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KGMU doctors : मरीजों को लिख रहे बाहर की दवाएं, आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत दर्ज

केजीएमयू के डाॅक्टर (KGMU doctors) मरीजों को बाहर से दवाएं लिख रहे हैं. ऐसे में तीमारों को मेडिकल स्टोरों से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं. शासन का दावा है कि केजीएमयू परिसर में मरीजों को सस्ती दवाएं मुहैया कराने के लिए एचआरएफ के स्टोर, अमृत फार्मेसी, प्रधानमंत्री जन औषिध केंद्र, सोसाइटी के स्टोर हैं. इनमें 30 से 70 फीसदी कम कीमत पर दवाएं मिलती हैं.

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Published : Jan 12, 2023, 3:24 PM IST

Updated : Jan 12, 2023, 3:34 PM IST

केस एक

केस दो

ट्रॉमा सेंटर में मेडिसिन विभाग में भर्ती एटा निवासी मरीज के तीमारदार राजेश कुमार बताते हैं कि रोजाना तीन से चार हजार रुपये की दवाएं डॉक्टर लिख रहे हैं. ये सभी दवाएं पुराने पेट्रोल पंप के पास के स्टोर से मिल रही हैं. ट्रॉमा में मरीजों को एक गोली भी नहीं मिल पा रही है. सर्जिकल सामान तक नहीं मिल पा रहा है.हड्डी रोग विभाग में बहराइच निवासी मरीज को भी डॉक्टर बाहर की दवाएं लिखी हैं. तीमारदार राजेंद्र बताते हैं कि दो से तीन हजार रुपये की दवाएं रोज बाहर से खरीदी पड़ रही हैं. पैर व हाथ में फ्रैक्चर का इलाज चल रहा है. ग्लब्स तक मंगाया जा रहा है.

लखनऊ : शासन प्रशासन की सख्ती के बावजूद केजीएमयू के डॉक्टर मरीजों को बाहर की दवा लिखने से बाज नहीं आ रहे हैं. मरीजों को महंगी व चहेती कंपनियों की दवा-सर्जिकल सामान लिखा जा रहा है. इसका खामियाजा गरीब मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. एक तीमारदार ने मुख्यमंत्री के आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत के बाद केजीएमयू प्रशासन हरकत में आया. कुलसचिव रेखा एस चौहान ने ट्रॉमा सेंटर समेत दूसरे विभाग के डॉक्टरों को पत्र लिखकर मरीजों को परिसच में खुले स्टोर की दवा लिखने के निर्देश दिए हैं.

केजीएमयू में 4500 बेड हैं. रोजाना ओपीडी में पांच से छह हजार मरीज आ रहे हैं. लगभग 500 डॉक्टर व 800 रेजिडेंट हैं. मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए सरकार हर साल करीब 900 करोड़ रुपये का भारी भरकम बजट जारी करती है. वहीं सरकारी प्रोजेक्ट व जांच आदि के शुल्क से केजीएमयू की हर महीनों करोड़ों रुपये की कमाई है. इसके बावजूद डॉक्टर मरीजों को बाजार की दवा व सर्जिकल सामान लिख रहे हैं.

मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद हरकत में आए अधिकारी

डॉक्टरों को रास नहीं आ रही सस्ती दवा

मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद केजीएमयू प्रशासन हरकत में आया. कुलसचिव ने ट्रॉमा सेंटर समेत दूसरे विभाग को आदेश दिया है. जिसमें उन्होंने साफ कहा है कि मरीजों को सिर्फ परिसर में खुले मेडिकल स्टोर की दवा उपलब्ध कराई जाए. बाहर की दवा मरीजों को न लिखी जाए.मरीजों को सस्ती दवाएं मुहैया कराने के लिए एचआरएफ के स्टोर हैं. अमृत फार्मेसी है. प्रधानमंत्री जन औषिध केंद्र है. सोसाइटी के स्टोर हैं. इनमें 30 से 70 फीसदी कम कीमत पर मरीजों को दवा मुहैया कराई जा रही है. इसके बावजूद केजीएमयू के डॉक्टरों को सस्ती दवाएं रास नहीं आ रही हैं. जबकि यहां भी नामचीन कंपनियों की दवाएं उपलब्ध हैं.


यह भी पढ़ें : CM Yogi Adityanath ने कहा, बांदा, महोबा, हमीरपुर व चित्रकूट जिलों में विकास की अपार संभावनाएं

केस एक

केस दो

ट्रॉमा सेंटर में मेडिसिन विभाग में भर्ती एटा निवासी मरीज के तीमारदार राजेश कुमार बताते हैं कि रोजाना तीन से चार हजार रुपये की दवाएं डॉक्टर लिख रहे हैं. ये सभी दवाएं पुराने पेट्रोल पंप के पास के स्टोर से मिल रही हैं. ट्रॉमा में मरीजों को एक गोली भी नहीं मिल पा रही है. सर्जिकल सामान तक नहीं मिल पा रहा है.हड्डी रोग विभाग में बहराइच निवासी मरीज को भी डॉक्टर बाहर की दवाएं लिखी हैं. तीमारदार राजेंद्र बताते हैं कि दो से तीन हजार रुपये की दवाएं रोज बाहर से खरीदी पड़ रही हैं. पैर व हाथ में फ्रैक्चर का इलाज चल रहा है. ग्लब्स तक मंगाया जा रहा है.

लखनऊ : शासन प्रशासन की सख्ती के बावजूद केजीएमयू के डॉक्टर मरीजों को बाहर की दवा लिखने से बाज नहीं आ रहे हैं. मरीजों को महंगी व चहेती कंपनियों की दवा-सर्जिकल सामान लिखा जा रहा है. इसका खामियाजा गरीब मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. एक तीमारदार ने मुख्यमंत्री के आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत के बाद केजीएमयू प्रशासन हरकत में आया. कुलसचिव रेखा एस चौहान ने ट्रॉमा सेंटर समेत दूसरे विभाग के डॉक्टरों को पत्र लिखकर मरीजों को परिसच में खुले स्टोर की दवा लिखने के निर्देश दिए हैं.

केजीएमयू में 4500 बेड हैं. रोजाना ओपीडी में पांच से छह हजार मरीज आ रहे हैं. लगभग 500 डॉक्टर व 800 रेजिडेंट हैं. मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए सरकार हर साल करीब 900 करोड़ रुपये का भारी भरकम बजट जारी करती है. वहीं सरकारी प्रोजेक्ट व जांच आदि के शुल्क से केजीएमयू की हर महीनों करोड़ों रुपये की कमाई है. इसके बावजूद डॉक्टर मरीजों को बाजार की दवा व सर्जिकल सामान लिख रहे हैं.

मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद हरकत में आए अधिकारी

डॉक्टरों को रास नहीं आ रही सस्ती दवा

मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद केजीएमयू प्रशासन हरकत में आया. कुलसचिव ने ट्रॉमा सेंटर समेत दूसरे विभाग को आदेश दिया है. जिसमें उन्होंने साफ कहा है कि मरीजों को सिर्फ परिसर में खुले मेडिकल स्टोर की दवा उपलब्ध कराई जाए. बाहर की दवा मरीजों को न लिखी जाए.मरीजों को सस्ती दवाएं मुहैया कराने के लिए एचआरएफ के स्टोर हैं. अमृत फार्मेसी है. प्रधानमंत्री जन औषिध केंद्र है. सोसाइटी के स्टोर हैं. इनमें 30 से 70 फीसदी कम कीमत पर मरीजों को दवा मुहैया कराई जा रही है. इसके बावजूद केजीएमयू के डॉक्टरों को सस्ती दवाएं रास नहीं आ रही हैं. जबकि यहां भी नामचीन कंपनियों की दवाएं उपलब्ध हैं.


यह भी पढ़ें : CM Yogi Adityanath ने कहा, बांदा, महोबा, हमीरपुर व चित्रकूट जिलों में विकास की अपार संभावनाएं

Last Updated : Jan 12, 2023, 3:34 PM IST
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