लखनऊ : स्थानीय निकाय चुनाव में वैसे तो जनता प्रत्याशियों के सामने तमाम मुद्दे उठा रही है, लेकिन अगर लखनऊ शहर की बात करें तो पुराने लखनऊ के इलाके के लोग प्रत्याशियों के सामने बिजली, मेट्रो और ट्रैफिक के मुद्दे खासकर रख रहे हैं. भाजपा प्रत्याशी के सामने मुसीबतें इसलिए ज्यादा हैं क्योंकि प्रदेश में सरकार भाजपा की है और दूसरे फेज में मेट्रो का काम तक शुरू नहीं कराया गया, जिसमें पुराना लखनऊ शामिल है. इसके अलावा पुराने लखनऊ में अन्य क्षेत्रों की तुलना में बिजली की हालत भी काफी खस्ता रहती है. बिजली की हालत सुधारने की मांग है, साथ ही ई-रिक्शा की बाढ़ भी सबसे ज्यादा पुराने लखनऊ में ही है, ऐसे में ट्रैफिक की समस्या भी यहीं पर बनी रहती है. इन तीनों मुद्दों को पुराने लखनऊ के लोग प्रत्याशियों के सामने जोर-जोर से उठा रहे हैं.
स्थानीय निकाय चुनाव में जनता के सबसे बड़े मुद्दे सीवर लाइन, बिजली और स्वच्छ पानी के ही होते हैं और इन्हीं समस्याओं को दूर कराने का प्रत्याशी दम भरते हैं, हालांकि चुनाव जीतने के बाद समस्याएं जस की तस ही बनी रहती हैं. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की बात करें तो यहां अन्य शहरों से अलग एक मुद्दा जनता की तरफ से उठाया जा रहा है, यह मुद्दा शहर के पुराने लखनऊ के लोगों का है. दरअसल, चारबाग से बसंत कुंज के बीच दूसरे फेज में मेट्रो संचालित होनी है, लेकिन छह साल से ज्यादा का समय बीत गया अब तक मेट्रो का संचालन तो दूर इस फेज में काम तक शुरू नहीं हो पाया है. ऐसे में यहां के लोगों की तरफ से आवाज उठ रही है कि आखिर सेकेंड फेज में मेट्रो कब तक चलेगी. मेट्रो का काम शुरू कराया जाए, जिससे मेट्रो का संचालन हो सके और पुराने लखनऊ की बड़ी आबादी को ट्रैफिक की समस्या से मुक्ति मिल सके. वर्तमान में एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया के बीच मेट्रो का संचालन हो रहा है. सरकार ने वादा किया था कि जल्द ही सेकेंड फेज का काम शुरू होगा, जिसके बाद चारबाग से बसंतकुंज के बीच भी मेट्रो दौड़ेगी, लेकिन मेट्रो का निर्माण कार्य शुरू नहीं कराया गया. ऐसे में यह मुद्दा पुराने लखनऊ के लिए बना हुआ है. इस मुद्दे को लेकर भी यहां की जनता इस बार मतदान करने वाली है. इसके अलावा पुराने लखनऊ के लोगों को लखनऊ के अन्य क्षेत्रों की तुलना में बिजली की समस्या से भी गुजरना पड़ता है. यहां की बिजली आपूर्ति व्यवस्था अन्य इलाकों से खराब रहती है. ऐसे में बिजली की मांग भी की जा रही है. इसी तरह यातायात व्यवस्था पुराने लखनऊ में लगभग चौपट ही रहती है, जिससे लोगों को बड़ी समस्याएं उठानी पड़ती हैं. हॉस्पिटल जाना है तो जाम की वजह से लोगों को खासी मुसीबत उठानी पड़ती है. स्कूल व कॉलेज जाने वाले छात्रों को भी जाम का सामना करना पड़ता है. मेट्रो का संचालन शुरू हो तो लोगों को जाम से मुक्ति मिल सके.
लखनऊ के दूसरे फेज में अब तक मेट्रो का काम तक शुरू न हो पाने को लेकर राष्ट्रीय लोक दल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी का कहना है कि 'यह सरकार सिर्फ कागजों पर ही काम करती है. धरातल पर कुछ भी नजर नहीं आता है. जनता की समस्याओं से कोई मतलब ही नहीं है. पुराने लखनऊ में अच्छी खासी आबादी रहती है जो हर रोज जाम की समस्या से जूझती है. सरकार ने मेट्रो के संचालन का वादा किया था, लेकिन छह साल से ज्यादा का समय हो गया दूसरे चरण का काम तक शुरू नहीं हुआ है. समाजवादी पार्टी सरकार के कार्यकाल में अखिलेश यादव ने मेट्रो का संचालन शुरू कराया था. भाजपा ने इसे बढ़ाया तक नहीं. पुराने लखनऊ में मेट्रो का संचालन शुरू हो तो लोगों को हॉस्पिटल स्कूल-कॉलेज पहुंचने में दिक्कत न हो, लेकिन सरकार ऐसा कुछ नहीं कर रही है. यहां पर बिजली की स्थिति भी काफी खराब रहती है. इस ओर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है. साफ-सफाई भी होती नहीं है. यातायात सुगम हो सके इसके लिए मेट्रो यहां की आवश्यकता है. इस बार के निकाय चुनाव में भाजपा को इन मुद्दों से जरूर नुकसान उठाना पड़ेगा.'
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