लखनऊ : बदलते मौसम के साथ मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ रहा है. इसके कई तरह की बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है. डेंगू के मरीजों की संख्या भी बढ़ रही हैं. अस्पतालों में विदेश से आने वाली प्रोसीजर किट का भी संकट है. इससे मरीजों को सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) नहीं मिल पा रही हैं.
ऐसे में केजीएमयू (KGMU - King George's Medical University) की ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा ने एसडीपी के लिए इंतजार करने के बजाए रेंडम डोनर प्लेटलेट्स (आरडीपी) चढ़ाने का सुझाव दिया है.
पांच गुना बढ़ी प्लेटलेट्स की डिमांड
डॉ. तूलिका चंद्रा के मुताबिक डेंगू की बीमारी इस माह चरम पर है. स्थिति यह है कि पहले केजीएमयू में 40 यूनिट प्लेटलेट्स की डिमांड होती थी. अब रोज 190 से 200 यूनिट प्लेटलेट्स सप्लाई हो रही हैं. वहीं, एसडीपी की रोज 10 से 15 यूनिट की डिमांड आती हैं.
![डॉ. तूलिका चंद्रा](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-luc-02-medical-7209922_18112021123343_1811f_1637219023_820.jpg)
एसडीपी से प्लेटलेट्स की फास्ट रिकवरी
डॉ. तूलिका चंद्रा के मुताबिक एसडीपी एक प्रोसीजर है. इसमें मरीज के समान ब्लड ग्रुप के डोनर का चयन किया जाता है. उसी से 300 एमएल प्लेटलेट्स निकालकर मरीज को चढ़ाई जाती हैं. एक यूनिट चढ़ाने से मरीज में 10 से 20 हजार तक प्लेटलेट्स की रेंज बढ़ती है.
वहीं, आरडीपी में अलग-अलग ब्लड ग्रुप की प्लेटलेट्स दी जाती है. इसकी एक यूनिट 50 एमएल की होती है. ऐसे में मरीज को कई यूनिट चढ़वानी पड़ती है.
कब चढ़ाई जाती है प्लेटलेट
डॉ. तूलिका चंद्रा के मुताबिक हर डेंगू मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता नहीं होती. 20 हजार से नीचे आने पर ही प्लेटलेट्स चढ़वाएं. वहीं, यदि ब्लीडिंग हो रही है तो डेढ़ लाख या उससे कम होने पर भी प्लेटलेट दी सकती है.
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डेंगू के लक्षण
तेज बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द, कमजोरी लगना, भूख न लगना, जी मिचलाना, चेहरे, गर्दन, चेस्ट पर लाल गुलाबी रंग के चकत्ते पड़ना प्रमुख लक्षण हैं.
वहीं, डेंगू हेमोरेजिक में नाक, मुंह, मसूड़े व मल से खून भी आता है. साथ ही डेंगू शॉक सिंड्रोम में ब्लड प्रेशर लो होना, बेहोशी होना, शरीर में प्लेटलेट्स लगातार कम होना प्रमुख लक्षण हैं.
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