लखनऊ : राजधानी लखनऊ समेत विभिन्न अस्पतालों में कार्यरत महिला चिकित्सकों के लिए करवा चौथ का व्रत रखना आसान हो सकता है, लेकिन व्रत का पारण करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है. दरअसल महिला डाॅक्टरों की ड्यूटी में मरीजों की देखभाल का दायित्व प्राथमिकता में है. ऐसे में इमरजेंसी या मरीज की हालत गंभीर होने की दशा में कहीं जाना मुमकिन नहीं है. कई बार घर पर होने के बावजूद ऑन काॅल की दशा में तुरंत अस्पताल जाना होता है. हालांकि, महिला चिकित्सकों का कहना कि इन सब के बावजूद पूरी शिद्दत के साथ व्रत रखते हैं.
एक दिन पहले ही कर ली सारी तैयारी : सिविल अस्पताल की मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति सिंह बीते 18 साल से करवा चौथ का व्रत रखती हैं. डॉ. दिप्ती के पति डॉ. अजय कुमार सिंह लोहिया अस्पताल के न्यूरोलॉजी के विभागाध्यक्ष वह सीएमएस हैं. डॉ. दीप्ति के अनुसार हर महिला पति की दिर्घायु के लिए करवाचौथ का व्रत रखती है. यह व्रत हर महिला के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. करवा चौथ को पूरा दिन निराजल उपवास रहना चुनौतीपूर्ण होता है. व्रत के साथ महिला डाॅक्टरों को मरीजों की भी सेवा करनी होती है. हम लोगों को करवा चौथ के दिन भी ड्यूटी करनी पड़ती है. साथ ही मरीजों की ओपीडी करनी होती है. ओपीडी के बाद घर जाते हैं फिर उसके बाद व्रत की पूरी तैयारी करते हैं. इस बार करवा चौथ की खरीदारी दो दिन पहले ही कर ली है.
ड्यूटी के बाद करेंगे पूजा पाठ : क्वीन मैरी महिला अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. वंदना सोलंकी के पति डॉ. स्वप्निल पाठक भी चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े हैं. डॉ. वंदना ने बताया कि मेरे उनका साथ हमेशा रहता है. पिछले 15 साल से करवा चौथ का व्रत रखती आ रही हूं. करवा चौथ का दिन बाकी दोनों से बहुत अलग होता है. निराजल उपवास के साथ हम अस्पताल भी जाते हैं और ड्यूटी भी करते हैं. ड्यूटी के दौरान बहुत से मरीजों का इलाज भी करते हैं. अस्पताल से लौटने के बाद घर में व्रत की पूरी तैयारी करती हूं और विधि विधान के साथ करवा चौथ की कथा करके चांद को देखने के बाद व्रत का पारण करती हूं. करवा चौथ व्रत के लिए कपड़े, पूजा की सामग्री और बाकी के सारे सामान नए खरीदने होते हैं. ड्यूटी में बाधा न आए इसलिए मंगलवार को सारी खरीदारी हो चुकी है.
मरीजों की सेवा का व्रत अनमोल : केजीएमयू के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा ने बताया कि मेरे पति डॉ. राजीव अग्रवाल एसजीपीजीआई में प्लास्टिक सर्जरी विभाग प्रमुख हैं. डॉक्टरी पेशे से जुड़े होने के कारण वह भी अपने कर्तव्य को बखूबी समझते हैं. करवा चौथ का निर्जला व्रत जरूर होता है, लेकिन यकीन मानिए मरीजों की सेवा करते समय व्रत का बिल्कुल आभास नहीं होता. बल्कि, इससे व्रत का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है. एक डॉक्टर अपने परिवार से ज्यादा मरीजों के लिए चिंतित रहता है.
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