लखनऊ: राजधानी के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के फिजियोलॉजी विभाग में डायबिटीज को लेकर एक शोध किया गया है. इस बारे में डॉ. नरसिंह वर्मा ने बताया कि डायबिटीज शरीर के मेटाबोलिज्म के बिगड़ने की वजह से होने वाली अनियमितता है. इसके लिए हमारे विभाग में एक शोध किया गया है. इस शोध में खाने के समय को लेकर बदलाव किया गया, जिसके परिणाम देख कर हमें काफी खुशी हुई.
300 मरीजों पर किया शोध
इस शोध को करने वाली फिजियोलॉजी विभाग की पीएचडी स्कॉलर डॉ. स्मृति रस्तोगी ने बताया कि यह शोध उन मरीजों पर किया गया है, जो डायबिटीज के नए रोगी हैं. साथ ही उन मरीजों को ओरल दवाइयां दी जा रही थी. इंसुलिन दिए जाने वाले रोगियों को इस शोध में शामिल नहीं किया गया है. डॉ. स्मृति ने बताया कि इस शोध में 300 मरीजों पर शोध किया गया है. इनमें आधे मरीज ऐसे थे जो नियत समय पर खाना खा रहे थे, जबकि आधे मरीजों को 7 बजे के बाद कुछ भी खाने की मनाही थी.
डायबिटीज के मरीज 7 बजे से पहले खाए खाना
डॉ. रस्तोगी के मुताबिक समय बदलने भर से ही मरीजों में काफी बड़े बदलाव देखे गए हैं. 7 बजे से पहले खाना खाने वाले लोगों में डायबिटीज का स्तर काफी कम और संयमित हुआ. इसके अलावा उनके कोलेस्ट्रॉल में सुधार हुआ और डाईजेस्टिव प्रक्रिया भी सुधरी. इसके अलावा 7 बजे से पहले खाना खाने वाले लोगों के बीएमआई और हिप साइज में भी काफी सकारात्मक परिणाम देखे गए.
डॉ. स्मृति ने इस शोध के बारे में बताया कि इस शोध को अभी हम आगे बढ़ा रहे हैं. हमारा सैंपल साइड अब तक पूरा नहीं हुआ है, लेकिन इसके अब तक के परिणाम को हम कई देशों में दिखा चुके हैं. दुनिया भर के विशेषज्ञ भी इस पर विचार कर रहे हैं. डॉ. नरसिंह वर्मा ने बताया कि महज खाने के समय को बदलने से ही हमारे शरीर की तमाम ऐसी अनियमितताओं को दूर किया जा सकता है, जो जीवनशैली से जुड़ी होती हैं. डायबिटीज यदि आनुवंशिक न हो तो, इसे काफी हद तक संभाला जा सकता है.