लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में कोरोना संक्रमित मरीज को प्लाज्मा थेरेपी देने के बाद मरीज में कुछ प्रतिशत तक सुधार देखने को मिल रहा है. इसके बाद केजीएमयू प्रशासन ने जूम क्लाउड एप के द्वारा मीडिया कर्मियों के साथ एक प्रेस कॉन्फेंस का आयोजन किया. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में अलग-अलग विभागों के विशेषज्ञों ने आकर प्लाज्मा सेल थेरेपी से जुड़ी हुई जानकारियां दी.
केजीएमयू के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट ने कहा कि केजीएमयू में पहली बार प्लाज्मा सेल थेरेपी की प्रक्रिया अपनाई जा रही है. उत्तर प्रदेश में यह पहला मौका है, जब किसी कोरोना संक्रमित मरीज में प्लाज्मा सेल थेरेपी दी जा रही है. उन्होंने कहा कि केजीएमयू में जिन मरीजों को कोरोना वायरस से ठीक किया जा चुका है, उन तीन व्यक्तियों से प्लाज्मा लिया गया है. डोनेट किए गए प्लाज्मा की एक यूनिट को कोरोना वार्ड में भर्ती अति गंभीर मरीज को 26 अप्रैल चढ़ाया गया है.
प्लाज्मा सेल थेरेपी की टेक्निकल जानकारी ट्रांसफ्यूजन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा ने दी. उन्होंने कहा स्वस्थ हुए मरीजों से प्लाज्मा लेने की इस प्रक्रिया को एफरेसिस कहा जाता है. इस प्रक्रिया में डोनर रक्त से सिर्फ प्लाज्मा देते हैं. रक्त के बाकी सभी अवयव वापस मरीज को चढ़ा दिए जाते हैं. इस प्रक्रिया में तकरीबन 500 एमएल प्लाज्मा एकत्र किया जाता है. यह पूरी तरह से सुरक्षित प्रक्रिया है. ऐसे मरीज को किसी भी तरह से नुकसान नहीं होता है और मरीज को भी किसी तरह की कमजोरी नहीं होती है.
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मेडिसिन विभाग के डॉ. डी हिमांशु ने कहा कि हमने प्लाज्मा सेल थेरेपी से एक गंभीर रोगी को ही प्लाज्मा दे रहे हैं. 26 अप्रैल को केजीएमयू में एक मरीज गंभीर अवस्था में वेंटिलेटर पर था. इस मरीज में ही हमने प्लाज्मा सेल थेरेपी दी है. यदि जरूरत पड़ी तो मरीज में दोबारा प्लाज्मा चढ़ाया जाएगा.
हिमाटोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि गंभीर रोगियों में 200 एमएल ही प्लाज्मा चढ़ाया जाता है, क्योंकि एक दोनों से हम 500 एमएल प्लाज्मा लेते हैं. इसलिए जरूरत पड़ने पर वही प्लाज्मा दोबारा उसी मरीज में चढ़ाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमित जितने भी रोगी स्वस्थ हो चुके हैं. हम उनसे अपील करते हैं कि वह आकर प्लाज्मा डोनेट करें, क्योंकि यह बाकी मरीजों के इलाज में सहायक सिद्ध हो सकता है.
मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र आतम ने कहा कि प्लाज्मा सेल थेरेपी की सफलता से हम बेहद उत्साहित हैं. देशभर में कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्तियों का आंकड़ा तीस हजार तक पहुंचने वाला है. इनमें से कुछ लोग ठीक हो चुके हैं. यदि यह सभी प्लाज्मा डोनेट करते हैं तो अन्य मरीजों को भी जल्दी ठीक किया जा सकता है.
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रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने कहा कि जिस रोगी में प्लाज्मा चढ़ा है. वह वेंटिलेटर पर हैं, लेकिन प्लाज्मा में चढ़ाने के बाद उस मरीज में कुछ सुधार देखने को मिले हैं. उनके वेंटिलेटर की कुछ प्रक्रिया को कम कर दिया गया है और उनको ऑक्सीजन सपोर्ट भी थोड़ा कम देना पड़ रहा है. प्लाज्मा का रिस्पांस भी सकारात्मक मिला है.
डॉ. केके सावलानी ने कहा कि अब तक तीन लोगों ने डोनेशन करवाया है. हमारी पूरी कोशिश है कि हम केजीएमयू से ठीक हुए सभी रोगियों से प्लाज्मा डोनेट करवा पाए. इसके अलावा अन्य जगहों से भी कोरोना वायरस से स्वस्थ हुए व्यक्तियों से प्लाज्मा डोनेशन करवाने की हम कोशिश करेंगे.
केजीएमयू द्वारा जूम पर किए गए इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजीएमयू कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट, मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वीरेंद्र आतम, डॉ. डी हिमांशु, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा, डॉक्टर केके सावलानी, डॉ. शैलेंद्र वर्मा, डॉ. सूर्यकांत रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष, पैथालॉजी विभाग से डॉ. वाहिद अली और डॉक्टर सुधीर सिंह उपस्थित रहें.