लखनऊ: एक बच्चे को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने सर्जरी कर जीवनदान दिया है. दरअसल जौनपुर के रहने वाले विष्णु का बच्चा खेलते-खेलते 10 फुट की ऊंचाई से नीचे गिर गया. इस हादसे में बच्चे की आंख के पास 13 सेंटीमीटर का खपरैल का टुकड़ा घुस गया था. इस सर्जरी में केजीएमयू के डॉक्टरों को लगभग 5 घंटे का समय लगा. बच्चे के सिर में घुसे 13 सेंटीमीटर के खपरैल को निकाल कर चेहरा ठीक करने में लगभग 5 घंटे का समय लगा.
इस पूरे मामले पर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. दिव्य नारायण कहते हैं कि यह बच्चा हमारे पास रविवार की रात को रेफर किया गया था. सोमवार को हमने 4 विभागों के साथ बातचीत कर एक टीम बनाई और रूपरेखा तैयार करने के बाद मंगलवार को बच्चे के ऑपरेशन की तैयारी की. बच्चे के चेहरे में बाईं आंख को लेकर दिमाग के अंदर तक यह टुकड़ा घुस चुका था, ऐसे में हमें बेहद सावधानी पूर्वक इसे निकालना था और बच्चे को स्टेबल भी रखना था.
न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ क्षितिज, नेत्र रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ अभिजीत कौर और एनेस्थीसिया विभाग के प्रोफेसर सतीश वर्मा की टीम के साथ हमने 5 घंटे की जटिल सर्जरी कर बच्चे के चेहरे को दोबारा दुरुस्त किया. हालांकि इस दुर्घटना की वजह से बच्चे की बाईं आंख को हमें निकालना पड़ा, लेकिन इस सर्जरी के बाद बच्चा अब स्वस्थ है. अब वह अपने माता-पिता से बातचीत कर पाने में समर्थ है. नेत्र रोग विभाग की एक टीम अभी भी मरीज की देखरेख कर रही है. बच्चे के पिता विष्णु कुमार कहते हैं कि जौनपुर में हमारे साथ जब यह हादसा हुआ, उसके बाद हम दो-तीन अस्पताल दौड़े. उसके बाद केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में डॉक्टरों ने हमारे बच्चे को ठीक कर दिया. इसके साथ ही विष्णु ने खपरैल का वह टुकड़ा भी दिखलाया जो उनके बच्चे के चेहरे में धंस गया था.
डॉ दिव्य नारायण कहते हैं कि क्योंकि बच्चा स्टेबल था इस वजह से हम बच्चे की सर्जरी में वक्त ले पाए अन्यथा अक्सर ऐसे मामलों में मरीज की जान चली जाती है. इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि यदि कोई भी इस तरह की कोई दुर्घटना हो जिसमें कोई फॉरेन पार्टिकल शरीर में धंस गया हो तो मरीज को अस्पताल लाते समय तक इस बात का ध्यान रखा जाए कि शरीर का वह हिस्सा और फॉरेन पार्टिकल को ज्यादा मूवमेंट यानी हिलाया डुलाया न जाए अन्यथा इससे और अधिक नुकसान होने की आशंका बनी रहती है.