ETV Bharat / state

Joshimath in trouble : उत्तरायणी कौथिग में झलका जोशीमठ का दर्द, जानिए किसने क्या कहा

बीते कई दिनों से जोशीमठ की खबरें (Joshimath in trouble) और वहां की तस्वीरें देश को झकझोर देने वाली हैं. उत्तरायणी कौथिग में उत्तराखंड से तमाम लोग और कलाकार जुटे हैं, लेकिन जोशीमठ पर आए संकट को लेकर सभी दुखी हैं. कौथिग में आए उत्तराखंडी मेहमान भले ही लखनऊ की सरजमीं पर मौजूद हैं, लेकिन उनका दिल फिलवक्त जोशीमठ का नाम सुनते ही बैठ जाता है.

author img

By

Published : Jan 20, 2023, 11:32 PM IST

देखें पूरी खबर
देखें पूरी खबर
देखें पूरी खबर

लखनऊ : जोशीमठ के लोगों का रो-रोकर हाल बेहाल है. सोशल मीडिया पर कई ऐसी वीडियो वायरल हो रही हैं जिन्हें देखकर लोगों का दिल पसीज जा रहा है. लोगों की मकानों पर लाल निशान लगाए जा रहे हैं. प्रभावित लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाया जा रहा है. अपने दशकों पुराने घरों को छोड़ते हुए लोगों को ये नहीं पता कि उन्हें फिर कब इस मकान में वापस आने का मौका मिलेगा. इस समय लखनऊ में उत्तरायणी कौथिग -2023 का आयोजन हो रहा है. यहां पर सभी चीज़ें उत्तराखंड की हैं और यहां पर उत्तराखंड के लोग भी हैं.

ईटीवी भारत ने कुछ उत्तराखंड के लोगों से बातचीत की. उन्होंने बताया कि उनके सगे संबंधी मित्र जोशीमठ में हैं. वहां के संकट की खबरें पता चल रही हैं. रोज किसी न किसी के घर में दरारें आ रही हैं. कुछ कहा नहीं जा सकता. लगातार वहां से भूखलन की खबरें पता चल रही हैं. जबकि इससे पहले कभी भी ऐसा कुछ नहीं हुआ था, लेकिन अब जब बड़ी-बड़ी मशीनों के द्वारा पहाड़ों पर काम हो रहे हैं. शायद उसी का ही असर है कि जोशीमठ के लोगों को एक-एक दिन वहां डर-डर के जीना पड़ रहा है.

संकट में जोशीमठ
संकट में जोशीमठ

चंन्द्र प्रकाश ने बताया कि इस समय जोशीमठ की स्थिति काफी चिंताजनक है. कब किस घर में दरारें पड़ जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता. ऐसे में वहां के लोग घबराए हुए हैं. फिलहाल तो मैं लखनऊ में शिफ्ट हो गया हूं, लेकिन कुछ समय पहले जब मैं जोशीमठ गया था तो अपने दोस्त के होटल पर ठहरा था. आज ही दोस्त से बात हुई, उसने बताया कि किस तरह से वहां पर खौफ का मंजर है. कुछ घरों के ध्वस्तीकरण के बाद वहां की स्थिति काफी ज्यादा खराब हो गई है. सभी लोग डरे सहमे हुए हैं. मोहन चन्द्र जोशी ने कहा कि इस समय जोशीमठ की जो स्थिति है उसके जिम्मेदार वह लोग हैं जो पहाड़ को खोदकर बड़े-बड़े होटल बना रहे हैं. जोशीमठ में सालों से लोग रहते आ रहे हैं. इस समय जो लोग रह रहे हैं उनके पुश्तैनी घर हैं. बहुत सारे लोग हमारे अपने वहां पर हैं. डर तो बना हुआ है, रोज घरों पर दरारें बढ़ रही हैं. पहाड़ों पर कभी भी ऐसा नहीं हुआ जैसा दृश्य अब जोशीमठ पर देखने को मिल रहा है.

नीरज सिंह ने कहा कि जोशीमठ का मामला बेहद संवेदनशील है. साथ ही जोशीमठ के लोगों के साथ पूरी सहानुभूति भी है. हम सभी उत्तराखंड के हैं और हमारे घर से कोई न कोई वहां जरूर रहता है. जिन लोगों का घर ध्वस्त हुआ है. हम-आप दूर हैं, हम सिर्फ संवेदना ही व्यक्त कर सकते हैं, लेकिन जिस व्यक्ति के ऊपर बीत रहा है उस दर्द को वही महसूस कर पा रहा होगा. जब हमें सुनकर इतना बुरा लग रहा है तो सोचिए जिसका घर टूट रहा है, सपने बिखर रहे हैं, उसे कितना तकलीफ हुई होगी. आज ही मेरे दोस्त से बात हुई उसने बताया कि आज एक घर में दरार आई है. लगातार किसी न किसी के घर में दरारें पड़ रही हैं और वहां खौफ का मंजर बना हुआ है. उनके पूर्वज रहते थे कैसे वह अपना पुश्तैनी घर छोड़ दें.

काव्य जोशी ने कहा कि जोशीमठ में मेरा एक बहुत पुराना दोस्त है. उसका मेरे घर से आना जाना लगा रहता है. मैं भी जोशीमठ जरूर जाता हूं. इस समय वहां की स्थिति बहुत ज्यादा खराब है. वहां के लोग डरे और सहमे हुए हैं. उत्तराखंड सरकार को उनके लिए कुछ सोचना चाहिए कोई दूसरा विकल्प निकालना चाहिए ऐसा नहीं है कि सरकार ने कुछ नहीं किया, लेकिन फिर भी जिन लोगों का घर टूट रहा है. उनके लिए एक स्थाई निवास की बंदोबस्त करना चाहिए ताकि वह लोग एक स्थाई जगह पर निवास कर पाए.

धन सिंह मेहता अंजान ने कहा कि जोशीमठ में मेरे बहुत सारे घर परिवार के लोग भी हैं और दोस्त भी हैं. उनसे आए दिन बात होती रहती है, जब वहां की स्थिति बताते हैं तो यहां सुन के हमारी हालत खराब हो जाती है. उत्तराखंड सरकार लगातार इसके लिए कार्य कर रही है, लेकिन वहां के लोगों के लिए एक स्थाई निवास की व्यवस्था जरूर करनी चाहिए, ताकि जिन लोगों का घर टूटा है उन्हें दूसरे स्थान पर शरण में लें. इसके अलावा पहले ऐसा कभी नहीं हुआ अब इसलिए ऐसा हो रहा है, क्योंकि पहाड़ों पर बड़े-बड़े काम हो रहे हैं. बड़े-बड़े होटलों के निर्माण हो रहे हैं. मशीनों के द्वारा पहाड़ों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. जिस कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है. अब वहां की स्थिति उसी समय सुधरेगी जब 10-15 साल के लिए वहां पर डेवलपमेंट का कार्य बंद हो जाएं.

यह भी पढ़ें : Fuel ran out in mid-air : हवा में ईंधन कम होने पर एअर इंडिया के विमान की चेन्नई में इमरजेंसी लैंडिंग

देखें पूरी खबर

लखनऊ : जोशीमठ के लोगों का रो-रोकर हाल बेहाल है. सोशल मीडिया पर कई ऐसी वीडियो वायरल हो रही हैं जिन्हें देखकर लोगों का दिल पसीज जा रहा है. लोगों की मकानों पर लाल निशान लगाए जा रहे हैं. प्रभावित लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाया जा रहा है. अपने दशकों पुराने घरों को छोड़ते हुए लोगों को ये नहीं पता कि उन्हें फिर कब इस मकान में वापस आने का मौका मिलेगा. इस समय लखनऊ में उत्तरायणी कौथिग -2023 का आयोजन हो रहा है. यहां पर सभी चीज़ें उत्तराखंड की हैं और यहां पर उत्तराखंड के लोग भी हैं.

ईटीवी भारत ने कुछ उत्तराखंड के लोगों से बातचीत की. उन्होंने बताया कि उनके सगे संबंधी मित्र जोशीमठ में हैं. वहां के संकट की खबरें पता चल रही हैं. रोज किसी न किसी के घर में दरारें आ रही हैं. कुछ कहा नहीं जा सकता. लगातार वहां से भूखलन की खबरें पता चल रही हैं. जबकि इससे पहले कभी भी ऐसा कुछ नहीं हुआ था, लेकिन अब जब बड़ी-बड़ी मशीनों के द्वारा पहाड़ों पर काम हो रहे हैं. शायद उसी का ही असर है कि जोशीमठ के लोगों को एक-एक दिन वहां डर-डर के जीना पड़ रहा है.

संकट में जोशीमठ
संकट में जोशीमठ

चंन्द्र प्रकाश ने बताया कि इस समय जोशीमठ की स्थिति काफी चिंताजनक है. कब किस घर में दरारें पड़ जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता. ऐसे में वहां के लोग घबराए हुए हैं. फिलहाल तो मैं लखनऊ में शिफ्ट हो गया हूं, लेकिन कुछ समय पहले जब मैं जोशीमठ गया था तो अपने दोस्त के होटल पर ठहरा था. आज ही दोस्त से बात हुई, उसने बताया कि किस तरह से वहां पर खौफ का मंजर है. कुछ घरों के ध्वस्तीकरण के बाद वहां की स्थिति काफी ज्यादा खराब हो गई है. सभी लोग डरे सहमे हुए हैं. मोहन चन्द्र जोशी ने कहा कि इस समय जोशीमठ की जो स्थिति है उसके जिम्मेदार वह लोग हैं जो पहाड़ को खोदकर बड़े-बड़े होटल बना रहे हैं. जोशीमठ में सालों से लोग रहते आ रहे हैं. इस समय जो लोग रह रहे हैं उनके पुश्तैनी घर हैं. बहुत सारे लोग हमारे अपने वहां पर हैं. डर तो बना हुआ है, रोज घरों पर दरारें बढ़ रही हैं. पहाड़ों पर कभी भी ऐसा नहीं हुआ जैसा दृश्य अब जोशीमठ पर देखने को मिल रहा है.

नीरज सिंह ने कहा कि जोशीमठ का मामला बेहद संवेदनशील है. साथ ही जोशीमठ के लोगों के साथ पूरी सहानुभूति भी है. हम सभी उत्तराखंड के हैं और हमारे घर से कोई न कोई वहां जरूर रहता है. जिन लोगों का घर ध्वस्त हुआ है. हम-आप दूर हैं, हम सिर्फ संवेदना ही व्यक्त कर सकते हैं, लेकिन जिस व्यक्ति के ऊपर बीत रहा है उस दर्द को वही महसूस कर पा रहा होगा. जब हमें सुनकर इतना बुरा लग रहा है तो सोचिए जिसका घर टूट रहा है, सपने बिखर रहे हैं, उसे कितना तकलीफ हुई होगी. आज ही मेरे दोस्त से बात हुई उसने बताया कि आज एक घर में दरार आई है. लगातार किसी न किसी के घर में दरारें पड़ रही हैं और वहां खौफ का मंजर बना हुआ है. उनके पूर्वज रहते थे कैसे वह अपना पुश्तैनी घर छोड़ दें.

काव्य जोशी ने कहा कि जोशीमठ में मेरा एक बहुत पुराना दोस्त है. उसका मेरे घर से आना जाना लगा रहता है. मैं भी जोशीमठ जरूर जाता हूं. इस समय वहां की स्थिति बहुत ज्यादा खराब है. वहां के लोग डरे और सहमे हुए हैं. उत्तराखंड सरकार को उनके लिए कुछ सोचना चाहिए कोई दूसरा विकल्प निकालना चाहिए ऐसा नहीं है कि सरकार ने कुछ नहीं किया, लेकिन फिर भी जिन लोगों का घर टूट रहा है. उनके लिए एक स्थाई निवास की बंदोबस्त करना चाहिए ताकि वह लोग एक स्थाई जगह पर निवास कर पाए.

धन सिंह मेहता अंजान ने कहा कि जोशीमठ में मेरे बहुत सारे घर परिवार के लोग भी हैं और दोस्त भी हैं. उनसे आए दिन बात होती रहती है, जब वहां की स्थिति बताते हैं तो यहां सुन के हमारी हालत खराब हो जाती है. उत्तराखंड सरकार लगातार इसके लिए कार्य कर रही है, लेकिन वहां के लोगों के लिए एक स्थाई निवास की व्यवस्था जरूर करनी चाहिए, ताकि जिन लोगों का घर टूटा है उन्हें दूसरे स्थान पर शरण में लें. इसके अलावा पहले ऐसा कभी नहीं हुआ अब इसलिए ऐसा हो रहा है, क्योंकि पहाड़ों पर बड़े-बड़े काम हो रहे हैं. बड़े-बड़े होटलों के निर्माण हो रहे हैं. मशीनों के द्वारा पहाड़ों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. जिस कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है. अब वहां की स्थिति उसी समय सुधरेगी जब 10-15 साल के लिए वहां पर डेवलपमेंट का कार्य बंद हो जाएं.

यह भी पढ़ें : Fuel ran out in mid-air : हवा में ईंधन कम होने पर एअर इंडिया के विमान की चेन्नई में इमरजेंसी लैंडिंग

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.