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लखनऊ के इस जैन मंदिर में हैं प्राचीन मूर्तियां और हस्तलिखित शास्त्र - उत्तर प्रदेश जैन विद्या शोध संस्थान

राजधानी लखनऊ के आशियाना में स्थित नवनिर्मित जैन मंदिर समाज को अहिंसा का पाठ पढ़ा रहा है. यहां पर करीब 8 सौ साल पुरानी मूर्तियां और हस्तलिखित संरक्षित ग्रंथ मौजूद हैं. मंदिर में कला के उत्कृष्ट नमूनों के साथ ही यहां पर मंदिर में एक हजार साल पुरानी भगवान महावीर की प्रतिमा लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है.

लखनऊ के इस जैन मंदिर में हैं प्राचीन मूर्तियां
लखनऊ के इस जैन मंदिर में हैं प्राचीन मूर्तियां
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Published : Mar 12, 2021, 10:42 AM IST

लखनऊ: जिले के आशियाना क्षेत्र में बना जैन मंदिर, अहिंसा का पाठ पढ़ाने का काम कर रहा है. पुराने समय से ही जैन समाज के दिगम्बर मुनि समाज को सुधारने और पशुओं के साथ प्रेम की भावना, सत्य, अहिंसा के मार्ग पर समाज के लिए मार्गदर्शन कराते आए हैं.

लखनऊ के इस जैन मंदिर में हैं प्राचीन मूर्तियां
राजधानी लखनऊ के आशियाना में स्थित नवनिर्मित जैन मंदिर भी इसी मार्गदर्शन के साथ समाज को अहिंसा का पाठ पढ़ा रहा है. यहां पर करीब 8 सौ साल पुरानी मूर्तियां और हस्तलिखित संरक्षित ग्रंथ मौजूद हैं. मंदिर में कला के उत्कृष्ट नमूनों के साथ ही यहां पर मंदिर में 1 हजार साल पुरानी भगवान महावीर की प्रतिमा लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. यह प्रतिमाएं मैनपुरी मंदिर से दिगंबर जैन मुनियों ने स्थापित की गई थी. इस मंदिर का गुंबद और संगमरमर के बने भगवान महावीर की साढ़े 5 फुट ऊंची प्रतिमा जैन समाज के 24वें तीर्थंकर को याद दिलाती है. यहां पर 8सौ साल पुराने हाथों से लिखे हुए हस्तलिखित ग्रंथ समाज के लिए नई विचारधारा से जोड़ते हैं. मंदिर के संग्रहालय में स्थित तमाम शास्त्र यहां पर संरक्षित रखे हुए हैं.उत्तर प्रदेश जैन विद्या शोध संस्थान के उपाध्यक्ष डॉक्टर अभय कुमार जैन ने बताया कि यहां पर लगभग 1000 साल पुरानी से लेकर 100 साल पुरानी तक प्रतिमाएं उपस्थित हैं. इस मंदिर की स्थापना 2002 में एक छोटे से कमरे से हुई थी. मैनपुरी जनपद में स्थित कालीपुर खेड़ा में एक मंदिर है. वहीं के रहने वाला एक परिवार लखनऊ आ गए और उन्होंने कमेटी के सहयोग से आशियाना में इस मंदिर की स्थापना की.

यहां पर भगवान महावीर की प्रतिमा और साथ में 800 साल पुरानी अन्य प्रतिमाएं भी मौजूद हैं. यहां के हस्तलिखित ग्रंथ जैन धर्म के बारे में प्राचीनतम ज्ञान देते हैं. भगवान आदिनाथ की प्रतिमा के साथ ही यहां पर अष्ट धातु से बनी भगवान महावीर की साढ़े 5 फीट की प्रतिमा भी मौजूद है.

लखनऊ: जिले के आशियाना क्षेत्र में बना जैन मंदिर, अहिंसा का पाठ पढ़ाने का काम कर रहा है. पुराने समय से ही जैन समाज के दिगम्बर मुनि समाज को सुधारने और पशुओं के साथ प्रेम की भावना, सत्य, अहिंसा के मार्ग पर समाज के लिए मार्गदर्शन कराते आए हैं.

लखनऊ के इस जैन मंदिर में हैं प्राचीन मूर्तियां
राजधानी लखनऊ के आशियाना में स्थित नवनिर्मित जैन मंदिर भी इसी मार्गदर्शन के साथ समाज को अहिंसा का पाठ पढ़ा रहा है. यहां पर करीब 8 सौ साल पुरानी मूर्तियां और हस्तलिखित संरक्षित ग्रंथ मौजूद हैं. मंदिर में कला के उत्कृष्ट नमूनों के साथ ही यहां पर मंदिर में 1 हजार साल पुरानी भगवान महावीर की प्रतिमा लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. यह प्रतिमाएं मैनपुरी मंदिर से दिगंबर जैन मुनियों ने स्थापित की गई थी. इस मंदिर का गुंबद और संगमरमर के बने भगवान महावीर की साढ़े 5 फुट ऊंची प्रतिमा जैन समाज के 24वें तीर्थंकर को याद दिलाती है. यहां पर 8सौ साल पुराने हाथों से लिखे हुए हस्तलिखित ग्रंथ समाज के लिए नई विचारधारा से जोड़ते हैं. मंदिर के संग्रहालय में स्थित तमाम शास्त्र यहां पर संरक्षित रखे हुए हैं.उत्तर प्रदेश जैन विद्या शोध संस्थान के उपाध्यक्ष डॉक्टर अभय कुमार जैन ने बताया कि यहां पर लगभग 1000 साल पुरानी से लेकर 100 साल पुरानी तक प्रतिमाएं उपस्थित हैं. इस मंदिर की स्थापना 2002 में एक छोटे से कमरे से हुई थी. मैनपुरी जनपद में स्थित कालीपुर खेड़ा में एक मंदिर है. वहीं के रहने वाला एक परिवार लखनऊ आ गए और उन्होंने कमेटी के सहयोग से आशियाना में इस मंदिर की स्थापना की.

यहां पर भगवान महावीर की प्रतिमा और साथ में 800 साल पुरानी अन्य प्रतिमाएं भी मौजूद हैं. यहां के हस्तलिखित ग्रंथ जैन धर्म के बारे में प्राचीनतम ज्ञान देते हैं. भगवान आदिनाथ की प्रतिमा के साथ ही यहां पर अष्ट धातु से बनी भगवान महावीर की साढ़े 5 फीट की प्रतिमा भी मौजूद है.

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