लखनऊ: जल निगम भर्ती घोटाला मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने महत्वपूर्ण निर्णय पारित करते हुए, एक अभियुक्त सॉफ्टवेयर इंजीनियर भावेश जैन (software engineer Bhavesh Jain) के खिलाफ मुकदमे को रद्द कर दिया है. न्यायालय ने भावेश जैन के खिलाफ ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी समन आदेश को भी निरस्त कर दिया है. इस मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान (Former cabinet minister Azam Khan) समेत अन्य अभियुक्तों के खिलाफ ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही (trial court proceedings) चलती रहेगी.
यह निर्णय न्यायमूर्ति विकास कुंवर श्रीवास्तव (Justice Vikas Kunwar Srivastava) की एकल पीठ ने भावेश जैन की याचिका पर पारित किया. याची का कहना था कि वह एप्टेक कम्पनी में एक मध्यम स्तर का अधिकारी है और सॉफ्टवेयर इंजीनियर है. एप्टेक कम्पनी को यूपी जल निगम की भर्तियों के सम्बंध में कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट (सीबीटी) के लिए सॉफ्टवेयर इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने का काम मिला था.
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1300 पदों पर भर्तियां होने के पश्चात जल निगम के तत्कालीन चेयरमैन आजम खान समेत जल निगम के अन्य अधिकारियों के खिलाफ भर्तियों में गड़बड़ी को लेकर एफआईआर दर्ज की गई. आरोप है कि कई अभ्यर्थियों के मार्क्स बढ़ाते हुए, उक्त भर्ती में घोटाला किया गया और अयोग्य अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया.
याची की ओर से दलील दी गई कि वह मात्र एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है.
उसका कार्य सिर्फ प्रोग्रामिंग तथा सॉफ्टवेयर और वेबसाइट के डेवलपमेंट तक सीमित था. वह कभी जल निगम के किसी अधिकारी से नहीं मिला और यही नहीं वह लखनऊ तो क्या कभी उत्तर प्रदेश भी नहीं आया. लिहाजा इस मामले के अन्य अभियुक्तों के साथ मिलकर इतनी बड़ी साजिश कर भर्तियों में गड़बड़ी में उसके शामिल होने का प्रश्न ही नहीं उठता. याचिका का राज्य सरकार की ओर से विरोध किया गया. हालांकि न्यायालय ने पाया कि याची के विरुद्ध कोई भी संज्ञेय अपराध नहीं बनता.
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