लखनऊ : राजधानी की जेल में 27 महीनों से बंद केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन गुरुवार को लखनऊ जेल से रिहा हो गए. जेल से बहार निकलने के बाद कप्पन ने कहा कि यूपी में बस मैं रिपोर्टिंग करने पहुंचा था. मेरे साथ एक ओला ड्राइवर था उसको भी पकड़ कर जेल में डाला गया. कप्पन ने कहा कि मैं ज्यादा नहीं बोल सकता, क्योकि मैं अभी जेल से बाहर आते वक्त जेलर से मिला तो जेलर ने कहा सिद्धीक मीडिया बहुत बाहर है. आप उनसे बात मत करना नहीं तो आप पर दोबारा मुकदमा दर्ज कर दिया जाएगा.
कप्पन ने जेल से निकलने के बाद कहा कि हमारे मोबाइल में कितने ही लोगों के नंबर हैं. बीजेपी के तमाम नेताओं के नंबर हैं. आरएसएस वालों के मोबाइल नंबर हैं. पीएफआई के लोगों के मोबाइल नंबर हैं. अगर किसी का मोबाइल नंबर उसमें है तो उसका कनेक्शन उसे जोड़ दिया जाएगा. उसने कहा कि मेरे अकाउंट में किसी तरह का ट्रांजैक्शन नहीं था. मेरे अकाउंट में पांच हजार रुपये भी नहीं आए. उसने कहा कि ईडी ने जो मेरे ऊपर धन शोधन निवारण अधिनियम ( PMLA) का केस लगाया था उसके लिए पांच हजार क्या अगर एक करोड़ भी आया हो तो PMLA नहीं लगेगा और मेरे ऊपर महज 5000 रुपये में ही PMLA लगाया गया. कप्पन ने कहा कि मुझे इस दौरान बहुत संघर्ष करना पड़ा. इसी दौरान मेरी मां का इंतकाल हो गया. मैं जेल में था मेरी पत्नी और बच्चे की पढ़ाई छूटी. 28 महीने पूरे हो गए, जस्टिस पूरा नहीं मिला, लेकिन 28 महीने के बाद बहुत संघर्ष के बाद आज हम बाहर हैं तो खुश हैं. मेरे पास कुछ नहीं मिला था. मेरे पास सिर्फ मेरा मोबाइल था दो पेन थे और एक नोटपैड था. जो कुछ हुआ अब उसके खिलाफ आगे लड़ाई लड़ेंगे.
दरअसल, केरल के मलप्पुरम निवासी सिद्दीक कप्पन करीब 27 माह से जेल में बंद थे. पत्रकार कप्पन को 5 अक्टूबर, 2020 को हाथरस में अशांति पैदा करने की साजिश के आरोप में तीन अन्य लोगों के साथ हाथरस जाते समय गिरफ्तार किया गया था. जहां वह एक दलित लड़की के साथ कथित रूप से सामूहिक दुराचार और हत्या की घटना को कवर करने जा रहे थे. शुरू में उन्हें शांति भंग करने की आशंका के तहत गिरफ्तार किया गया था. बाद में उन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया कर दिया गया. जिसमें आरोप लगाया गया था कि वह और उनके साथ गाड़ी में मौजूद लोग सांप्रदायिक दंगे भड़काने और हाथरस गैंगरेप-हत्या के मद्देनजर सामाजिक सद्भाव को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे. सिद्दीक कप्पन को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 9 सितंबर जमानत दे दी थी. हालांकि वह फिर भी जेल में रहे और अब धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने के एक महीने बाद वह बाहर आ गए. जिस दौरान वह जेल में थे उनकी मां का निधन हो गया था. इसके बाद से उनकी जमानत को लेकर मामला चर्चा का विषय बना था.