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ईद-उल-अजहा के लिए इस्लामिक सेंटर ने जारी की एडवाइजरी

ईद-उल-अजहा (Eid-ul-Azha) से पहले इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया (Islamic Center of India) ने एडवाइजरी जारी की है. इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया फरंगी महल के चेयरमैन ने ईद-उल-अजहा सोशल डिस्टेंसिंग और सरकार की गाइड लाइन का पालन करने की अपील की गई है.

ईद-उल-अजहा
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Published : Jul 17, 2021, 10:52 PM IST

लखनऊः ईद-उल-अजहा ( Eid-ul-Azha) से पहले इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया (Islamic Center of India) ने एडवाइजरी जारी की है. इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया फरंगी महल के चेयरमैन और ईदगाह लखनऊ के इमाम मौलाना खालिद रशीद फारंगी ने वैश्विक महामारी कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए ईद-उल-अजहा ( Eid-ul-Azha) पर देश के मुसलमानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी में ईद-उल-अजहा (Eid-ul-Azha) पर स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सुरक्षा के उपायों और सरकार के बंदोबस्त पर मुसलमानों से अमल करने की अपील की गई है. इमाम ने अपील की है कि कानूनी दायरे में रहते हुए कुर्बानी को अंजाम दें.

जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि ईद के दिन गुस्ल करना, अच्छे कपड़े पहनना, खुशबू तेल, और सुर्मा लगाना सुन्नत है, इस लिए इन चीजों का एहतिमाम किया जाए. इसके अलावा ईदगाहों और मस्जिदों में ईद उल अजहा की जमाअत में प्रशासन की गाइड लाइन के अनुसार सिर्फ 50 लोग ही नमाज अदा करें. इस दौरान मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग का खास ध्यान रखने की सलाह दी गई है. ईद की नमाज के बाद खुतबा पढ़ना सुन्नत है. अगर किसी को खुतबा याद न हो और खुतबे की कोई किताब भी न हो तो वह पहले खुतबे में सूरह फातिहा और सूरह अखलास पढ़े और दूसरे खुतबे में दुरूद शरीफ के साथ कोई दुआ अरबी में पढ़े. मौलाना खालिद रशीद ने लोगों से अपील की है कि इस बार ईद उल अजहा के दिन किसी से हाथ न मिलायें और न गले मिले.

मौलाना खालिद रशीद फारंगी के अनुसार ईद उल अजहा के 3 दिनों (10, 11, 12 जिलहिज्ज मुताबिक 21, 22 और 23 जुलाई) में कुर्बानी करना कोई रस्म नहीं बल्कि खुदा पाक की पसंदीदा इबादत है. इन दिनों में इस का बदल कोई दूसरा नेक अमल नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में कानूनी बंदिशें हैं या कोशिशों के बावजूद भी जानवर नहीं हासिल हो पा रहे हैं तो वह लोग भी अपनी रकम दूसरी जगह भेज कर कुर्बानी करा लें. अगर किसी वजह से दूसरी जगह कुर्बानी नही हो सकी तो ऐसी सूरत में कुर्बानी के दिनों के बाद कुर्बानी की कीमत के बराबर रकम सद्का यानी गरीबों को देना वाजिब है.

इसे भी पढ़ें-आज देखा जाएगा ईद-उल-अजहा का चांद, तय होगी बकरीद की तारीख


इसी तरह जो लोग अपनी कुर्बानी के साथ साथ हर साल नफली कुर्बानियॉ कराते थे वह मौजूदा महामारी (कोविड-19) से पैदा हालात को देखते हुए वह पैसा गरीबों को दे दें या मदरसों में दे दें. कुर्बानी करने वाला आदमी, नया मास्क, नए गलब्स पहनकर अपने आलात को पूरी तरह सैनेटाइज करके कुर्बानी करे. कुर्बानी के स्थानों पर सैनेटाइजेशन, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे आदेशों पर जरूर अमल किया जाए. सड़क के किनारे, गली और पब्लिक स्थानों पर कुर्बानी न की जाए. जानवरों की गन्दगी रास्तों या पब्लिक स्थानों पर न फेंकें. कुर्बानी के जानवरों का खून नालियों में न बहायें. उसको कच्ची जमीन में दफन कर दें. कुर्बानी करते समय फोटो या वीडियो न बनायी जाए और न उसको सोशल मीडिया पर अपलोड किया जाए. नमाज के बाद कोविड-19 के जल्द खात्मे, पूरी दुनिया में अमन व अमान के कयाम, अपनी और देश व कौम की तरक्की व खुशहाली इज्जत व सरबुलन्दी और भुकमरी के खात्मे के लिए दुआ करने की एडवाइजरी जारी की गई है.

लखनऊः ईद-उल-अजहा ( Eid-ul-Azha) से पहले इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया (Islamic Center of India) ने एडवाइजरी जारी की है. इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया फरंगी महल के चेयरमैन और ईदगाह लखनऊ के इमाम मौलाना खालिद रशीद फारंगी ने वैश्विक महामारी कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए ईद-उल-अजहा ( Eid-ul-Azha) पर देश के मुसलमानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी में ईद-उल-अजहा (Eid-ul-Azha) पर स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सुरक्षा के उपायों और सरकार के बंदोबस्त पर मुसलमानों से अमल करने की अपील की गई है. इमाम ने अपील की है कि कानूनी दायरे में रहते हुए कुर्बानी को अंजाम दें.

जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि ईद के दिन गुस्ल करना, अच्छे कपड़े पहनना, खुशबू तेल, और सुर्मा लगाना सुन्नत है, इस लिए इन चीजों का एहतिमाम किया जाए. इसके अलावा ईदगाहों और मस्जिदों में ईद उल अजहा की जमाअत में प्रशासन की गाइड लाइन के अनुसार सिर्फ 50 लोग ही नमाज अदा करें. इस दौरान मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग का खास ध्यान रखने की सलाह दी गई है. ईद की नमाज के बाद खुतबा पढ़ना सुन्नत है. अगर किसी को खुतबा याद न हो और खुतबे की कोई किताब भी न हो तो वह पहले खुतबे में सूरह फातिहा और सूरह अखलास पढ़े और दूसरे खुतबे में दुरूद शरीफ के साथ कोई दुआ अरबी में पढ़े. मौलाना खालिद रशीद ने लोगों से अपील की है कि इस बार ईद उल अजहा के दिन किसी से हाथ न मिलायें और न गले मिले.

मौलाना खालिद रशीद फारंगी के अनुसार ईद उल अजहा के 3 दिनों (10, 11, 12 जिलहिज्ज मुताबिक 21, 22 और 23 जुलाई) में कुर्बानी करना कोई रस्म नहीं बल्कि खुदा पाक की पसंदीदा इबादत है. इन दिनों में इस का बदल कोई दूसरा नेक अमल नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में कानूनी बंदिशें हैं या कोशिशों के बावजूद भी जानवर नहीं हासिल हो पा रहे हैं तो वह लोग भी अपनी रकम दूसरी जगह भेज कर कुर्बानी करा लें. अगर किसी वजह से दूसरी जगह कुर्बानी नही हो सकी तो ऐसी सूरत में कुर्बानी के दिनों के बाद कुर्बानी की कीमत के बराबर रकम सद्का यानी गरीबों को देना वाजिब है.

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इसी तरह जो लोग अपनी कुर्बानी के साथ साथ हर साल नफली कुर्बानियॉ कराते थे वह मौजूदा महामारी (कोविड-19) से पैदा हालात को देखते हुए वह पैसा गरीबों को दे दें या मदरसों में दे दें. कुर्बानी करने वाला आदमी, नया मास्क, नए गलब्स पहनकर अपने आलात को पूरी तरह सैनेटाइज करके कुर्बानी करे. कुर्बानी के स्थानों पर सैनेटाइजेशन, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे आदेशों पर जरूर अमल किया जाए. सड़क के किनारे, गली और पब्लिक स्थानों पर कुर्बानी न की जाए. जानवरों की गन्दगी रास्तों या पब्लिक स्थानों पर न फेंकें. कुर्बानी के जानवरों का खून नालियों में न बहायें. उसको कच्ची जमीन में दफन कर दें. कुर्बानी करते समय फोटो या वीडियो न बनायी जाए और न उसको सोशल मीडिया पर अपलोड किया जाए. नमाज के बाद कोविड-19 के जल्द खात्मे, पूरी दुनिया में अमन व अमान के कयाम, अपनी और देश व कौम की तरक्की व खुशहाली इज्जत व सरबुलन्दी और भुकमरी के खात्मे के लिए दुआ करने की एडवाइजरी जारी की गई है.

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