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एक व्यक्ति के नेत्रदान से 5 लोगों का जीवन होगा रोशन

लखनऊ के केजीएमयू में एक व्यक्ति के नेत्रदान (कार्निया) से कइयों के जीवन में रंग भरेगा. केजीएमयू के डॉक्टर अब एक डोनर से मिलीं दो कार्निया को पांच लोगों में ट्रांसप्लांट करेंगे. ऐसे में वर्षों से अंधता का शिकार रहे लोगों को जीवन में नया सवेरा देखना को मिलेगा.

नेत्रदान
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Published : Aug 10, 2021, 7:41 AM IST

लखनऊ : केजीएमयू के आई बैंक के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. अरुण शर्मा के मुताबिक केजीएमयू में कार्निया ट्रांसप्लांट की आधुनिक सुविधा है. पहले यहां एक कार्निया, एक व्यक्ति को ट्रांसप्लांट की जाती थी. वहीं वर्ष 2019 से एक कार्निया को कट कर दो लोगों में ट्रांसप्लांट करना शुरू किया गया. यानी कि एक व्यक्ति के नेत्रदान से मिलीं दो कार्निया से चार लोगों के जीवन में उजाला लाया गया. ऐसे में अब तक कार्निया को दो टुकड़ों में करके 30 लोगों में ट्रांसप्लांट किया गया. इन मरीजों का फॉलोअप किया गया. इनमें बेहतर परिणाम मिले. लिहाजा, अब एक व्यक्ति से मिलीं दो कार्निया को पांच लोगों में प्रत्यारोपित करने का प्लान बनाया गया है. इससे कार्निया की कमी होने के बावजूद अधिक से अधिक लोगों के जीवन को संवारा जा सकेगा.

केजीएमयू  लखनऊ
केजीएमयू लखनऊ
व्यक्ति की मृत्यु के बाद परिवारजनों की सहमति से मेडिकल टीम कार्निया संरक्षित करती है. आई बैंक में कार्निया का चेकअप किया जाता है. कार्निया में पांच परतें होती हैं. इनमें इपिथिलीयम, बोमेन मेम्ब्रेन, स्टोरमा, डिसिमेंट मेम्ब्रेन और इंडोथिलीयम परत होती हैं. जिन मरीजों में अपर लेयर डिजीज होती है, उनमें डीप एंटीरियर लैमेलर केरेटोप्लास्टी (डीएएलके) किया जाता है. वहीं लोअर लेयर डिजीज में डेस्केमेट स्ट्रीपिंग, केरटोप्लास्टी की जाती है. ऐसे में आंख की जांच के दौरान, जो लेयर खराब मिलती है. उसका प्रत्यारोपण कर दिया जाता है. वहीं कार्निया की सबसे भीतरी लेयर इंडोथिलीयम लेयर होती है. इसमें छति होने पर पूरी कार्निया का ट्रांसप्लांट किया जाता है.
  • देश में 12 लाख लोग कार्निया संबंधी दृष्टिहीनता का शिकार
  • विश्व में दृष्टिहीनता से घिरे 50 फीसद लोग भारत में हैं
  • 5 सेंकेंड में विश्व में एक व्यक्ति दृष्टिबाधिता का शिकार हो जाता है
  • जनवरी से अब तक केजीएमयू में 546 लोगों में कार्निया ट्रांसप्लांट
  • यूपी में करीब 2.5 लाख व्यक्ति को कार्निया ट्रांसप्लांट का इंतजार

लखनऊ : केजीएमयू के आई बैंक के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. अरुण शर्मा के मुताबिक केजीएमयू में कार्निया ट्रांसप्लांट की आधुनिक सुविधा है. पहले यहां एक कार्निया, एक व्यक्ति को ट्रांसप्लांट की जाती थी. वहीं वर्ष 2019 से एक कार्निया को कट कर दो लोगों में ट्रांसप्लांट करना शुरू किया गया. यानी कि एक व्यक्ति के नेत्रदान से मिलीं दो कार्निया से चार लोगों के जीवन में उजाला लाया गया. ऐसे में अब तक कार्निया को दो टुकड़ों में करके 30 लोगों में ट्रांसप्लांट किया गया. इन मरीजों का फॉलोअप किया गया. इनमें बेहतर परिणाम मिले. लिहाजा, अब एक व्यक्ति से मिलीं दो कार्निया को पांच लोगों में प्रत्यारोपित करने का प्लान बनाया गया है. इससे कार्निया की कमी होने के बावजूद अधिक से अधिक लोगों के जीवन को संवारा जा सकेगा.

केजीएमयू  लखनऊ
केजीएमयू लखनऊ
व्यक्ति की मृत्यु के बाद परिवारजनों की सहमति से मेडिकल टीम कार्निया संरक्षित करती है. आई बैंक में कार्निया का चेकअप किया जाता है. कार्निया में पांच परतें होती हैं. इनमें इपिथिलीयम, बोमेन मेम्ब्रेन, स्टोरमा, डिसिमेंट मेम्ब्रेन और इंडोथिलीयम परत होती हैं. जिन मरीजों में अपर लेयर डिजीज होती है, उनमें डीप एंटीरियर लैमेलर केरेटोप्लास्टी (डीएएलके) किया जाता है. वहीं लोअर लेयर डिजीज में डेस्केमेट स्ट्रीपिंग, केरटोप्लास्टी की जाती है. ऐसे में आंख की जांच के दौरान, जो लेयर खराब मिलती है. उसका प्रत्यारोपण कर दिया जाता है. वहीं कार्निया की सबसे भीतरी लेयर इंडोथिलीयम लेयर होती है. इसमें छति होने पर पूरी कार्निया का ट्रांसप्लांट किया जाता है.
  • देश में 12 लाख लोग कार्निया संबंधी दृष्टिहीनता का शिकार
  • विश्व में दृष्टिहीनता से घिरे 50 फीसद लोग भारत में हैं
  • 5 सेंकेंड में विश्व में एक व्यक्ति दृष्टिबाधिता का शिकार हो जाता है
  • जनवरी से अब तक केजीएमयू में 546 लोगों में कार्निया ट्रांसप्लांट
  • यूपी में करीब 2.5 लाख व्यक्ति को कार्निया ट्रांसप्लांट का इंतजार
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