कोटा. अरविन्द ने नीट- 2020 के एग्जाम में 620 अंक प्राप्त किए और आल इंडिया 11,603 व ओबीसी कैटेगिरी रैंक 4,392 प्राप्त की है. अरविन्द मूल रूप उत्तर प्रदेश में कुशीनगर जिले के बरडी गांव का निवासी है. अरविन्द के पिता भिखारी कुमार कबाड़ी का काम करते हैं. वे रिक्शे पर गली-गली घूमकर कबाड़ खरीदते हैं और इसे बेचकर परिवार की आजीविका चलाते हैं.
गांव में काम नहीं था, पारिवारिक परिस्थितियां विपरीत थी, ऐसे में पांचवी तक पढ़े-लिखे पिता भिखारी ने गांव से भी बहुत दूर जमशेदपुर टाटा नगर में जाकर यह काम किया. मां ललिता देवी पढ़ी लिखी नहीं है और घर का काम करती हैं. उनकी इच्छा थी कि अरविन्द डॉक्टर बने. इसके लिए उन्होंने खुद संघर्ष किया और बेटे को मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट की तैयारी करने कोटा भेजा. निजी कोचिंग में एडमिशन दिलवाया. पहले प्रयास में रैंक अच्छी नहीं आई तो फिर मेहनत की, दूसरे प्रयास में सफलता हासिल कर ली.
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अरविन्द के इरादों का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उसने एक सामान्य छात्र रहते हुए यह उपलब्धि हासिल की. उसने गोरखपुर के सरकारी स्कूल से पढ़ाई की है. वह रोजाना साइकिल से आठ किलोमीटर आता-जाता था. 10वीं कक्षा में 48 प्रतिशत और 12वीं कक्षा में अरविन्द ने 60 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. इतने कम अंकों के बाद भी डॉक्टर बनने का सपना देखा और खुद को तैयार किया. अरविन्द ने बताया कि एलन का मार्गदर्शन टर्निंग प्वाइंट रहा है.
गांव का पहला डॉक्टर होगा अरविन्द...
अरविन्द अपने गांव का पहला डॉक्टर होगा. उसने बताया कि छोटा भाई अमित कुमार शिक्षक भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रहा है. एमबीबीएस करने के बाद आर्थोपेडिक सर्जन बनना चाहता हूं. मैं चाहता हूं कि परिवार को सम्मान मिले, पिता को पहले भिखारी कबाड़ी कहा जाता था, अब उन्हें डॉक्टर के पिता के रूप में जाना जाएगा.