहूलियत

संवाददाता अपर्णा शुक्ला की केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद से खास बातचीत.

लखनऊ : विश्व स्तर पर केजीएमयू बेहतर इलाज के लिए पहचाना जाता है. कई बार ऐसा होता है कि केजीएमयू में मरीज इलाज के लिए तो आता है लेकिन, उसे सही तरीके से ही इलाज नहीं मिल पाता है. यहां तक की केजीएमयू में मरीज को भर्ती कराने के लिए भी तीमारदारों के पसीने छूट जाते हैं. हाल ही में केजीएमयू के आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने वेतन कटौती को लेकर विशाल धरना प्रदर्शन किया था और उसी दिन ओपीडी सेवाएं बंद थीं और ट्रॉमा सेंटर का गेट पर ताला जड़ दिया गया था. उस दौरान प्रदेश के दूसरे जिले से इलाज करने के लिए मरीज केजीएमयू ट्राॅमा सेंटर पहुंचे. एक पिता के बेटे ने गोद में ही दम तोड़ दिया था. ईटीवी भारत की टीम ने केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद से मरीजों के इलाज को लेकर तमाम मुद्दों पर बातचीत की.



सवाल : फेफड़ा प्रत्यारोपण का काम कब तक शुरू होगा ?

जबाव : केजीएमयू कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि 'तमाम बड़े संस्थानों में फेफड़ा प्रत्यारोपण हो रहा है. केजीएमयू में भी अब लंग्स ट्रांसप्लांट के लिए तैयारी हो चुकी है. शासन स्तर पर हमने लिखित तौर पर सारी चीज अवगत करा दी है. कोशिश है कि आने वाले दो-तीन महीने में लंग्स ट्रांसप्लांट का काम शुरू हो जाएगा. इससे मरीज को बहुत राहत मिलेगी.'


सवाल : लारी में भीड़ होती है, 100 बेड का नया अस्पताल बन कर तैयार है, वह कब शुरू होगा?


जवाब : केजीएमयू कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि 'लारी प्रदेश का एक ऐसा केंद्र है जहां पर हर जिले से मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. ऐसे में कुछ मरीज इलाज से वंचित रह जाते हैं. इसके लिए लारी को एक और बिल्डिंग में शिफ्ट कराया जा रहा है, जहां पर 500 बेड की व्यवस्था की गई है. मरीज जो प्रदेश भर से इलाज के लिए लारी में आते हैं. आने वाले दिनों में इलाज के लिहाज से मरीजों को समस्या नहीं होगी. बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे बहुत सारी चीजों को सुधारा जा रहा है और नई बिल्डिंग भी विभाग को दी जा रही है ताकि मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल सके.'

सवाल : डेंटल बिल्डिंग बहुत जर्जर है, क्या उसके लिए नई बिल्डिंग के लिए सोचा गया है ?

जवाब : बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि 'डेंटल विभाग की पुरानी बिल्डिंग बहुत जर्जर हो चुकी है, जिस पर हमारा ध्यान पहले से ही है. यहां तक की वर्ष 2017 में जब आईआईटी रुड़की के एक्सपर्ट्स आए थे तो उन्होंने भी इस बिल्डिंग को लेकर कुछ संकेत दिए थे. इसके बाद से शासन को लिखित तौर पर इस बिल्डिंग के बारे में अवगत कराया गया था. शासन को जल्द ही नई बिल्डिंग के लिए प्रपोजल भेजेंगे.'

सवाल : प्रॉपर तरीके से आईवीएफ तकनीक कब शुरू होगी?


जवाब : प्रो. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि केजीएमयू के महिला विभाग क्वीन मैरी अस्पताल में आईवीएफ सुविधा उपलब्ध है, क्योंकि क्वीन मैरी अस्पताल में रेफर केस बहुत अधिक आते हैं जो हाई डिपेंडेंसी यूनिट के होते हैं. ऐसे में आईवीएफ के लिए कुछ दिन निर्धारित किए गए हैं. जो दिन निर्धारित हैं, उन दिनों में महिलाएं आईवीएफ यूनिट में जाकर डॉक्टर से परामर्श ले सकती हैं और आगे की प्रक्रिया शुरू होगी. उन्होंने कहा कि अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की इतनी संख्या होती है कि महिला रोग विशेषज्ञ को इतना समय नहीं मिल पाता है कि हर रोज आईवीएफ यूनिट में बैठ सके. अगर अलग से किसी को तैनात करेंगे तो उसे इमरजेंसी में ड्यूटी करनी पड़ेगी. सिर्फ आईवीएफ यूनिट चलाने के लिए किसी महिला रोग विशेषज्ञ को नहीं बिठाया जा सकता है. इसके अलावा उन्हें ओपीडी और स्टूडेंट की क्लास भी लेनी होती है, इसलिए स्पेसिफिक महिला रोग विशेषज्ञ को तैनात नहीं किया गया है. बाकी क्वीन मेरी अस्पताल में आईवीएफ सुविधा महिलाओं के लिए उपलब्ध है जो कि निर्धारित दिन पर आधारित है.

सवाल : केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में कब तक सुधार होगा?


जवाब : उन्होंने बातचीत के दौरान कहा कि प्रदेश भर से केजीएमयू ट्राॅमा सेंटर में मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. ट्राॅमा सेंटर में इमरजेंसी के सीरियस केस आते हैं, जो प्रदेश भर से या तो रेफर किए जाते हैं या फिर सीधे केजीएमयू के ट्राॅमा सेंटर में ही इलाज करने के लिए आते हैं. ऐसे में बहुत से मरीज इलाज मिलने से पहले ही दम तोड़ देते हैं. बहुत सारे ऐसे केस देखे गए हैं जिसको देखते हुए केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर-2 बनाने के लिए शासन को लिखित पत्र भेजा गया है. संभावना है कि आने वाले साल में केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर-2 100 बेड का तैयार होगा. जिससे ट्रॉमा सेंटर में आने वाले मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा.

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Last Updated : Dec 28, 2023, 4:25 PM IST
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