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नौकरी के नाम पर ठगी में अफसर भी शामिल, सरकारी दफ्तर में ही बनाते हैं बेरोजगारों को शिकार

यूपी में नौकरी के नाम पर ठगी अब दस्तूर बन चुका है. आए दिन बेरोजगारों को नौकरी का झांसा देकर ठगी की शिकायतें मिल रही हैं. अभी तक ऐसे मामलों में यह सामने आया है कि नौकरी के नाम पर ठगी के खेल में सरकारी कर्मचारी और अफसर भी शामिल हैं (Officer involved in cheating). लोगों को झांसा देने के लिए सरकारी दफ्तरों और सचिवालय के कमरों में ऐसा ड्रामा रचते हैं कि बेरोजगारों को ठगी की भनक नहीं होती और वह पैसे गंवा बैठते हैं.

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Published : Nov 28, 2022, 8:27 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ ऑफलाइन ठगी में सबसे आगे है. ऐसा कोई भी दिन नहीं है, जब बेरोजगारों को सरकारी नौकरी के नाम पर ठगे जाने का केस दर्ज न होता हो. पिछले कुछ महीनों में राजधानी के सरकारी दफ्तरों में हुई ठगी के मामलों ने सबको चौंका दिया है. नौकरी या टेंडर दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी सरकारी विभागों के कार्यालयों में अंजाम दिए जाते रहे हैं. इन सभी ठगी के पीछे के मास्टरमाइंड कोई न कोई सरकारी अधिकारी (Officer involved in cheating) ही रहा है.

हाल ही में लखनऊ स्थित आयकर विभाग में कार्यरत शाहजहांपुर की इंजीनियर प्रियंका मिश्रा को आयकर इंस्पेक्टर की फर्जी नौकरी बांटने (Job fraud lucknow income tax) के आरोप में गिरफ्तार किया गया. प्रियंका आयकर विभाग के दफ्तर में बैठकर फर्जी इंटरव्यू ले रही थी. फिर बेरोजगारों से पैसे लेकर उन्हें जाली नियुक्ति पत्र भी बांट रही थी. प्रियंका की गिरफ्तारी के बाद लखनऊ की पुलिस और आयकर विभाग अलग-अलग जांच कर रहा है. दोनों विभागों की जांच में सामने आया है कि आयकर विभाग के लखनऊ कार्यालय में संविदा पर काम कर चुकी प्रियंका मिश्रा इस जालसाजी में अकेले नहीं थी. इस ठगी के मास्टरमाइंड आयकर विभाग में कार्यरत गाजियाबाद और बरेली में कार्यरत कई अधिकारी हैं. ये अफसर फर्जी नियुक्ति पत्र पर विभागीय मुहर लगाते थे और बेरोजगारों की एंट्री का इंतजाम कराते थे. हालांकि अभी आयकर विभाग और पुलिस ने इस खेल में शामिल अफसरों के नाम का खुलासा नहीं किया है.

आयकर विभाग में हुई इस जालसाजी की जांच में इस बात की तस्दीक जरूर हुई है कि सरकार विभागों में नौकरी और टेंडर दिलाने के नाम पर हो रही ठगी में उस विभाग के अधिकारी ही शामिल होते हैं. ठगी के ऐसे मामलों में सरकारी अफसरों की मिलीभगत पर यूपी एसटीएफ भी मुहर लगा चुकी है. बीते दिनों कई ऐसी जालसाजी हुई है, जिसमें बड़े-बड़े अधिकारियों के नाम सामने आए हैं.

केस 1 - सीएम के सचिव को दिया गया लेटर ठगों के पास कैसे पहुंचा ?

सितंबर 2022 को सिद्धार्थनगर के बीजेपी नेता शम्भु प्रसाद ने लखनऊ के हजरतगंज थाने में खुद के साथ धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी. अप्रैल में वह अपने बेटे की नौकरी के लिये सीएम योगी के जनता दर्शन पहुंचे थे. जहां उन्होंने सीएम सचिव को प्रार्थना पत्र दिया और वापस सिद्धार्थनगर चले गए.कुछ दिन बाद उनके पास कॉल आई और बेटे की नौकरी लग जाने की बात कह लखनऊ बुलाया गया. सचिवालय के पास नौकरी देने के एवज में उनसे 60 हजार रुपये वसूले गए. सवाल यह है कि सीएम के सचिव को दिया गया प्रार्थना पत्र ठगों के हाथ में कैसे पहुंचा.

केस 2 : मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के ऑफिस में ठग लेता था इंटरव्यू

Job fraud lucknow
जब स्वामी प्रसाद मौर्य श्रम मंत्री थे, तब उनके ऑफिस में बैठकर अरमान खान ठगी करता था.

अप्रैल 2022 को योगी सरकार में मंत्री रहे व समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य के निजी सचिव रहे अरमान खान को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था. अरमान अपने कुछ साथियों के साथ स्वामी प्रसाद के कार्यकाल के दौरान मंत्री के कमरे में बैठकर बेरोजगार युवकों को नौकरी के नाम पर ठगता था. अरमान मंत्री के कमरे में इंटरव्यू लेता था और जॉइनिंग लेटर भी देता था.

केस 3 : सचिवालय में तैनात कर्मी ने भी नौकरी के नाम पर ठगी

जुलाई 2022 को एसटीएफ ने यूपी सचिवालय में केंद्रीय अनुभाग में तैनात निजी सचिव विजय मंडल को उसके 3 साथियों के साथ गिरफ्तार किया था. मंडल अपने साथियों के साथ मिलकर भोलेभाले बेरोजगारों को सचिवालय में बुलाता था, उन्हें यूपी सरकार के कई विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगता था. विजय मंडल भी बेरोजगारों को फर्जी नियुक्ति पत्र भी दिया करता था.

केस 4 : मंत्री के सचिव ठेका दिलाने के बदले ठगे थे करोड़ों रुपये

साल 2020 को हजरतगंज थाने में इंदौर के व्यापारी मंजीत ने योगी सरकार के मत्स्य और पशुधन मंत्री के निजी सचिव रजनीश दीक्षित के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. आरोप था कि रजनीश दीक्षित ने अपने साथियों के साथ आटे की सप्लाई का 292 करोड़ का ठेका दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी की थी. यह ठगी सचिवालय में मंत्री के कमरे में कई गई थी. इस मामले में निजी सचिव समेत 12 ठग गिरफ्तार हुए थे. इसमें डीआईजी अरविंद सेन यादव ने भी ठगों का साथ दिया था.

सचिवालय में ठगना है आसान : लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट की प्रवक्ता और डीसीपी अपर्णा रजत कौशिक के मुताबिक अब तक जितने भी पीड़ित सामने आए हैं, उनमें से अधिकतर सरकारी कर्मचारी या अफसर के झांसे में आकर ठगी का शिकार बने हैं. जब बेरोजगारों से कोई सरकारी कर्मचारी और अधिकारी नौकरी दिलाने की बात करता है तो वे तत्काल भरोसा कर लेते हैं. उन्हें लगता है कि अधिकतर नौकरियां सचिवालय और निदेशालय से ही निकलती हैं. इस सोच का फायदा जालसाज और उनके सहयोगी कर्मचारी उठाते हैं. ठग इतना आडंबर तैयार कर लेते हैं कि किसी को भी ठगी होने का एहसास ही नहीं होता है. डीसीपी ने बताया कि पुलिस व एसटीएफ ने ठगी के आरोपी कई सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को गिरफ्तार किया है. आयकर विभाग के ऑफिस में भी हुए फर्जीवाड़े की जांच की जा रही है. जो भी आरोपी निकल कर आएगा, उस पर कार्यवाही की जाएगी.

पास बनाने वालों पर एसटीएफ की नजर : यूपी एसटीएफ के डिप्टी एसपी दीपक सिंह ने बताया कि सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि आखिरकार ये ठग सचिवालय पास कैसे बनवा लेते हैं. सचिवालय कर्मी भले ही इनकी ठगी में शामिल होते हो लेकिन पास बनवाने की प्रक्रिया में अन्य कर्मचारी तैनात होते हैं. दीपक के मुताबिक, पास बनाने में खेल करने वालों पर नजर रखी जा रही है. उनके मुताबिक, ठगी में शामिल सचिवालय के कुछ और कर्मचारियों की जल्द ही उनकी गिरफ्तारी होगी.

पढ़ें : क्या आपको है नौकरी की तलाश? तो हो जाएं सावधान! कहीं ये मौका न बन जाए धोखा

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ ऑफलाइन ठगी में सबसे आगे है. ऐसा कोई भी दिन नहीं है, जब बेरोजगारों को सरकारी नौकरी के नाम पर ठगे जाने का केस दर्ज न होता हो. पिछले कुछ महीनों में राजधानी के सरकारी दफ्तरों में हुई ठगी के मामलों ने सबको चौंका दिया है. नौकरी या टेंडर दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी सरकारी विभागों के कार्यालयों में अंजाम दिए जाते रहे हैं. इन सभी ठगी के पीछे के मास्टरमाइंड कोई न कोई सरकारी अधिकारी (Officer involved in cheating) ही रहा है.

हाल ही में लखनऊ स्थित आयकर विभाग में कार्यरत शाहजहांपुर की इंजीनियर प्रियंका मिश्रा को आयकर इंस्पेक्टर की फर्जी नौकरी बांटने (Job fraud lucknow income tax) के आरोप में गिरफ्तार किया गया. प्रियंका आयकर विभाग के दफ्तर में बैठकर फर्जी इंटरव्यू ले रही थी. फिर बेरोजगारों से पैसे लेकर उन्हें जाली नियुक्ति पत्र भी बांट रही थी. प्रियंका की गिरफ्तारी के बाद लखनऊ की पुलिस और आयकर विभाग अलग-अलग जांच कर रहा है. दोनों विभागों की जांच में सामने आया है कि आयकर विभाग के लखनऊ कार्यालय में संविदा पर काम कर चुकी प्रियंका मिश्रा इस जालसाजी में अकेले नहीं थी. इस ठगी के मास्टरमाइंड आयकर विभाग में कार्यरत गाजियाबाद और बरेली में कार्यरत कई अधिकारी हैं. ये अफसर फर्जी नियुक्ति पत्र पर विभागीय मुहर लगाते थे और बेरोजगारों की एंट्री का इंतजाम कराते थे. हालांकि अभी आयकर विभाग और पुलिस ने इस खेल में शामिल अफसरों के नाम का खुलासा नहीं किया है.

आयकर विभाग में हुई इस जालसाजी की जांच में इस बात की तस्दीक जरूर हुई है कि सरकार विभागों में नौकरी और टेंडर दिलाने के नाम पर हो रही ठगी में उस विभाग के अधिकारी ही शामिल होते हैं. ठगी के ऐसे मामलों में सरकारी अफसरों की मिलीभगत पर यूपी एसटीएफ भी मुहर लगा चुकी है. बीते दिनों कई ऐसी जालसाजी हुई है, जिसमें बड़े-बड़े अधिकारियों के नाम सामने आए हैं.

केस 1 - सीएम के सचिव को दिया गया लेटर ठगों के पास कैसे पहुंचा ?

सितंबर 2022 को सिद्धार्थनगर के बीजेपी नेता शम्भु प्रसाद ने लखनऊ के हजरतगंज थाने में खुद के साथ धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी. अप्रैल में वह अपने बेटे की नौकरी के लिये सीएम योगी के जनता दर्शन पहुंचे थे. जहां उन्होंने सीएम सचिव को प्रार्थना पत्र दिया और वापस सिद्धार्थनगर चले गए.कुछ दिन बाद उनके पास कॉल आई और बेटे की नौकरी लग जाने की बात कह लखनऊ बुलाया गया. सचिवालय के पास नौकरी देने के एवज में उनसे 60 हजार रुपये वसूले गए. सवाल यह है कि सीएम के सचिव को दिया गया प्रार्थना पत्र ठगों के हाथ में कैसे पहुंचा.

केस 2 : मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के ऑफिस में ठग लेता था इंटरव्यू

Job fraud lucknow
जब स्वामी प्रसाद मौर्य श्रम मंत्री थे, तब उनके ऑफिस में बैठकर अरमान खान ठगी करता था.

अप्रैल 2022 को योगी सरकार में मंत्री रहे व समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य के निजी सचिव रहे अरमान खान को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था. अरमान अपने कुछ साथियों के साथ स्वामी प्रसाद के कार्यकाल के दौरान मंत्री के कमरे में बैठकर बेरोजगार युवकों को नौकरी के नाम पर ठगता था. अरमान मंत्री के कमरे में इंटरव्यू लेता था और जॉइनिंग लेटर भी देता था.

केस 3 : सचिवालय में तैनात कर्मी ने भी नौकरी के नाम पर ठगी

जुलाई 2022 को एसटीएफ ने यूपी सचिवालय में केंद्रीय अनुभाग में तैनात निजी सचिव विजय मंडल को उसके 3 साथियों के साथ गिरफ्तार किया था. मंडल अपने साथियों के साथ मिलकर भोलेभाले बेरोजगारों को सचिवालय में बुलाता था, उन्हें यूपी सरकार के कई विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगता था. विजय मंडल भी बेरोजगारों को फर्जी नियुक्ति पत्र भी दिया करता था.

केस 4 : मंत्री के सचिव ठेका दिलाने के बदले ठगे थे करोड़ों रुपये

साल 2020 को हजरतगंज थाने में इंदौर के व्यापारी मंजीत ने योगी सरकार के मत्स्य और पशुधन मंत्री के निजी सचिव रजनीश दीक्षित के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. आरोप था कि रजनीश दीक्षित ने अपने साथियों के साथ आटे की सप्लाई का 292 करोड़ का ठेका दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी की थी. यह ठगी सचिवालय में मंत्री के कमरे में कई गई थी. इस मामले में निजी सचिव समेत 12 ठग गिरफ्तार हुए थे. इसमें डीआईजी अरविंद सेन यादव ने भी ठगों का साथ दिया था.

सचिवालय में ठगना है आसान : लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट की प्रवक्ता और डीसीपी अपर्णा रजत कौशिक के मुताबिक अब तक जितने भी पीड़ित सामने आए हैं, उनमें से अधिकतर सरकारी कर्मचारी या अफसर के झांसे में आकर ठगी का शिकार बने हैं. जब बेरोजगारों से कोई सरकारी कर्मचारी और अधिकारी नौकरी दिलाने की बात करता है तो वे तत्काल भरोसा कर लेते हैं. उन्हें लगता है कि अधिकतर नौकरियां सचिवालय और निदेशालय से ही निकलती हैं. इस सोच का फायदा जालसाज और उनके सहयोगी कर्मचारी उठाते हैं. ठग इतना आडंबर तैयार कर लेते हैं कि किसी को भी ठगी होने का एहसास ही नहीं होता है. डीसीपी ने बताया कि पुलिस व एसटीएफ ने ठगी के आरोपी कई सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को गिरफ्तार किया है. आयकर विभाग के ऑफिस में भी हुए फर्जीवाड़े की जांच की जा रही है. जो भी आरोपी निकल कर आएगा, उस पर कार्यवाही की जाएगी.

पास बनाने वालों पर एसटीएफ की नजर : यूपी एसटीएफ के डिप्टी एसपी दीपक सिंह ने बताया कि सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि आखिरकार ये ठग सचिवालय पास कैसे बनवा लेते हैं. सचिवालय कर्मी भले ही इनकी ठगी में शामिल होते हो लेकिन पास बनवाने की प्रक्रिया में अन्य कर्मचारी तैनात होते हैं. दीपक के मुताबिक, पास बनाने में खेल करने वालों पर नजर रखी जा रही है. उनके मुताबिक, ठगी में शामिल सचिवालय के कुछ और कर्मचारियों की जल्द ही उनकी गिरफ्तारी होगी.

पढ़ें : क्या आपको है नौकरी की तलाश? तो हो जाएं सावधान! कहीं ये मौका न बन जाए धोखा

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