ETV Bharat / state

Lucknow KGMU में बगैर चीरा पैनक्रियाटिक स्यूडोसिस्ट के इलाज की सुविधा, जानें खासियत - बगैर चीरा पैनक्रियाटिक स्यूडोसिस्ट का इलाज

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) लखनऊ के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में अग्नाशय में स्यूडोसिस्ट का इलाज पहली बार ईयूएस (इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड) विधि से किया गया. इस विधि में बगैर चीरा लगाए इलाज किया जाता है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Mar 30, 2023, 5:14 PM IST

लखनऊ : केजीएमयू के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में अग्नाशय में स्यूडोसिस्ट का इलाज पहली बार ईयूएस (इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड) विधि से किया गया. अब तक इसके इलाज के लिए पाइप डालकर या सर्जरी करनी पड़ती थी. इलाहाबाद निवासी 22 वर्षीय हर्षित यादव को पैनक्रियाटाइटिस( अग्नाशय मे सूजन) होने के कारण उनके पेट में अग्नाशय के आसपास सड़न से बहुत ज्यादा गंदगी जमा हो गई थी. जिसके कारण पेट में लगातार दर्द, बुखार, उल्टी और खाना खाने में असमर्थता हो रही थी. इस स्यूडोसिस्ट के कारण आसपास की खून की नसें भी बंद हो गई थीं. इसके लिए मरीज ने केजीएमयू के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में सहायक आचार्य डॉ. अनिल गंगवार को दिखाया.

Lucknow KGMU में बगैर चीरा पैनक्रियाटिक स्यूडोसिस्ट के इलाज की सुविधा.
Lucknow KGMU में बगैर चीरा पैनक्रियाटिक स्यूडोसिस्ट के इलाज की सुविधा.
केजीएमयू के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि मरीज की सहमति से इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड विधि से पेट के द्वारा मेटल स्टैंड डाला गया. इस विधि में केवल 10 मिनट का समय लगा. मरीज पूरी तरह स्वस्थ है और उसको दूसरे दिन छुट्टी भी दे दी गई. डॉ. अनिल गंगवार ने बताया कि इस विधि को इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड सिस्टोगैस्ट्रोस्टॉमी कहा जाता है. टीम में डॉ. संजीव, डॉ. कृष्ण पाल कोहली, टेक्नीशियन जितेंद्र और एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. नवीन मौजूद रहे. केजीएमयू कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. विपिन पुरी और गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. सुमित रूंगटा ने खुशी जताते हुए पूरी टीम को बधाई दी है.क्या होता है पैंक्रियाटाइटिस : डॉ. अनिल गंगवार ने बताया कि पैंक्रियाटाइटिस घातक एवं जटिल बीमारी होती है. यह मुख्य तौर पर पित्त की थैली में पथरी एवं शराब के सेवन से होता है. इस बीमारी में पैंक्रियाज के आसपास मवाद (पस) इकठ्ठा हो जाता है जो आगे चल कर बहुत सी समस्या को जन्म देता है. सर्जरी से जटिलता को कम करने के लिए एंडोस्कोपी विधि से इलाज किया गया. इसमें सिर्फ लगभग 10 से 20 मिनट का समय लगता है. इस प्रक्रिया में मरीज को भर्ती करना पड़ता तथा यह प्रक्रिया गंभीर मरीजों में भी की जा सकती है. जिनमें सर्जरी जोखिम भरा कार्य होता है. एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाऊंड की सभी सुविधाएं केजीएमयू में उपलब्ध हैं.

यह भी पढ़ें : UP Weather Update : तेज हवा के साथ बारिश व ओलावृष्टि की चेतावनी, जानिए अन्य जिलों का तापमान

लखनऊ : केजीएमयू के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में अग्नाशय में स्यूडोसिस्ट का इलाज पहली बार ईयूएस (इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड) विधि से किया गया. अब तक इसके इलाज के लिए पाइप डालकर या सर्जरी करनी पड़ती थी. इलाहाबाद निवासी 22 वर्षीय हर्षित यादव को पैनक्रियाटाइटिस( अग्नाशय मे सूजन) होने के कारण उनके पेट में अग्नाशय के आसपास सड़न से बहुत ज्यादा गंदगी जमा हो गई थी. जिसके कारण पेट में लगातार दर्द, बुखार, उल्टी और खाना खाने में असमर्थता हो रही थी. इस स्यूडोसिस्ट के कारण आसपास की खून की नसें भी बंद हो गई थीं. इसके लिए मरीज ने केजीएमयू के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में सहायक आचार्य डॉ. अनिल गंगवार को दिखाया.

Lucknow KGMU में बगैर चीरा पैनक्रियाटिक स्यूडोसिस्ट के इलाज की सुविधा.
Lucknow KGMU में बगैर चीरा पैनक्रियाटिक स्यूडोसिस्ट के इलाज की सुविधा.
केजीएमयू के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि मरीज की सहमति से इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड विधि से पेट के द्वारा मेटल स्टैंड डाला गया. इस विधि में केवल 10 मिनट का समय लगा. मरीज पूरी तरह स्वस्थ है और उसको दूसरे दिन छुट्टी भी दे दी गई. डॉ. अनिल गंगवार ने बताया कि इस विधि को इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड सिस्टोगैस्ट्रोस्टॉमी कहा जाता है. टीम में डॉ. संजीव, डॉ. कृष्ण पाल कोहली, टेक्नीशियन जितेंद्र और एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. नवीन मौजूद रहे. केजीएमयू कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. विपिन पुरी और गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. सुमित रूंगटा ने खुशी जताते हुए पूरी टीम को बधाई दी है.क्या होता है पैंक्रियाटाइटिस : डॉ. अनिल गंगवार ने बताया कि पैंक्रियाटाइटिस घातक एवं जटिल बीमारी होती है. यह मुख्य तौर पर पित्त की थैली में पथरी एवं शराब के सेवन से होता है. इस बीमारी में पैंक्रियाज के आसपास मवाद (पस) इकठ्ठा हो जाता है जो आगे चल कर बहुत सी समस्या को जन्म देता है. सर्जरी से जटिलता को कम करने के लिए एंडोस्कोपी विधि से इलाज किया गया. इसमें सिर्फ लगभग 10 से 20 मिनट का समय लगता है. इस प्रक्रिया में मरीज को भर्ती करना पड़ता तथा यह प्रक्रिया गंभीर मरीजों में भी की जा सकती है. जिनमें सर्जरी जोखिम भरा कार्य होता है. एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाऊंड की सभी सुविधाएं केजीएमयू में उपलब्ध हैं.

यह भी पढ़ें : UP Weather Update : तेज हवा के साथ बारिश व ओलावृष्टि की चेतावनी, जानिए अन्य जिलों का तापमान

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.